‘शुभंकर’ विष्णु को कीर्तिमान से क्या हासिल होगा ? (विष्णु की नई नजीर से क्या सामने आएगा नया और स्वीकार्य नेतृत्व ) मध्य प्रदेश में भाजपा के लिए ‘शुभंकर’ साबित होते रहे विष्णु दत्त के नेतृत्व में पार्टी ने एक बार फिर एक नया कीर्तिमान बनाया.. मध्य प्रदेश भाजपा द्वारा प्रथम चरण में ही एक बड़ा लक्ष्य हासिल कर लेने से निर्धारित टारगेट अब दूर नजर नहीं आता.. देशभर में भाजपा ने 10 करोड़ नए सदस्य बनाने का जो लक्ष्य रखा था . उसके पहले पड़ाव में मध्यप्रदेश ने एक करोड़ से ज्यादा सदस्य बनाकर नया कीर्तिमान रच दिया..इसी के साथ उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश ने अपनी जगह बना ली है.. पहले चरण में ही प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा नए पुराने लोग फिर से भाजपा के सदस्य बन चुके हैं.. यकीनन एक असंभव से लक्ष्य को हासिल करने में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और नवागत मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के अलावा प्रदेश संगठन और राज्य सरकार के मंत्रियों समेत विधायक और सांसदों के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों ने मिलकर जो पर्फार्मेंस दी है.. उसने मध्यप्रदेश को एक बार फिर पूरे देश में अलग पहचान दिलाई.. कीर्तिमान ने राष्ट्रीय नेतृत्व को राहत दी तो उसे सोचने को भी मजबूर किया होगा.. तो मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता और टीम विष्णु की भी अपेक्षाएं बढ़ना लाजमी है.. जिनकी मेहनत से मध्य प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर उसे टीम से जुड़े जिम्मेदार नेता कार्यकर्ता के साथ स्वयं शुभंकर विष्णु दत्त को आखिर क्या हासिल होगा ? भाजपा ने विष्णु दत्त को प्रदेश महामंत्री से दो बार का सांसद बनाया तो उनके नेतृत्व में भाजपा ने राज्य सरकार से लेकर केंद्र में सरकार बनाने में जो बहुत बड़ी भूमिका निभाई उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.. मध्य प्रदेश के चर्चित अध्यक्ष जिन्होंने दो दशक में संगठन को एक नई दिशा दी चाहे वह नरेंद्र सिंह तोमर हो या फिर स्वर्गीय प्रभात झा और राकेश सिंह जैसे नाम से समय काल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विष्णु दत्त की सीधी तुलना कितनी जायज कहना कठिन..लेकिन बदलती बीजेपी के पीढ़ी परिवर्तन के दौर में विष्णु दत्त ने संगठन के सहयोगियों के साथ और सरकार के नेतृत्वकर्ता के साथ कदमताल कर अपनी एक पहचान जरूर बनाई.. जिनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं भले ही सामने नहीं आई लेकिन लंबी राजनीति में उनके खाते में दर्ज उपलब्धियां यह बताने के लिए काफी हैं कि अगले एक दशक की भाजपा में वह एक मजबूत कड़ी और संगठन की समझ रखने वाले महत्वपूर्ण नेता के तौर पर स्थापित हो चुके.. दो बार के सांसद विष्णु दत्त के मोदी मंत्रिमंडल के दावे को राष्ट्रीय नेतृत्व ने भले ही गंभीरता से नहीं लिया लेकिन जब तुलना दूसरे राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष से होगी तो उसे नए सिरे से जरूर सोचने को विवश होना पड़ेगा.. बात डेढ़ करोड़ के बड़े लक्ष्य की तो मंजिल अभी दूर है लेकिन फिर भी सवाल तो उठता है कि आखिर इस उपलब्धि के लिए भाजपा के शुभंकर वीडी शर्मा पर क्या इस बार देर से ही सही हाईकमान की नजरें इनायत होंगी..क्योंकि ये सवाल अब भी जिंदा है कि जिन विष्णुदत्त के नेतृत्व में भाजपा ने विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की..क्या उन्हें अब तक कुछ हासिल हो पाया है..