शिवराज सिंह चौहान के लिए बहुत कुछ लिखा जा सकता है.. प्रशंसक.. शुभचिंतक और समर्थकों के लिए शिवराज आदर्श, प्रेरणा स्रोत ..जो प्रतिद्वंद्वी, महत्वाकांक्षी नेताओं और विरोधियों की आंख की किरकिरी भी बनते रहे.. फिर भी बदलती बीजेपी की एक ऐसी मजबूत कड़ी जिस पर पुरानी पीढ़ी ने भरोसा किया.. तो नए नेतृत्व ने भी अपने नेता पर गर्व कर उनको सराहा और भरोसे में लेना ही मुनासिब समझा.. सिर्फ चुनाव जिताने का माद्दा ही नहीं रखते शिवराज बल्कि जनता की नब्ज पर हाथ रखकर दिल जीतना भी उन्हें खूब आता है.. पिछली तीन पारी की तुलना में सिंधिया फैक्टर से अस्तित्व में आई चौथी पारी के 3 साल में शिवराज ने विपरीत परिस्थितियों में भी सियासत के मोर्चे पर सफल रणनीतिकार के तौर पर सूझबूझ और नेतृत्व लोहा मनवाया.. शिवराज का व्यक्तित्व कृतित्व साबित करता है कि चुनौतियों से वह कभी भागे नहीं.. मैदान में डटे रहे और सही समय पर अपने पत्ते खोलें.. सियासत के मैदान में जुझारू और जीवटता का दूसरा नाम शिवराज सिंह चौहान है.. समय के साथ खुद को ढाल लेना.. जोश जुनून के साथ जज्बाती होना उन्हें ताकत देता रहा.. चुनौती सियासी मोर्चे पर हो या जनता की अदालत में या फिर विरोधियों के निशाने पर रहने के कारण.. यही नहीं अपनी ही पार्टी के अंदर केंद्र हो या राज्य जब कभी समस्या ने सियासी समीकरण बदलने की आहट सुनाई .. शिवराज डटे रहे और धैर्य संयम के दम पर अंतिम फैसला वो अपने हक में ही करवाने हमेशा वह सफल रहे..
संघ के खाटी स्वयंसेवक.. विद्यार्थी परिषद से युवा मोर्चा और फिर भाजपा में लंबी पारी.. बुधनी गांव से निकले शिवराज सिंह चौहान अब पार्टी के ब्रांड एंबेसडर पार्टी का बड़ा चेहरा बन चुके.. चौहान चुनावी राजनीति में पहले विधायक फिर अटल बिहारी वाजपेई के इस्तीफे से खाली हुई सीट विदिशा से सांसद की लंबी पारी उसके बाद दिल्ली से सीधे मुख्यमंत्री बनने वाले मध्यप्रदेश के ऐसे नेता है.. जिन्होंने कई मिथक और रिकॉर्ड भी तोड़े.. लेकिन खाते में उपलब्धियों की भरमार.. चुनाव जिताने से लेकर सरकार की सूरत बदलने और नित नए प्रयोग के साथ जिन्होंने सियासत को सामाजिक सरोकार से जोड़कर नए कीर्तिमान रचे.. जिस पर पुरानी और अब नई पीढ़ी की बदलती भाजपा ही नही मध्यप्रदेश भी शिवराज पर गर्व कर सकता है.. राजनीतिक मोर्चे पर अपनी समन्वयवादी सियासत के जरिए शिवराज ने खुद को अब्बल ही नहीं सर्वस्वीकार्य साबित किया.. योग्यता और अनुभव के दम पर अपनी उपयोगिता साबित कर दूरदर्शी शिवराज लगातार बड़ा मुकाम हासिल कर रहे हैं.. कहां किसके सामने सम्मान में झुकना.. कहां किसे अपने सामने शरणागत कर देना .. शिवराज से बेहतर यह काम कोई कर नहीं सकता.. राजनीतिक अस्थिरता के समय मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शिवराज के पास उस वक्त सरकार चलाने का कोई बड़ा अनुभव नहीं था.. लेकिन समझदारी समय-समय पर बदलती सियासत को समझने की कोशिश और सही वक्त पर रुके हुए फैसले लेकर उन्होंने हमेशा अपनी अहमियत का एहसास कराया.. जिन्होंने यूं तो 16 साल बतौर मुख्यमंत्री पहले ही पूरे कर लिए .. लेकिन चौथी पारी के 3 साल उनके लंबे सियासी जीवन के बहुत महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं.. शिवराज खुद सबसे बड़ी चुनौती कोरोना काल को मानते, जिससे उन्होंने मध्य प्रदेश को बाहर निकाला.. कन्या, बेटी ,महिलाओं को उनका हक देने और दिलाने को लेकर शिवराज नई योजनाओं के साथ कृत संकल्पित है.. चौहान चाहते हैं कि हिंदी मीडियम के डॉक्टरों को नौकरी में विशेष प्राथमिकता सुनिश्चित कराई जा सके .. अपनी पुरानी प्राथमिकताओं चाहे फिर किसानों के खाते में पैसा डालना और दूसरी योजनाओं का अवरोध खत्म कर हितग्राहियों को सम्मान के साथ उनका हक दिलवाना पिछले कई साल से उन्होंने जारी रखा…
