
खरगोन बस हादसे में एक बार फिर अफसरों की लापरवाही, 52 सवारिय?
खरगोन बस हादसे में एक बार फिर अफसरों की लापरवाही नजर आई है। जिस मार्ग पर हादसा हुआ। वहां ज्यादातर बसें अेावर लोड चलती है,लेकिन कभी एक्शन नहीं होता। हादसे का शिकार बस में जरुरत से ज्यादा यात्री बैठा रखे थे और स्पीड भी तेज थी, जो हादसे की वजह बनी। बस का न तो स्टेयरिंग फेल हुुआ और न ही सामने से कोई वाहन था।
चालक खुद बस इतनी तेज चला रहा था कि ब्रिज के पहले हल्के मोड़ पर वह स्टेयरिंग संभाल नहीं पाया और बस रैलिंग तोड़कर ब्रिज से नीचे जा गिरी। बस की क्षमता 52 सीटर थी, लेकिन बस कंडक्टर ने भेड़-बकरियों की तरह 69 सवारियां बस में भर ली थी। इसके बावजूद बस की रफ्तार धीमी रखने के बजाए इतनी तेज थी कि सीमेंट की रैलिंग भी बस को ब्रिज के नीचे गिरने से नहीं रोक पाई। इस मामले में खरगोन आरटीअेा बरखा गौर शुक्ला को संस्पेंड कर दिया गया है। हादसे में 43 यात्री घायल हुए और 24 यात्रियों की मौत हुई है। एक-दो यात्रियों को मामलू चोटेें आई है।
मां शारदा बस सर्विस की बस इंदौर रुट पर रोज चलती है। परिवहन विभाग के रिकार्ड में बस फिटनेस, रजिस्ट्रेशन ठीक पाया गया, लेकिन अेावर लोडिंग को लेकर बस पर एक्शन नहीं लिया गया। हादसे के पांच किलोमीटर पहले ही ड्रायवर सुनील राठौर ने बस में दस से पंद्रह सवारियां बैठाई थी,जबकि बस में एक भी सीट खाली नहीं थी।
दो बार लहराई बस,फिर रैलिंग से टकरा गई
बस में सवार यात्री राहुल सोहन ने बताया कि वे ड्रायवर सीट से चौथे नंबर की सीट पर बैठे थे। डोंगरगांव के समीप बस रुकी। ड्रायवर ने बस में सवारियां बैठाई। दूसरे स्टाॅप से सवारियां बैठाने की होड़ में ड्रायवर बस तेज से भगा रहा था। यात्रियों ने कंडक्टर को भी कहा कि बस थोड़ा धीरे चलाने को बोले, लेकिन उनसे भी नहीं सुनी। ब्रिज आने के बावजूद ड्रायवर ने रफ्तार कम नहीं की और ब्रिज से पहले मोड पर बस दो बार लहराई,स्पीड कम नहीं होने से बस सीधे रैलिंग से टकराई और नदी में जा गिरी।
घायल बोले मंत्री से, तेज बस चला रहा था ड्रायवर
दोपहर में जिला अस्पताल में जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल घायलों से मिलने पहुंचे। घायलों ने उन्हें बताया कि बस की गति काफी तेज थी। इसलिए सड़क हादसा हुआ। एक घायल महिला का सिर मेें सूजन देख मंत्री ने डाक्टरों से एमआरआई का पूछा तो उन्होंने कहा कि एमआरआई नहीं कराई। इस पर मंत्री नाराज हो गए और कहा कि सिर में सूजन होने के बाद भी लापरवाही क्यों बरती।