नई दिल्ली, 05 अक्टूबर (हि.स.): रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पोखरण में बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) मिसाइल के तीन सफल परीक्षण किए हैं। यह चौथी पीढ़ी की अत्याधुनिक मिसाइल दुश्मन के यान, विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को भागने का कोई मौका नहीं देती। रूस के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तरह काम करने वाली यह प्रणाली भारतीय सेना की हवाई सुरक्षा को और मजबूती प्रदान करेगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय सेना को इस सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह नई मिसाइल प्रणाली आधुनिक तकनीकों से लैस है, जो हमारे सशस्त्र बलों को हवाई खतरों के खिलाफ तकनीकी रूप से और मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा कि इस मिसाइल की सफलता से भारतीय सेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी।
वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल की विशेषताएँ:
- वजन: 20.5 किलोग्राम
- लंबाई: 6.7 फीट
- व्यास: 3.5 इंच
- हथियार क्षमता: 2 किलोग्राम
- रेंज: 250 मीटर से 6 किलोमीटर
- अधिकतम ऊंचाई: 11,500 फीट
- गति: मैक 1.5 (लगभग 1800 किमी प्रति घंटा)
इस मिसाइल का पहला परीक्षण मार्च 2023 और दूसरा 27 सितंबर 2022 को किया गया था। हाल ही में हुए परीक्षण के दौरान मिसाइल ने उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाया और सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट किया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस वायु रक्षा प्रणाली को भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करना है। इस मिसाइल को दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर से संचालित किया जाता है, जिससे यह और भी प्रभावी हो जाती है।
परीक्षण के दौरान भारतीय सेना के अधिकारियों, डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा उद्योग के भागीदारों की उपस्थिति में इस मिसाइल ने सभी मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस सफलता से भारतीय सेना के हवाई सुरक्षा तंत्र को और मजबूती मिलेगी, जिससे देश की सुरक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष ने भी इस सफलता के लिए पूरी टीम को बधाई दी है और कहा कि इस मिसाइल के डिज़ाइन और विकास में शामिल वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है कि भारत अब और भी अधिक स्वदेशी तकनीकों से लैस हो रहा है।
इस सफल परीक्षण ने भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है।