चौथी पारी के 3 साल में कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान चीतों की पुनर्स्थापना के साथ चर्चा में आया.. तो श्री महाकाल महा लोक का लोकार्पण.. आदिवासियों का हित सुरक्षित करने के लिए पैसा एक्ट लागू किया गया.. हवाई जहाज से यात्रा के साथ तीर्थदर्शन योजना का विस्तार.. सरकारी भर्ती अभियान का सिलसिला शुरू हुआ.. विद्यार्थियों के लिए रोजगार के नए अवसर ..स्टार्टअप नीत 2022 और अब 2023 युवा नीति के साथ नशा मुक्त अभियान और नई शराब नीति चर्चा में आई.. खेलो इंडिया गेम्स का आयोजन ..ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट.. प्रवासी भारतीय दिवस.. विधानसभा क्षेत्र में विकास यात्राओं का सिलसिला जिस पर शिवराज सरकार गर्व कर सकती.. सियासत के इस मंजे हुए खिलाड़ी ने सामाजिक सरोकार के अपने दायित्व को निभाते हुए पौधारोपण के 2 साल अनवरत पूरे कर एक नई मिसाल कायम की है..
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के तौर पर चौथी पारी के तीन सालों में सत्ता के शिखर पर कामयाबी का झंडा बुलंद करते हुए आखिर कितने बदले….कितने संभले…कितने निखरे…कितने चमके… कांग्रेस में बड़ी बगावत के चलते परिस्थितियांजन्य बनी इस सरकार में विनम्र.. संवेदनशील.. समन्वयवादी सियासतदां शिवराज ने खुद को 360 डिग्री मोल्ड करते हुए अपनी सरकार के साथ प्रदेश को एक नये अंदाज में गति देते हुए ऊंचाइयां दी… सप्ताह के सिरमौर शिवराज ने अपनी पिछली तीन पारी से सीख लेते हुए विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी स्वीकार्यता के साथ उपयोगिता साबित कर लाइन इतनी बड़ी और मजबूत कर दी जहां इसके पहले कभी कोई नहीं पहुंच पाया..कुल मिलाकर मध्यप्रदेश के सियासत में 23 मार्च की यह तारीख एक नया इतिहास रच गई…. यादें ताजा की जाए तो उस वक्त बगावत.. आरोप-प्रत्यारोप.. जोड़-तोड़ के बीच एमपी की सियासत एक अहम मोड़ ले रही थी…15 साल का वनवास खत्म होने के बाद आई कमलनाथ सरकार महज 15 महीने में ही धराशायी हो चुकी थी…अंहकार…अदावत और बगावत की भेंट चढ़ी कांग्रेस सरकार का पतन यूं तो 11 मार्च 2020 को ही तय हो गया था.. जब सिंधिया राजवंश के उत्तराधिकारी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया….कई दिनों तक चले मध्यप्रदेश के इस हाईप्रोफाइल सियासी ड्रामे का अंत इन्हीं तस्वीरों के साथ हुआ….जब मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर शपथ लेते नजर आए…उस वक्त पूरा देश होली की मस्ती में डूबा हुआ था….लेकिन ये तारीख 15 साल की सत्ता से बाहर हुई भाजपा के लिए दीवाली की खुशियां लाई थी…क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि एमपी की सियासत में ये ऐतिहासिक उलटफेर भी हो सकता है….