नरेंद्र की हाजिर जवाबी विष्णु के कॉन्फिडेंस से ठहाके

नरेंद्र की हाजिर जवाबी विष्णु के कॉन्फिडेंस से ठहाके

मिशन 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा के अंदर मध्य प्रदेश से कई जोड़ियां चर्चा में रही.. शिवराज के साथ नरेंद्र सिंह की या ज्योतिरादित्य, या फिर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के साथ.. इससे आगे जोड़ी चंबल के महाराज और मुन्ना भैया के बीच.. लेकिन ऐन चुनाव के मौके पर जब विसात पर उम्मीदवारों का चयन निर्णायक दौर में और मोहरों की तैनाती तब प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रबंधन समिति की कमान संभालने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के बीच की जोड़ी कुछ ज्यादा ही चर्चा में है.. वजह एक नहीं कई लेकिन पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही भाजपा में सबको संतुष्ट करना किसी चुनौती से कम नहीं.. विष्णु वर्तमान में अध्यक्ष तो नरेंद्र सिंह दो बार अध्यक्ष रह चुके.. दोनों सांसद पारिवारिक पृष्ठभूमि ग्वालियर चंबल से और मुरैना से खासतौर से जुड़े.. यानी एक के लिए नई भाजपा में मजबूती से पैर जमाने का मौका.. तो दूसरे से उनके अनुभव के दम पर सबको साथ लेकर आगे बढ़ते हुए सरकार बनाने का अपेक्षा.. यह नई जोड़ी संगठन के दो दिग्गज एक अनुभवी नरेंद्र सिंह तोमर दूसरे ऊर्जावान युवा विष्णु दत्त शर्मा के बीच सम्मान समन्वय और समझदारी की सियासत समझने बुझने का काम पत्रकार वार्ता के दौरान मीडिया को दिया गया.. सवालों की बौछार चुनाव में नेतृत्व को लेकर या फिर योजनाओं के नाम पर रेवड़ी बांटने से जुड़े हो, एक नहीं पांच जन आशीर्वाद यात्रा से जुड़े तीखे सवाल.. इस बार मोर्चा चुनाव प्रबंधन समिति की कमान संभालने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बखूबी संभाला.. सवालों के बीच नरेंद्र सिंह के चेहरे से मुस्कान शायद ही कुछ क्षण के लिए गायब हुई हो.. हर सवाल का अमित शाह के अंदाज में जिन्होंने अपनी सुविधा से लेकिन मुस्कुरा कर ही आत्मीयता के साथ दिया.. चेहरे पर कोई तनाव नहीं.. कोई गुस्सा नहीं ..कोई जल्दबाजी नहीं.. पत्रकार से आई कॉन्टेक्ट बनाए रखते हुए वही बात कही जिससे कोई विवाद पैदा ना हो.. कई सवाल हंसी में उड़ा दिए.. कुछ पर पार्टी का एकाधिकार.. ना ही अमित शाह की लाइन से संगठन भटकता हुआ नजर आए.. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जवाब से ज्यादा सवाल गौर करने लायक थे.. जो अपने आप में पार्टी को सोने को मजबूर करने के लिए काफी थे.. नेतृत्व को लेकर सवाल अलग-अलग कोने से अलग-अलग पत्रकार द्वारा अलग-अलग अंदाज और अलग अपेक्षा के साथ पूछे गए कि शायद नरेंद्र तोमर कुछ ऐसा कह जाए जिससे भाजपा के अंदर नेतृत्व को लेकर एक नई बहस छिड़ जाए.. ऐसे कई सवाल थे चाहे फिर वह शिवराज के नेतृत्व को लेकर हो उनके विकल्प की तलाश को लेकर को यही नहीं पांच रथ यात्राओं के चेहरे और नेताओं को सीएम इन वेटिंग मानते हुए क्या इनमें कोई भविष्य का चेहरा श्यामला हिल्स पहुंच सकता.. खुद नरेंद्र सिंह से भी इस दौड़ में शामिल होने को लेकर जवाब स्पष्ट तौर पर मांगा गया.. लेकिन नरेंद्र सिंह मुन्ना भैया ने सुनी सबकी और अपने मन की ही कही..
