मध्य प्रदेश के स्कूल और परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कटनी फॉरेस्ट सिटी परियोजना को प्रदेश के लिए एक "ग्रीन रिवॉल्यूशन" का नाम दिया है और इसे एक आदर्श परियोजना के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया है। अपने दौरे के दौरान मंत्री ने जिले के कलेक्टर कार्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें विधायक संदीप जायसवाल, महापौर प्रीति सूरी, कलेक्टर दिलीप यादव, एसपी अभिजीत रंजन और डीएफओ गौरव शर्मा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक का उद्देश्य जिले में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करना था, खासतौर से वन विभाग द्वारा किए जा रहे वृक्षारोपण और फॉरेस्ट सिटी परियोजना की प्रगति का आकलन करना।
कटनी फॉरेस्ट सिटी परियोजना:
मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कटनी फॉरेस्ट सिटी में चल रहे वृक्षारोपण अभियान की विशेष रूप से प्रशंसा की। इस परियोजना के अंतर्गत नक्षत्र वन, मातृ वन और स्मृति वन जैसे विशेष क्षेत्रों में वृक्षारोपण किया गया है। नक्षत्र वन में राशियों के अनुसार औषधीय पौधों का रोपण किया गया है, जो इसे अद्वितीय बनाता है। करीब 20 हेक्टेयर के क्षेत्र में लगभग 15,000 पौधे लगाए गए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ शहर की हरित छवि को भी मजबूत कर रहे हैं।
मातृ वन की विशेषता:
मातृ वन का निर्माण विशेष रूप से 'प्रदूषण मुक्त भारत' की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत प्रत्येक पौधे को एक मां के नाम पर समर्पित किया गया है, जिससे इसे भावनात्मक और सामाजिक जुड़ाव मिलता है। मंत्री सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इसे वृक्षारोपण अभियान नहीं बल्कि एक व्यापक "ग्रीन रिवॉल्यूशन" के रूप में देखा जाना चाहिए। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है, बल्कि आने वाले समय में एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित होगा।
आगे की योजना:
मंत्री सिंह ने इस परियोजना को आदर्श मानते हुए कहा कि इसकी पूरी जानकारी एकत्र की जाएगी और इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के नवाचार पर्यावरण संरक्षण और हरित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कटनी फॉरेस्ट सिटी को एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसे अन्य जिलों में भी प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया जा सकेगा।
इस परियोजना की सफलता से यह सिद्ध होता है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ शहरी विकास भी संतुलित तरीके से हो सकता है।