आज भी मार्च का ये महीना हर कांग्रेसी के जख्म हरे कर जाता है…कहते हैं न कि एक बवंडर की शुरुआत हवा के हल्के से झोंके से होती है…एमपी में भी वैसा ही हुआ…जहां सिंधिया की नाराजगी पर कमलनाथ की दंभभरी चुनौती …और फिर सिंधिया की आत्मसम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई में भाजपा की वापसी….नाथ सरकार को ढहाने की शुरुआत सिंधिया खेमे की ओर से हुई तो उसे अंजाम तक पहुंचाया भाजपा के चतुर सुजान शिवराज और उनकी टीम ने….कमलनाथ के इस्तीफे के साथ ही सेहरा बंधवाने के लिए भाजपा में ही कई राजनेता तैयार हो गये थे…लेकिन आपरेशन लोटस के प्लेयर आफ दे मैच रहे शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सब भारी पड़े….आखिर उन्होंने कमलनाथ जैसे दिग्गज की सरकार गिराकर बीजेपी की सरकार बनाने में जो भूमिका निभाई थी…उसने उनके आलोचकों की बोलती बंद कर दी…एमपी भाजपा में शिवराज जितना मजबूत प्रोफाइल किसी का न था न है….मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह की स्वच्छ छवि….उनकी कार्यकुशलता…नेतृत्वक्षमता…सामंजस्य और समन्वय की कला के साथ साथ जनता का उन पर भरोसा… इन सबने मिलकर भाजपा हाईकमान की परेशानी आसान कर दी… दूसरे राज्यों में आगे से किए गए प्रयोगों से इतर .. बिना असमंजस में पड़े मोदी, शाह और नड्डा ने सर्वसम्मति से शिवराज को ही फिर मध्यप्रदेश की कमान सौंपने का फैसला लिया….यानि शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर कमलनाथ के साथ अपनी पार्टी के दिग्गजों खासतौर से सीएम इन वेटिंग की दौड़ में खुद को शामिल करने वाले महत्वाकांक्षी नेताओं पर भी भारी पड़े….बावजूद इसके शिवराज विनम्र रहे…क्योंकि उस वक्त देश और दुनिया एक अंजान खतरे के मुहाने पर पहुंच गई थी….अनदेखा अनबूझा दुश्मन पूरी दुनिया में तेजी से पैर पसार रहा था…और जनता कर्फ्यू ने एहसास करा दिया था…कि आने वाला समय बड़ा कठिन है…तभी तो सीएम शिवराज और भाजपा ने अपनी सरकार बनने का जश्न नहीं मनाया बल्कि वो प्रदेश की जनता को कोरोना के कहर से बचाने में जुट गए…लिहाजा कैबिनेट गठन के माथापच्ची में पड़ने की बजाय उन्होंने अकेले ही सरकार चलानी शुरु कर दी…और संभवत ये पहला मौका था…जब सीएम शिवराज ने लगभग एक महीने अकेले तक पूरे प्रदेश का कार्यभार पूरी तरह से अपने हाथों में ले रखा था…उस वक्त शिवराज ने एक नजीर पेश की…उन्होंने कोरोना से निपटने में खुद को पूरी तरह झोंक दिया….जब लॉकडाउन लगाने की बारी आई तो शिवराज ने जनता की जरुरतों का पूरा ख्याल रखा…स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर लॉकडाउन से होने वाली परेशानियों को उन्होंने खुद महसूस किया और अफसरों के साथ दिन रात मॉनिटरिंग कर वे व्यवस्थाएं बनाते गए….इस दौर ने शिवराज का एक अलग रुप जनता के सामने रखा…फिर एक महीने बाद पांच मंत्रियों के साथ शिवराज ने सरकार चलाई…और जब कोरोना की पहली लहर कुछ कमजोर हुई…तब शिवराज कैबिनेट का पूर्ण विस्तार हुआ….भाजपा में शामिल हुए नए सदस्यों के साथ सरकार चलाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता…लेकिन शिवराज ने 28 उपचुनावों से पहले ये भी संभव कर दिखाया….आखिर भाजपा और कांग्रेस के मंथन से सत्ता रुपी अमृत निकला तो यहीं से वो हलाहल भी निकला…जिसे केवल शिव ही धारण कर सकते थे…और शिवराज ने भी यही किया….