क्या वीडी शर्मा का इंतजार कुछ ज्यादा ही लंबा नहीं खिंच गया..जिनके खाते में कई उपब्धियां तो दर्ज हैं लेकिन पुरस्कार का खाता अब भी खाली है.. तो चर्चा वीडी शर्मा के इर्द-गिर्द होना लाजिमी है जिन्होंने हर चुनौती को अवसर में बदलकर दिखाया..लेकिन हर बार उनके समर्थक, उनके शुभचिंतक मन मसोसकर रह गए..यकीनन महत्वकांक्षाएं विष्णुदत्त की भी होंगी..और राजनीति में अगर आकांक्षा ही न हो तो फिर वो राजनेता कैसा..बावजूद इसके उन्होंने पार्टी के काम को सर्वौपरी रखा..इसलिए वीडी को भले ही अब तक कुछ हासिल न हुआ हो लेकिन उन्होंने कभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से इसका जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया..फिर भी बदलती बीजेपी में उनकी नई भूमिका के साथ उन चुनौतियों को भी जानेंगे कि आखिर उनकी राह में रोड क्या और क्यों है.. विष्णु दत्त शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पहले संगठन महामंत्री सुहास भगत और उसके बाद हितानंद शर्मा के साथ कदमताल किया.. शिवराज सिंह चौहान के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद नवागत मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ भी विष्णु दत्त की जोड़ी चर्चा में है..तो केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी उनकी मजबूत अंडरस्टैंडिंग कई मौकों पर नजर आ चुकी है..खासतौर से जब कांग्रेस से आए नेताओं को भाजपा में एडजस्ट करने का समय आया तो वीडी शर्मा ने सबकी भावनाओं का पूरा ख्याल रखा.. अंदर खाने व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं, अपने विशेष अधिकारों के चलते वर्चस्व को लेकर मतभेद से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन संगठन को मजबूत करने के लिए सभी एक जुट नजर आए.. जिसका नतीजा चुनाव से जोड़कर देखा और समझा जा सकता है.. विष्णु दत्त के प्रदेश अध्यक्ष रहते शिवराज बदलती भूमिका के साथ मोदी मंत्रिमंडल में केंद्र के टॉप फाइव नेताओं में स्थापित हो चुके हैं.. तो डॉक्टर मोहन यादव ने शिवराज के उत्तराधिकारी के तौर पर मुख्यमंत्री की भूमिका में अपनी उपयोगिता साबित कर दिखाई.. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह अब संसद से विधायक और मंत्री बनकर मोहन कैबिनेट का हिस्सा है.. भाजपा की राजनीति का चर्चित चेहरा रहे पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जैसे 2023 चुनाव के सीएम इन वेटिंग भी नई भूमिका में मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके हैं.. तो मध्य प्रदेश से कई नए चेहरों को महिला या विशेष वर्ग से जुड़े होने का फायदा मिला और मोदी सरकार में मंत्री उन्हें बनाया गया.. लेकिन भाजपा के शुभंकर विष्णु दत्त शर्मा सफल प्रदेश अध्यक्ष के बावजूद सिर्फ सांसद बनकर रह गए.. जबकि लोकसभा चुनाव में कई दूसरे राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष की पद प्रतिष्ठा और पावर में इजाफा किया गया.. निसंदेह विष्णु दत्त मध्य प्रदेश मं् एक लंबी पारी खेल चुके हैं.. और अब जब डॉक्टर मोहन यादव को अपनी सरकार चलाने के लिए एक नए भरोसेमंद प्रदेश अध्यक्ष की दरकार होगी.. तो विष्णु दत्त की नई भूमिका उनकी उपलब्धियां, योग्यता, सफलता और परफॉर्मेंस के आधार पर निर्धारित होगी या फिर एडजस्टमेंट का हिस्सा बन कर रह जायेंगे.. ऐसा नहीं कि अध्यक्ष रहते विष्णु दत्त विरोधी कांग्रेस और उसके नेताओं के निशाने पर नहीं रहते तो पार्टी के अंदर अपने प्रतिस्पर्धी से ज्यादा आलोचक भी उन्होंने बनाए.. जो उनकी घेराबंदी क्षेत्र जात धर्म के आधार पर