सिरसा में सबसे ज्यादा दलित वोटर, बीजेपी को झटका
हरियाणा के सिरसा संसदीय क्षेत्र में दलित वोटर की बड़ी संख्या है, जो किसी भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिरसा में 8 लाख से ज्यादा दलित वोटर हैं, जबकि जाट समुदाय के 3.5 लाख वोटर हैं। अशोक तंवर, जो खुद दलित समुदाय से आते हैं, के कांग्रेस में वापस लौटने से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। सिरसा और पश्चिम हरियाणा की सीटों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है, जहाँ बीजेपी और जेजेपी को नुकसान और कांग्रेस को लाभ मिल सकता है।
अशोक तंवर का राजनीतिक सफर और पार्टी बदलने का इतिहास
अशोक तंवर, जो एक समय राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे, हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 2019 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेदों के कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी और टीएमसी, फिर आम आदमी पार्टी, और आखिरकार बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालांकि, बीजेपी से टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद भी वे सफल नहीं हो पाए। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनका कांग्रेस में वापसी करना कई सीटों पर समीकरण बदल सकता है।
बीजेपी के दलित नैरेटिव को झटका
तंवर की कांग्रेस में वापसी से बीजेपी के दलित वोटबैंक पर गहरा असर पड़ सकता है। पीएम मोदी और अमित शाह कांग्रेस पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन तंवर की वापसी ने कांग्रेस के पक्ष को मजबूत कर दिया है। कांग्रेस अब हरियाणा में कुमारी सैलजा, उदयभान और अशोक तंवर जैसे प्रमुख दलित नेताओं के साथ एक मज़बूत दलित-जाट समीकरण तैयार कर रही है।
हुड्डा के लिए बढ़ी मुश्किलें, कांग्रेस में गुटबाजी तेज़
अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच की सियासी खींचतान किसी से छिपी नहीं है। तंवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए हुड्डा के साथ उनके संबंध बेहद तनावपूर्ण थे। हुड्डा ने तंवर को हटाकर खुद को कांग्रेस में मजबूत किया था। अब तंवर की वापसी से कांग्रेस में गुटबाजी और बढ़ सकती है, जिससे हुड्डा की टेंशन बढ़ना स्वाभाविक है। तंवर की घर वापसी में उनके साले अजय माकन की भूमिका भी बताई जा रही है।
सिरसा बेल्ट पर खासा असर
सिरसा लोकसभा क्षेत्र में फतेहाबाद, रानिया, ऐलनाबाद, कालांवाली जैसी प्रमुख विधानसभा सीटें आती हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर अलग-अलग दलों का वर्चस्व रहा था, लेकिन तंवर की वापसी से इन सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है। बीजेपी और जेजेपी के लिए यहाँ सियासी झटका लगना तय माना जा रहा है।
कांग्रेस का मजबूत दलित-जाट समीकरण
तंवर की वापसी से कांग्रेस के दलित और जाट वोटरों के समीकरण को मजबूती मिल सकती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी इस समीकरण के आधार पर कांग्रेस बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।