इसके बाद शिव-विष्णु और ज्योतिरादित्य की तिकड़ी ने 28 उपचुनावों में जबरदस्त कमाल दिखाया…खासतौर पर शिव-ज्योति एक्सप्रेस ने मध्यप्रदेश में ग्वालियर से लेकर मालवा तक जो रफ्तार दिखाई…उसे देख लगा ही नहीं कि सिंधिया कुछ समय पहले ही भाजपा में आए हैं…ये सहज माहौल बनाने का श्रेय भी शिवराज को ही जाता है…जो सबको साथ लेकर चले…एक तरफ कोरोना से उबरने का दौर दूसरी तरफ उपचुनावों का शोर…तब शिवराज सिंह चौहान संगठन और सरकार में तालमेल मिलाते हुए आगे बढ़ते गए….जीत तो हासिल होती गई लेकिन असली मुसीबत आना तो बाकी थी…वो थी कोरोना की दूसरी लहर…जब पूरी दुनिया को लगा कि कोरोना चला गया तभी कोरोना ने ऐसा अटैक किया जिससे पूरी दुनिया हलाकान हो गई…मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा…यही शिवराज की चौथी पारी का सबसे कठिन दौर था…क्योंकि उस समय कोरोना और भयावह हो चुका था…कोरोना ने हर किसी को तन मन धन से खत्म कर दिया था…निराशा और खौफ के उस माहौल में हर कोई बेबस नजर आ रहा था….लेकिन तब प्रदेश के मुखिया शिवराज दोगुनी ताकत से कोरोना से निपटने में जुट गए….क्योंकि हारकर बैठना शिवराज ने नहीं सीखा था…आखिर उन पर प्रदेश की आठ करोड़ जनता की जिम्मेदारी जो थी…..शिवराज ने दूसरे देशों में कोरोना के हालातों पर नजर बनाई…राज्यों के आंकड़ें देखते हुए प्लानिंग जमाई…शिवराज सरकार ने लोगों को हर संभव मदद मुहैया कराई…रातोंरात नए कोविड अस्पताल बनाने हो…या आक्सीजन की व्यवस्था करनी हो…लोगों तक निशुल्क राशन पहुंचाना हो या प्रवासियों के लिए व्यवस्थाएं जमानी हो…लॉकडाउन का पालन करवाना हो या उत्पातियों से निपटना हो…शिवराज सरकार ने काफी हद तक कामयाबी पाई….लेकिन दूसरे दौर ने शिवराज को अलर्ट कर दिया…देश में जैसे ही वैक्सीनेशन अभियान शुरु हुआ….मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हर व्यक्ति को वैक्सीन लगवाने का अभियान शुरु किया….एमपी में रिकार्ड वैक्सीनेशन की बदौलत ही जनता कोरोना के कहर से बची रही…ये संभव हुआ शिवराज की दूरदर्शिता और शानदार लीडरशिप की बदौलत…
कोरोना से उबरने के बाद शिवराज सरकार के सामने प्रदेश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने की चुनौती थी…क्योंकि एक तरफ सरकार के पास राजस्व नहीं आ रहा था…तो दूसरी तरफ जनता को आर्थिक मदद भी पहुंचानी थी…ऐसे में स्ट्रीट वेंडर समेत कई योजनाओं के जरिए शिवराज ने जनता तक मदद पहुंचाई…इस वक्त सरकार को कई मोर्चों पर एक साथ लड़ाई लड़नी पड़ रही थी…कोरोना काल का फायदा उठाकर प्रदेश में कई असामाजिक तत्वों, भूमाफियाओं, मिलावटखोरों और आपराधियों ने सिर उठाना शुरु कर दिया था…इसके बाद शिवराज साल 2021 की शुरुआत में एक नये अंदाज में नजर आए उन्होंने गुंडे बदमाशों और माफियाओं पर कार्रवाई के लिए अधिकारियों को फ्री हैंड दे दिया…नतीजा मामा का बुलडोजर ऐसा चला कि बलात्कारियों, दंगाईयों, उपद्रवियों, माफियाओं और जघन्य अपराधियों के आलीशान महल जमीदोज होने लगे…वहीं इंदौर भोपाल में कमिश्नर प्रणाली लागू कर शिवराज ने साफ संदेश दिया कि प्रदेश में जो भी खुद को कानून से उपर समझेगा उसे दफन करने में वक्त नहीं लगेगा…यही नहीं सीएम शिवराज ने अपने सख्त तेवरों से हर किसी को चौंका दिया…न केवल अपराधी बल्कि भ्रष्टाचारियों लापरवाह और सिंडीकेट चलाने वाले अफसरों