दिल्ली के देहात इलाकों के लोग अपनी लंबित समस्याओं और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर 15 सितंबर को जंतर-मंतर पर महापंचायत करने की तैयारी कर रहे हैं। पालम-360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी के नेतृत्व में इस महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है, जहां ग्रामीण बड़ी संख्या में अपनी मांगों को सरकार के सामने रखेंगे।
बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं दिल्ली के गांव
दिल्ली के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांवों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। जहां एक ओर शहरी इलाकों में सौंदर्यीकरण अभियान और विकास कार्य जोरों पर हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। ग्रामीण इलाकों में जल निकायों और साहिबी नदी की हालत बेहद खराब हो चुकी है, और अब यह नदी नाले में तब्दील हो गई है।
ग्रामीणों ने ठान ली आर-पार की लड़ाई
चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने दिल्ली के सभी गांवों में जाकर किसानों और ग्रामीणों से मुलाकात की और इस महापंचायत के लिए समर्थन जुटाया। ग्रामीणों का कहना है कि अब उनके पास आर-पार की लड़ाई लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उनका मानना है कि यह मुद्दे अब उनके अस्तित्व से जुड़ चुके हैं, और अगर इनका जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे पीछे नहीं हटेंगे।
उपेक्षा का शिकार हैं ग्रामीण
महापंचायत के आयोजक चौधरी सोलंकी का कहना है कि गांवों की उपेक्षा का असर न सिर्फ दिल्ली के मूल निवासियों पर पड़ा है, बल्कि उन प्रवासियों पर भी बुरा असर हुआ है जो इन गांवों में बसे हुए हैं। बारिश के दौरान गांवों में जलभराव की समस्या गंभीर रूप से उभर कर सामने आई है। कई गांवों की सड़कों पर पानी भरने से यातायात बाधित हुआ और गड्ढों के कारण दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा जलभराव के कारण बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है।
चुनाव से पहले समस्याओं का समाधान जरूरी
सोलंकी ने यह भी कहा कि गांवों के लोगों को अब झूठे आश्वासनों की आदत नहीं रही। ग्रामीणों ने मांग की है कि विधानसभा चुनाव से पहले उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी जमीनें कम कीमतों पर अधिग्रहित कर ली गईं, लेकिन बदले में उन्हें वादे के अनुसार कोई भी सुविधा नहीं दी गई।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगे
15 सितंबर को होने वाली महापंचायत में ग्रामीणों द्वारा उठाए जाने वाले मुख्य मुद्दे इस प्रकार हैं:
- भूमि म्यूटेशन प्रक्रिया की बहाली: दिल्ली के गांवों में बंद पड़ी भूमि म्यूटेशन प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया जाए।
- किसानों को मालिकाना हक: धारा 74/4 के तहत भूमि आवंटित करने वाले गरीब किसानों को मालिकाना हक दिया जाए।
- वैकल्पिक भूखंड आवंटन: जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उन्हें सरकारी योजना के तहत वैकल्पिक भूखंड दिए जाएं।
- स्वामित्व योजना: सरकार की स्वामित्व योजना के तहत बिना स्टांप ड्यूटी के ग्रामीणों को उनकी पैतृक संपत्ति का मालिकाना हक प्रदान किया जाए।
- स्मार्ट गांवों का विकास: जीडीए नीति और 2041 मास्टर प्लान के तहत गांवों को स्मार्ट गांवों के रूप में विकसित किया जाए।
- धारा 81 और 33 का निराकरण: धारा 81 और 33 को रद्द किया जाए और धारा 81 के तहत दर्ज मामलों को वापस लिया जाए।
- सीलिंग और तोड़फोड़ अभियान पर रोक: गांवों में चल रहे सीलिंग और तोड़फोड़ के अभियानों को तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए।
- एमसीडी हस्तक्षेप बंद हो: गांवों में एमसीडी के हस्तक्षेप को खत्म किया जाए और तुरंत मीटर लगाए जाएं।
- होमगार्डों की बहाली: पूर्व में भर्ती किए गए होमगार्डों को हटाने के आदेश वापस लिए जाएं और उन्हें 60 वर्ष की आयु तक सेवा में रखा जाए।
ग्रामीण अब ठोस समाधान की मांग पर अड़े
ग्रामीणों का साफ कहना है कि वे अब और ज्यादा उपेक्षा सहन नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को विधानसभा चुनाव से पहले पूरा नहीं किया गया, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। महापंचायत में हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा कि वह जल्द से जल्द इन लंबित मुद्दों का समाधान निकाले।