मीडिया के सवाल..तोमर के जवाब
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया के सवालों के भी जवाब दिये. जब उनसे चुनाव में सिंधिया की भूमिका को लेकर सवाल पूछा गया तो तोमर ने कहा उनके आने से हमारी पार्टी की ताकत बढ़ी है. चुनाव में सिंधिया का वही योगदान रहेगा जो नरेंद्र सिंह तोमर का है. इसके बाद तोमर से पूछा गया कि क्या भाजपा मुस्लिम वर्ग को भी टिकट देगी ? इसके जवाब में तोमर बोले कि भाजपा 'सबका साथ-सबका विकास' के आधार पर काम करती है. योजना का लाभ सभी वर्गों के लोगों को मिलता है. ऐसे में टिकट देना है या नहीं ये क्षेत्र की स्थिति पर निर्भर करता है. जैसे पिछली बार हमने भोपाल उत्तर से मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारा था. इसके साथ ही प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री के चेहरे का सवाल भी उठा जिस पर तोमर ने दो टूक कहा कि इसका फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा. कुछ बातें मैं तय करुंगा तो कुछ अध्यक्ष द्वारा तय होंगी. और कुछ फैसले पार्लियामेंट्री बोर्ड में सामूहिक रूप से लिये जाएंगे जब तक कोई चीज तय नहीं होती है, मैं उसका जवाब नहीं दे सकता. इस दौरान चुनाव में महिलाओं को आरक्षण का मुद्दा भी उठा कि कितने प्रतिशत महिलाओं को टिकट भाजपा देगी. इस सवाल के जवाब में तोमर ने कहा कि महिलाओं को 35 क्या 65 प्रतिशत भी टिकट मिल तो आपत्ति नहीं लेकिन टिकट उसी को मिलेगा जो जीत सुनिश्चित करेगा. वहीं पहली लिस्ट जारी होने पर प्रत्याशियों के विरोध के सवाल पर तोमर ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित दल है. कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है. जहां एक से अधिक लोग होते हैं वहां विभिन्न मत होते हैं. ये विरोध नहीं है कुछ लोगों का मत अलग है. जिसे बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा. सवाल जन आशीर्वाद यात्रा और चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका को लेकर तो नरेंद्र सिंह ने महाराज के संग अपनी जोड़ी की मजबूत अंडरस्टैंडिंग को सामने रखा .. सवाल पिछले चुनाव में दिए गए नारे से जुड़ा हो.. खासतौर से माफ करो महाराज या फिर अबकी बार 200 पार ..यही नहीं इस बार बिना दूल्हे के चुनाव में भाजपा की बारात से जुड़ा हो.. नरेंद्र सिंह बिल्कुल नहीं बहके.. पूरी छूट जिसको जो अर्थ निकालना हो निकाल ले.. प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की भूमिका बनाते हुए पहले ही स्पष्ट कर दिया कि नरेंद्र सिंह के नेतृत्व में भाजपा ने कई चुनाव जीते.. वही इस चुनाव की रणनीति को सामने रखेंगे.. अंदर की बात तो यह भी सामने आई की प्रदेश अध्यक्ष ने सीधे चुनाव प्रबंधन की कमान संभालने वाले नरेंद्र सिंह से आग्रह किया था कि वह ही सीधे मीडिया से मुखातिब हो पर बेहतर समन्वय कहे या फिर युवा और अनुभव के बीच बेहतर तालमेल जो प्रदेश अध्यक्ष ने पृष्ठभूमि सामने रखी और फिर नरेंद्र सिंह ने जन आशीर्वाद यात्रा और सत्ता संगठन की लाइन को आगे बढ़ते हुए पहले अपनी बात रखी और फिर सवालों के बीच में सबको संतुष्ट करने की कोशिश नरेंद्र और विष्णु दोनों ने याद दिलाया कि पत्रकार वार्ता तो एक बहाना था भोजन पर सभी पत्रकार मित्रो से मेल मुलाकात करना थी यह काम मुन्ना भैया ने विष्णु दत्त को सौप था..
अमित शाह के बाद नरेंद्र सिंह तोमर और विष्णु दत्त शर्मा ने संयुक्त तौर पर भाजपा के चुनाव प्लान के पहले की पार्टी लाइन को उसके कार्यक्रम खास तौर से जन आशीर्वाद यात्रा के प्रारूप को सामने रखा..भाजपा में जब नेता, मंत्री सांसद प्रवक्ता अपनी सुविधा से ही बात कर कर सिर्फ कांग्रेस पर हमले साध कर मीडिया से बच निकलते हैं.. तब नरेंद्र सिंह तोमर ने धारा प्रवाह सवाल दर सवाल की गंभीरता को समझते हुए मानो सभी मीडिया कर्मियों को पूरी छूट देते हुए भड़ास निकालने का पूरा मौका दिया.. इस दौरान ठहाके भी खूब सुनाई दिए..