पर भी गाज गिरना शुरु हो गई…शिवराज जीरो टालरेंस की नीति पर चल पड़े…व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और जनता की परेशानियां दूर करने के लिए उन्होंने हर बड़े से लेकर छोटे बाबूओं को शुद्ध हिंदी में समझा दिया…कि गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं होगा…यानि शिवराज अपनी चौथी पारी में इस मोर्चे पर भी सब पर भारी पड़ते नजर आए…इसके बाद शिवराज के सामने चुनौती थी प्रदेश के आर्थिक विकास की…क्योंकि कोरोना काल से उद्योग धंधों की हालत पस्त थी…और विपक्ष बेरोजगारी को मुद्दा बना रहा था…लिहाजा सीएम शिवराज ने एमपी का ब्रांड एंबेसडर और सीईओ बनकर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया…उन्होंने देश दुनिया के उद्योगपतियों निवेशकों को मध्यप्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित किया…इतना ही नहीं मध्यप्रदेश को पहली बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन की मेजबानी भी सीएम शिवराज सिंह के प्रयासों से मिली….जिसने पूरी दुनिया में एमपी का नाम रौशन किया…यहां आए निवेशक सीएम शिवराज से इतना प्रभावित हुए कि करोड़ों के एमओयू साइन हुए…इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता खेलो इंडिया और अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग कॉम्पिटिशन का भी बेक टू बेक सफल आयोजन कर सीएम शिवराज ने अपनी मेजबानी और मेहमाननवाजी का भी लोहा मनवाया…इस चौथी पारी में सीएम शिवराज ने प्रदेश के हर वर्ग से सतत संवाद बनाए रखा…जैसे महिला स्व सहायता समूहों के सम्मेलनों के जरिए वो प्रदेश भर की ग्रामीण महिलाओं को सौगातें देते रहे…तो युवा सम्मेलनों के जरिए उन्होंने युवाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया……इस चौथी पारी में शिवराज ने अपनी लोकप्रिय योजनाओं का भी विस्तार किया…जिसमें कॉलेज जाने वाली छात्राओं के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना पार्ट टू लॉंच की गई…ये वही बच्चियां थीं जिनके जन्म के साथ लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरु की गई थी…तो वहीं इसी चौथी पारी में तीर्थदर्शन योजना के हितग्राहियों को हवाईजहाज से यात्रा कराने की भी सौगात दी गई… शिवराज ने अपने संबोधन का भी अंदाज बदला…और युवा हो या किसान या आम लोग वे उनके बीच जाकर या मंच पर टहलते हुए संबोधन देने लगे हैं…जिसमें शिवराज का आत्मविश्वास झलकता है जो जनता से उनकी कनेक्टिविटि भी नजर आती है….साथ ही प्रदेश की आधी आबादी यानि महिला वर्ग पर भी इस पारी में शिवराज सरकार का पूरा फोकस नजर आया…उन्होंने लाड़ली बहना योजना के जरिए प्रदेश की करोड़ों महिलाओं को साधकर अपनी पार्टी और सरकार की लोकप्रियता बढ़ाई….इससे अलग शिवराज सिंह की हिंदुत्व वाली छवि भी चौथी पारी में खुलकर सामने आई…चाहे उज्जैन में महाकाल लोक का निर्माण हो यान ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना…या फिर लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून…शिवराज ने जता दिया कि भाजपा की विचारधारा से वो जरा भी अलग नहीं हुए हैं…इसके अलावा प्रदेश के आदिवासी वर्ग में शिवराज ने मजबूत पैठ जमाई….