उन्हें अनफिट साबित करने के लिए करते भी रहे हैं.. लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व खासतौर से मोदी शाह नड्डा की लाइन को उन्होंने आगे ही बढ़ाया.. विष्णु दत्त जो विद्यार्थी परिषद से निकलकर बीजेपी का बड़ा चेहरा बने उनके पीछे संघ की ताकत से भी इनकार नहीं किया जा सकता.. (बूथ मैनेजमेंट की महत्वपूर्ण कड़ी कार्यकर्ताओं की खड़ी होगी नई फौज ?) भाजपा में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता के दौर में जब संघ से मतभेद इशारों-इशारों में ही सही सामने आए तब संगठन चुनाव की प्रक्रिया के शुरुआती दौर में सदस्यता अभियान देश के साथ मध्य प्रदेश में भी शुरू हुआ.. लगभग नौ साल बाद भाजपा ने अपना महासदस्यता अभियान 2 सितंबर को शुरु किया था...जिसका पहला चरण पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पूरा हुआ..आखिरी दिन ही प्रदेश भर में भाजपा के रिकार्ड सदस्य बने...नतीजा ये रहा कि मध्यप्रदेश ने पहले चरण में एक करोड़ के आंकड़े को पार कर दिखाया...करीब साढ़े चार करोड़ मतदाता वाले प्रदेश में भाजपा ने डेढ़ करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था...सांसद विधायक पार्षद से लेकर तमाम स्तरों के जनप्रतिनिधियों को अलग अलग लक्ष्य दिये गये थे..जिसे किसी ने बहुत उत्साह के साथ पूरा कर दिखाया...किसी ने लक्ष्य से भी ज्यादा सदस्य बना डाले तो कोई निर्धारित लक्ष्य से पीछे रह गया...लेकिन ओवरआल अगर मध्यप्रदेश भाजपा की पर्फार्मेंस को देखा जाए तो उसने यूपी के बाद दूसरे नंबर पर रहकर साबित कर दिया कि आज भी इस प्रदेश में भाजपा की जड़ें कितनी गहरी जमी हैं...24 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा ने महज 3 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था...जबकि महज साढ़े आठ करोड़ आबादी वाले एमपी ने डेढ़ करोड़ सदस्यों का न केवल लक्ष्य रखा..बल्कि उसके करीब पहुंचने के संकेत भी दे दिए...ये सच है कि अभियान के शुरु होने के बाद प्रदेश में भाजपा नेताओं को सदस्य बनाने में पूरी ताकत झोंकनी पड़ी...अभियान के दस दिन बाद तो प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष को अपने नेताओं को फटकार के साथ नसीहत भी देनी पड़ी..इसके बाद जरुर अभियान में तेजी आई...और आज प्रदेश में भाजपा 1 करोड़ 14 हजार सदस्य बना चुकी है..इस आंकड़े से गदगद प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने क्रेडिट खुद ना लेते हुए सदस्यता अभियान की प्रभारी टीम की जबरदस्त प्रशंसा की.. सच यही है मध्य प्रदेश भाजपा ने विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में जो नया कीर्तिमान सदस्यता अभियान का रिकॉर्ड बनाकर रचा है.. वह टीम विष्णु की मेहनत और रणनीति के साथ प्रबंधन के मोर्चे पर दूरदर्शिता का परिणाम ही माना जायेगा.. प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त और उनकी 10 सदस्यीय टीम ने राजधानी से लेकर संभाग स्तर पर प्रभारी बनाकर नेटवर्क नीचे तक स्थापित किया और पुरानी नई पीढ़ी के साथ जाति-वर्ग समुदाय से आगे नए चेहरे को तलाशा और उन्हें सदस्यता दिलवाई.. इसमें कोई दो राय नहीं कि विष्णु, हितानंद और डॉ मोहन ने मिलकर एक बार फिर मोदी शाह और नड्डा का दिल और भरोसा जीत लिया है...