जब से दो बार पूर्व अध्यक्ष रहते शिवराज सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा चुके नरेंद्र सिंह ने 18 के बाद 23 के लिए प्रबंधन की कमान संभाली है.. तब से पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच समय रहते और बेहतर समन्वय बनाने की चुनौती को पूरी पार्टी गंभीरता से ले रही है.. प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त के साथ नरेंद्र सिंह तोमर पूरी तैयारी के साथ आए थे.. शिवराज सरकार जब अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही.. और चुनाव भाजपा में संगठन द्वारा ही लड़ा जाता है.. सबसे मुन्ना भैया और विष्णु भैया की जोड़ी के बीच जिम्मेदारी के मोर्चे पर काना फूसी चर्चा का विषय बनती रही.. ग्वालियर चंबल की राजनीति के इन दो खिलाड़ियों का मुरैना से बड़ा पुराना नाता है.. विष्णु दत्त ने स्टूडेंट पॉलिटिक्स में ही मुन्ना भैया से बहुत कुछ सीखा और पिछले चुनाव में उनकी पुरानी प्रभावी भूमिकाओं को ध्यान में रखते हुए हमेशा सम्मान से नवाजा और बहुत कुछ सीख लिया.. जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखने को भी मिला.. भाजपा के कई दूसरे नेताओं को संगठन की इस जोड़ी जो मिशन 2023 में बड़ी भूमिका निभाने जा रही है इनकी निकटता शायद रास ना आए.. दिल्ली के दखल के बावजूद मोर्चा संगठन में कसावट का हो कार्यकर्ताओं की पूछ परख का हो या फिर प्रबंधन के मोर्चे पर भाजपा के लिए डिलीवरी सिस्टम की बड़ी चुनौती का.. तोमर और शर्मा के बीच समन्वय बहुत जरूरी है.. शायद यह भी एक वजह थी जो उन्हें सतर्क और सजग रहने को मजबूर कर रही थी.. खासतौर से नरेंद्र सिंह तोमर को इस बात का पूरी तरह एहसास था की चुनाव में चेहरे को लेकर सवालों का सामना उन्हें करना पड़ेगा..और हुआ भी ऐसा लेकिन यात्रा के संयोजक मंत्री भूपेंद्र सिंह और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के बीच नरेंद्र सिंह टस से मस नहीं हुए.. इससे पहले अमित शाह की उसे लाइन को प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और फिर नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे बढ़ाया जो अमित भाई ने मीडिया के बीच पहुंचकर रिश्तो में प्रगाढ़ता की कोशिश की थी, प्रेस कांफ्रेंस के बाद खाने की टेबल हो या भोजन पर आमंत्रित और दूसरे पत्रकार सभी से यह जोड़ी खुलकर मिली.. चुनाव की चिंता काहे या फिर मीडिया से बनते बिगड़ते रिश्ते सुधार की संभावनाएं तलाश कर समस्या से निजात पाने की कोशिश खूब की गई..

बॉक्स(जनआशीर्वाद यात्रा का रोड मैप)

पहली यात्रा विंध्य क्षेत्र के चित्रकूट से 3 सितम्बर को कामतानाथ का आशीर्वाद लेकर शुरू होगी, जिसका शुभारंभ केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। यह यात्रा निवाड़ी से होते हुए भोपाल पहुंचेगी। जिसके संयोजक सांसद गणेश सिंह और सह संयोजक प्रदेश शासन के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह हैं। यह यात्रा 12 जिलों के 48 विधानसभाओं से गुजरेगी. यह यात्रा 19 दिन में 2343 किमी का सफर तय करेगी।
दूसरी यात्रा महाकौशल के मंडला से पांच सितम्बर को शुरु होगी, इसका शुभारंभ भी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। यह यात्रा जबलपुर होते हुए भोपाल पहुंचेगी। इस दौरान 10 जिलों के 45 विधानसभाओं को कवर किया जाएगा. यात्रा 18 दिन में 2303 किमी का सफर तय करेगी।
तीसरी यात्रा इंदौर संभाग के खंडवा से चार सितंबर को धूनी वाले बाबा का आशीर्वाद लेकर प्रारंभ होगी, जिसका शुभारंभ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। यह यात्रा 10 जिलों के 42 विधानसभाओं से गुजरेगी. यह यात्रा 21 दिन में 2000 किमी का सफर तय करेगी।
चौथी यात्रा मालवा के नीमच से चार सितम्बर को ही शुरु होगी, इसका शुभारंभ भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। यह यात्रा 12 जिलों के 44 विधानसभाओं से गुजरेगी, जिसमें मंच सभाएं 65, रथ सभाएं 100 और स्वागत स्थान 375 रहेगी। यह यात्रा 17 दिन में 2000 किमी का सफर तय करेगी।
पांचवी यात्रा ग्वालियर-चंबल संभाग के श्योपुर से छह सितम्बर को प्रारंभ होगी, जिसका शुभारंभ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे। यह यात्रा 11 जिलों के 42 विधानसभाओं से गुजरेगी, जिसमें मंच सभाएं 48, रथ सभाएं 65 और स्वागत स्थान 265 रहेगी। यह यात्रा 17 दिन में 1997 किमी का सफर तय करेगी।
पांचों यात्राओं को मिलाकर सभी जन आशीर्वाद यात्राएं कुल 10643 किलोमीटर की दूरी तय करेंगी और प्रदेश की 210 विधानसभाओं से गुजरेंगी। इन यात्राओं का 998 स्थानों पर स्वागत होगा, 678 रथ सभाएं और 211 बड़ी जनसभाएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी शामिल होगा।
इन पांचों यात्राओं का समापन 21 सितम्बर को अलग-अलग स्थानों पर होगा. इसके बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितम्बर के अवसर पर इन यात्राओं का समागम भोपाल में आयोजित कार्यकर्ता महाकुंभ में होगा। जहां करीब दस लाख कार्यकर्ताओं को एकत्रित करने किया जाएगा. इस महासम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.