आदिवासी वर्ग के सम्मेलनों में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह…प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी…और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की मौजूदगी दर्ज कराकर इस वर्ग में नया भरोसा कायम किया…वहीं ओबीसी वर्ग के लिए सुप्रीम कोर्ट तक आरक्षण की लड़ाई लड़ना या अलग ओबीसी कल्याण आयोग बनाना…शिवराज ने इस वर्ग को भी अपने साथ रखा…चौथी पारी में शिवराज ने फूल से कोमल और वज्र से कठोर वाली छवि बनाई…जिसने शिवराज को एक नई पहचान दी…उनका पौधारोपण का संकल्प हो या कोरोना में अनाथ हुए बच्चों के साथ दीपावली का त्यौहार मनाना….उन्होंने हर सामाजिक दायित्व को बाखूबी निभाया… इस पारी में शिवराज हर मोर्चे पर फ्रंट फुट पर खेले….गलत शॉट से बचकर वो जमकर सियासी चौके छक्के लगाते नजर आए…इतना ही नहीं उन्होंने अपने सवालों की सीरीज से कमलनाथ को भी परेशान कर दिया…चौथी पारी के तीन साल पूरे होने से पहले हर दिन एक नया सवाल पूछकर उन्होंने कांग्रेस के वचन पत्र की धज्जियां उड़ा दी…यानि विपक्ष से ज्यादा हमलावर खुद शिवराज नजर आए…लेकिन इन तीन सालों में शिवराज के सामने नित नई चुनौतियां भी आती गईं…पूर्व सीएम उमा भारती ने शराबबंदी का आंदोलन छेड़ा…तो वाकई सरकार के सामने एक बड़ा संकट आन खड़ा हुआ…लेकिन शिवराज ने धैर्य से काम लिया…और काफी मंथन के बाद बिना राजस्व की चिंता किये उन्होंने प्रदेश भर के शराब अहाते बंद करने का बड़ा फैसला लिया… जिसकी चारों और प्रशंसा हुई…यहां तक कि स्वयं उमा भारती ने उनका सार्वजनिक अभिनंदन किया…इस घटना ने साबित कर दिया कि चुनौती कैसी भी हो…शिवराज उससे न केवल खूबसूरती से निपटते हैं बल्कि पूरे माहौल को अपने पक्ष में कर लेते हैं…विरोधियों और आलोचकों को इस अंदाज में जवाब देते हैं कि कोई दोबारा उनके सामने खड़ा नहीं हो पाता…इतन ही नहीं चौथी पारी में शिवराज अपनी ही पार्टी के ही उन नेताओं पर भी भारी पड़े जो गाहे बगाहे सरकार में बदलाव की अफवाहें उड़ाते थे…इस पारी में शिवराज पूरी तरह से जीरो टालरेंस की नीति पर काम करते नजर आए….चाहे फिर वो प्रशासनिक मामले हो…या फिर पार्टी के मामले…कहना गलत नहीं होगा कि पिछली तीन पारियों के मुकाबले शिवराज इस चौथी पारी में और मजबूत…और सशक्त..और ताकतवर…और लोकप्रिय नजर आए…
बॉक्स
शिवराज सरकार…3 साल बेमिसाल,
चौथी पारी की उपलब्धियां
विकास यात्रा की सौगात
प्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों में निकाली गईं विकास यात्राएं
3800 करोड़ के 40,700 से अधिक विकास कार्यों का लोकार्पण
6541 करोड़ के 30,700 से अधिक कार्यों का हुआ भूमिपूजन
शासकीय योजनाओं के लगभग 10 लाख आवेदन हुए स्वीकृत
प्रदेश भर में 26,935 सामाजिक जागरूकता, सांस्कृतिक कार्यक्रम
विधायक, सांसदों, मंत्रियों ने मौके पर किया समस्या का निराकरण
प्रवासी भारतीय दिवस
मध्यप्रदेश को मिली 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन की मेजबानी
70 से अधिक देशों से आए 3500 से अधिक डेलीगेट्स
फ्रेंड्स ऑफ एमपी के 200 से अधिक सदस्यों के साथ हुआ संवाद
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने निवेशकों के साथ की 16 वन-टू-वन मीटिंग
मध्यप्रदेश के ब्रांड एंबेसडर और सीईओ बने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट
'फ्यूचर रेडी मध्यप्रदेश' की थीम पर हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट
10 पार्टनर कंट्रीज के साथ 84 देशों के 5 हजार डेलीगेट्स ने लिया भाग
2600 से ज्यादा बी-टू-बी और 200 से ज्यादा बी-टू-जी मीटिंग हुई
रिकार्ड 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव हुए प्राप्त
प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट से 29 लाख से अधिक रोजगार के अवसर होंगे सृजित
शिवराज सरकार में खेलों को बढ़ावा
मध्यप्रदेश ने की खेलो इंडिया यूथ गेम्स की सफल मेजबानी
8 शहरों में 27 खेलों के 6 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने लिया भाग
खेलो इंडिया गेम्स में 39 स्वर्ण पदक प्राप्त कर मध्यप्रदेश रहा तीसरे स्थान पर
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता का भोपाल में आयोजन
प्रदेश के बजट में खेलों को मिला महत्व...बढ़ा बजट
सरकारी पदों पर रिकॉर्ड भर्तियां
एक साल में 1 लाख 26 हजार से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती का लक्ष्य
मध्यप्रदेश में लगभग 99 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरु प्रारम्भ
पटवारी के 7 हजार, शिक्षक के 15700, उपयंत्री के 2600 पदों पर भर्ती
पैरा मेडिकल स्टाफ के 6500, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डन के 2200
सहायक ग्रेड स्टेनो के 2700, पुलिस कॉन्स्टेबल के 7500 पदों पर भर्ती
जनभागीदारी - मध्यप्रदेश बना मॉडल
ऊर्जा साक्षरता अभियान से जुड़े 12 लाख से अधिक नागरिक
सीएम शिवराज ने शुरु किया गांव, शहर के गौरव दिवस का आयोजन
पर्यावरण संरक्षण हेतू पौधारोपण का वृहद अंकुर अभियान
आंगनवाड़ियों के कायाकल्प के लिए एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी अभियान
सीएम शिवराज के प्रयासों से 37 करोड़ रु से अधिक की राशि और सामग्री एकत्र
02 अक्तूबर 2022 से शुरू हुआ प्रदेशव्यापी नशामुक्ति अभियान
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पौधारोपण में लगाए 2200 से ज्यादा पेड़
देश में नंबर वन मध्यप्रदेश
मप्र से रिकॉर्ड 21लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का निर्यात
एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में 4 हजार करोड़ के प्रकरण स्वीकृत
पीएम स्वनिधि योजना के प्रथम चरण के क्रियान्वयन में प्रदेश का प्रथम स्थान
आयुष्मान कार्ड संख्या के आधार पर मध्यप्रदेश का देश में है पहला स्थान
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़कों की गुणवत्ता में देश में प्रथम
नई नीति - नई योजनायें
युवा नीति – 2023 स्टार्ट अप नीति 2022
12वीं की मेरिट में आने वाली छात्राओं को मुख्यमंत्री बालिका ई- स्कूटी योजना
अजजा के युवाओं को रोजगार के लिए मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना
औषधीय, सुगंधित पौधों की खेती के लिए देवारण्यद योजना
सिकलसेल, एनिमीया से बचाव के लिए हीमोग्लोजबिनोपैथी मिशन शुरु
कॉलेज जाने वाली छात्राओं के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना पार्ट – 2 शुरु
प्रदेश की गरीब महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना की सौगात
नई शराब नीति में प्रदेश भर के शराब अहाते बंद करने का फैसला
अपराध मुक्त मध्यप्रदेश
1 करोड़ 14 लाख के इनामी 6 नक्सली मार गिराए
भू-माफिया, चिटफंड माफिया, शराब माफिया, रेत माफिया पर शिकंजा