भारत के नक्शे पर देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी जिसने सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश को चर्चा में ला दिया.. इससे पहले चर्चा 2023 विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा सरकार बनाने फिर मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में सभी 29 सीटों पर जीत की हो रही थी.. पर अब भाजपा संगठन के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले महा सदस्यता अभियान जिसके जरिए नए सदस्य बनाकर कार्यकर्ता को नेता बनाने की कवायद.. विष्णु दत्त और हितानंद की टीम ने एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य जो हासिल किया.. उससे निश्चित ही सत्ता में रहते भाजपा का विस्तार उसकी लोकप्रियता तमाम चुनौतियों से आगे मजबूत नेटवर्क और कैडर के साथ अगला चुनाव जीतने की गारंटी की अपेक्षा की जा सकती है.. मजबूत भाजपा क्या प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को और कमजोर करेगी..क्योंकि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं का सदस्यता अभियान पर रिएक्शन और सवाल खड़ा करना भाजपा को अपने इस अभियान के बारे में सोचने को मजबूर करता है तो यह संदेश भी चला गया कांग्रेस चाह कर भी भाजपा संगठन को नजरअंदाज नहीं कर पा रही.. क्या लगातार सरकार में रहते एंटी इंकमबेंसी और कार्यकर्ताओं की बढ़ती अपेक्षा जैसी समस्याओं से भी निजात मिलेगी ? लेकिन बड़ा सवाल यहीं पर खड़ा होता है कि जिनके मार्गदर्शन और जिस टीम ने देश के मानचित्र पर मध्य प्रदेश का मान भाजपा के अंदर बढ़ाया.. क्या उसके नीति निर्धारक और नेतृत्वकर्ता के साथ टीम से जुड़े सदस्यों के काम का मूल्यांकन कर उन्हें पद प्रतिष्ठा और पावर से नवाजा जाएगा.. इससे पहले भी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रहते कई उपलब्धियों के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए.. क्या इस गलती सुधार के साथ भाजपा नेतृत्व आगे बढ़ने को मजबूर होगा.. यदि विष्णु दत्त की कार्यशैली और उनके कामकाज और उपलब्धियों का मूल्यांकन राष्ट्रीय नेतृत्व सही समय पर नहीं कर पा रहा.. तो क्या गारंटी है कि विष्णु दत्त की टीम में शामिल नया कीर्तिमान बनाने वाली नेता कार्यकर्ताओं के काम का मूल्यांकन किया जाएगा.. मध्य प्रदेश में आने वाले समय में संगठन चुनाव की प्रक्रिया ज्यों ही रफ्तार पकड़ेगी.. तो बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता है.. जरूरी बदलाव मोहन सरकार के लंबी पारी खेलने के लिए..इन परिस्थितियों में वीडी शर्मा जिन्होंने भाजपा संगठन को एक नई दिशा और रफ्तार दी...जिन्होंने बूथ लेवल पर जाकर पार्टी को मजबूत किया.. जिनके नेतृत्व में छिंदवाड़ा के गढ़ भी ध्वस्त किये गये...क्या उन्हें पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर किसी बड़ी जिम्मेदारी से नवाजेगी ? प्रदेश अध्यक्ष रहते अपना सर्वौच्च प्रदर्शन कर चुके विष्णुदत्त भी यकीनन कुछ नया करने की चाहत रखते होंगे...तो क्या भाजपा अपने अनुशासित सिपाही वीडी शर्मा को राष्ट्रीय टीम में जगह देगी या उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल होने के लिए अभी और इंतजार करना होगा...क्योंकि ये सदस्यता अभियान महज भाजपा के लिए औपचारिकता भर नहीं है...बल्कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें घटने के बाद ये बहुत महत्वपूर्ण हो गया था...ऐसे में अगर मध्यप्रदेश इस अपना लक्ष्य पूरा कर दिखाएगा तो क्या इस अभियान के सारथी वीडी शर्मा के माथे पर सफलता का सेहरा सजेगा...या हर बार की तरह जातिगत समीकरण उनके आड़े आ जाएंगे...खैर समीक्षा के साथ देर-सवेर इस सदस्यता अभियान के जब पूरे आंकड़ें सामने होंगे तब हर किसी की सफलता-असफलता का खुलासा और आंकलन होगा...