"महाकुंभ 2025 का लोगो: भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का अद्भुत संगम"

महाकुंभ का लोगो भारतीय संस्कृति, पौराणिकता और सनातन परंपराओं का प्रतीक है।

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"महाकुंभ 2025 का लोगो: भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का अद्भुत संगम"
महा कुंभ का लोगो

प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद प्रयागराज पहुंचकर अधिकारियों से बातचीत की और महाकुंभ 2025 का आधिकारिक लोगो भी लॉन्च किया। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन, महाकुंभ के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का अनावरण किया गया, जिसे पहली बार सैटेलाइट मैपिंग के जरिए डिज़ाइन किया गया है। इस लोगो को अंतिम रूप देने में 276 बार संशोधन किया गया, तब जाकर इसे अंतिम रूप दिया गया और सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे मंजूरी दी।

महाकुंभ का लोगो भारतीय संस्कृति, पौराणिकता और सनातन परंपराओं का प्रतीक है। इसमें संगम की तीन पवित्र नदियों का त्रिवेणी स्थान, भक्ति, ज्ञान और कर्म को दर्शाया गया है। इसके साथ ही, पहली बार लोगो में अक्षयवट और लेटे हनुमान मंदिर का भी स्थान मिला है, जो सृष्टि की शुरुआत के प्रतीक माने जाते हैं।

लोगो में तीन साधुओं की तीन मुद्राएं भी खास संदेश देती हैं—शंखनाद करता साधु नई शुरुआत का प्रतीक है, प्रणाम मुद्रा वाला साधु ‘अतिथि देवो भवः’ का संदेश देता है, और ध्यान मुद्रा में साधु आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इसके अलावा, अमृत कलश को भी लोगो में स्थान दिया गया है, जो समुद्र मंथन से निकले अमृत का प्रतीक है। इस कलश के मुख को भगवान विष्णु, गर्दन को रूद्र, आधार को ब्रह्मा, और अंदर के जल को संपूर्ण सागर का प्रतीक माना गया है।

महाकुंभ 2025 की टैगलाइन ‘सर्वसिद्धिप्रदः कुंभ’ (सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाला कुंभ) को समृद्धि का प्रतीक माना गया है, जो महाकुंभ के महत्व को और अधिक स्पष्ट करता है।