राशन माफिया, मिलावटखोरों, दबंगों को कुचलने की कार्रवाई
आतंकियों, पत्थरबाजों, दंगाईयों के मकानों पर चला बुलडोजर
23 हजार एकड़ भूमि भू-माफियाओं से मुक्त कराई गई
लव जिहाद और धोखे से धर्म परिवर्तन के लिए सख्त कानून लागू
हर वर्ग का कल्याण
3 साल में 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे
मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 4 हजार रुपए दिये
17 हजार करोड़ रुपए से अधिक का बीमा दावा भुगतान किया।
भू-खंड विहीन परिवारों को 40 हजार से अधिक पट्टे वितरित।
प्रधानमंत्री आवास योजना में 41 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण
स्ट्रीट वेंडर योजना में 10 लाख छोटे व्यवसायियों को ब्याज मुक्त ऋण
संबल योजना में 4 लाख हितग्राहियों को 3700 करोड़ रुपए दिये
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना का विस्तार, हवाई जहाज से भी होगी यात्रा
प्रदेश के 3 करोड़ 54 लाख हितग्राहियों के बने आयुष्मान कार्ड
25 लाख से अधिक मरीजों का हुआ नि:शुल्क इलाज
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में 82 लाख महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की राशि बढ़ाकर 55 हजार की गई
मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में 4700 से अधिक बच्चों को सहायता
कमजोर वर्ग का कल्याण
जनजातियों के सशक्तीकरण के लिए पेसा एक्ट लागू किया
जनजातीय जननायकों की प्रतिमाएं लगवाई और स्माारक बनवाए गए
827 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित किया जा रहा
चाइल्ड बजटिंग शुरू करने वाला मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य।
कुपोषण दूर करने के लिए मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम
सीएम राइज स्कूल परियोजना का क्रियान्वयन प्रारंभ
सुपर 100 योजना में 600 विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग
स्वास्थ्य पर संवेदनशीलता
10 हजार से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर प्रारम्भ
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान योजना से गरीब मरीजों की आर्थिक मदद
हर माह औसतन तीन लाख रोजगार के नए अवसर सृजित
स्व-रोजगार योजनाओं में 46 लाख 58 हजार से अधिक अवसर सृजित
जिला, ब्लॉक,ग्राम पंचायत स्तर पर 5 हजार 300 पेसा समन्वयक नियुक्त
लोक सेवा गारंटी कानून में 600 से अधिक सेवाएं समयसीमा में
सीएम हेल्प लाइन से 2 करोड़ 6 लाख शिकायतों का निराकरण
सीएम जन सेवा योजना में मोबाइल पर मिल रहे सरकारी दस्तावेज
मध्यप्रदेश का सांस्कृतिक अभ्युदय
उज्जैन में ‘श्री महाकाल महालोक’ का शिवार्पण, द्वितीय चरण का कार्य शुरु
ओरछा में बनेगा भव्य राम राजा लोक, चित्रकूट में दिव्य वनवासी रामलोक
सलकनपुर में श्री-देवी महालोक का होगा निर्माण
ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची बहुधातु की भव्य प्रतिमा
जनजातीय परंपरा का अभिन्न उत्सव "भगोरिया" राजकीय पर्व घोषित
जैव विविधता और मध्यप्रदेश घड़ियाल, गिद्ध, टाइगर और लेपर्ड के साथ अब चीता स्टेट भी
70 साल बाद नामीबिया से कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की पुनर्स्थापना
माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में छोड़े गए 3 बाघ