तब तय होगा कि पार्टी के लिए किसने तन मन धन लगाया और कौन फिसड्डी रहा... समीक्षा के दौरान यह भी सामने आ जाएगा कि सांसद, मंत्री, विधायक, पार्षद और दूसरे पदाधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने लक्ष्य हासिल किया या फिर बात नहीं बनी.. पहले चरण में मंत्री विजय शाह के हरसूद से अच्छी खबर सामने नहीं आई.. तो समन्वय के अभाव में कई सांसद और विधायक चूक गए इनके लिए दूसरे चरण में गलती सुधार का मौका रहेगा.. बहरहाल अब देखना बाकी है कि इस महासदस्यता अभियान की पूर्णाहुति के बाद पुण्याई की खीर कब कौन खाता है.. लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीट की संख्या में आई गिरावट के बाद जब जम्मू कश्मीर और हरियाणा से लेकर झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव उसके लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहे तब संगठन चुनाव की इस प्रक्रिया में सदस्यता अभियान की विशेष मुहिम में मध्य प्रदेश ने बेहतर प्रदर्शन कर दूसरे राज्यों को सोचने को जरूर मजबूर कर दिया है.. ऐसे में मध्य प्रदेश भाजपा का एक और कीर्तिमान.. प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त के नेतृत्व में.. श्रेय के हकदार विष्णु के खाते में पहले भी कई उपलब्धियां आईं.. लेकिन दूसरे राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष की तुलना में.. विष्णु को व्यक्तिगत तौर पर अभी तक कुछ खास हासिल नहीं हुआ.. चाहे अंतिम समय में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना हो.. या फिर बात बतौर प्रदेश अध्यक्ष एक लंबी पारी खेलने के बाद भविष्य की नई भूमिका जिस पर फैसला भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की टीम के साथ ही सामने आएगा.. पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सार्वजनिक तौर पर विष्णु की पीठ थपथपा कर उनका हौसला बढ़ा चुके हैं.. पीएम मोदी की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हुए अमित शाह की कार्यशैली में फिट और जेपी नड्डा की लाइन को आगे बढ़ाकर विष्णुदत्त ने प्रदेश अध्यक्ष रहते समय के साथ समन्वय की सियासत को एक नई दिशा दे पार्टी को विवादों से दूर मजबूती दी है..संगठन प्रमुख के नाते उनकी अपनी व्यक्तिगत दिशा को लेकर संभावनाओं के साथ चुनौतियों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.लेकिन सदस्यता अभियान में यदि आंकड़ों की बाजीगरी और विवादित आपराधिक छवि वाले सदस्य और कार्यकर्ताओं से पार्टी को दूर रखना किसी चुनौती से कम नहीं माना जा रहा..सवाल सदस्यता का कीर्तिमान बनाने से क्या कार्यकर्ताओं की सूची में भी विस्तार होगा तो क्या सार्थक परिणाम की उम्मीदें बढ़ नहीं जाएंगी ? भाजपा के कब्जे वाली विधानसभा सीट से आगे क्या संगठन कांग्रेस के दबदबे वाले विधानसभा क्षेत्रों में कमल खिलाने की चुनौती से बाहर निकल पाएगी वो भाजपा जिसे विष्णुदत्त ने अपने कार्यकाल में नई धार दी..बूथ मैनजमेंट में सदस्य से कार्यकर्ता और कार्यकर्ता से नेता बनने की प्रक्रिया क्या चुनाव में भाजपा की जीत की गारंटी साबित होगी... उनकी जिस टीम और कार्यकर्ताओं की फौज ने नगरीय निकाय चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित कराई.. क्या उनका सियासी कद और स्वीकार्यता बढ़ेगी और क्या गारंटी पार्टी के अंदर भविष्य की टीम में ये चेहरे पदोन्नति के साथ नई भूमिका में नजर आएंगे.. जहां तक भाजपा के सदस्यता अभियान का है तभी पहले चरण खत्म होने के बाद समीक्षा के साथ दूसरे चरण आगज होना है.. तो इंतजार करना होगा मध्य प्रदेश में जो बढ़त ली है क्या वह बरकरार रहेगी.
सवाल दर सवाल - राकेश अग्निहोत्री