दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 74वां जन्मदिन भी है। केजरीवाल ने इस्तीफे की घोषणा आम आदमी पार्टी (AAP) के दफ्तर में की, जहाँ उन्होंने भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "भाजपा ने मुझ पर बेईमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अब मेरी ईमानदारी का फैसला जनता की अदालत करेगी। दो-तीन दिन में विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा।" केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि चुनाव तक वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, और मनीष सिसोदिया भी कोई पद नहीं लेंगे।
इस्तीफे की तारीख 17 सितंबर क्यों?
इस घोषणा के बाद दिल्ली की मंत्री आतिशी ने स्पष्ट किया कि केजरीवाल ने 17 सितंबर को इस्तीफा देने का समय इसलिए चुना क्योंकि 16 सितंबर को ईद की छुट्टी है और 17 सितंबर को कार्यदिवस होगा। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 74वां जन्मदिन मनाएंगे, जिसके कारण मोदी पहले कुछ समय गुजरात में रहेंगे और फिर ओडिशा जाएंगे।
नया मुख्यमंत्री कौन होगा?
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद, आम आदमी पार्टी दो-तीन दिन में नए मुख्यमंत्री का चयन करेगी। संभावित उम्मीदवारों में आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और सुनीता केजरीवाल का नाम सामने आ रहा है।
केजरीवाल का अगला कदम
केजरीवाल अब हरियाणा विधानसभा चुनाव पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे, जो 5 अक्टूबर को होने वाले हैं। आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी वे प्रचार कर सकते हैं।
केजरीवाल की जेल स्पीच और संदेश
अरविंद केजरीवाल ने अपनी स्पीच के दौरान कई महत्वपूर्ण संदेश दिए। वे भगत सिंह की "जेल डायरी" लेकर सभा में पहुँचे और कहा कि भगत सिंह के बाद अब उन्होंने क्रांतिकारी मुख्यमंत्री के रूप में जेल की सजा काटी। उन्होंने कहा, "भगत सिंह के खत अंग्रेज बाहर ले जाते थे, पर मेरी चिट्ठी दिल्ली के एलजी तक नहीं पहुंचाई गई।"
उन्होंने खुद की तुलना माता सीता से करते हुए कहा, "जब भगवान राम वनवास से लौटे थे, तब माता सीता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। आज मुझे भी अपनी अग्निपरीक्षा देनी पड़ रही है।"
केजरीवाल के इस्तीफे के तीन बड़े मायने:
- मुख्यमंत्री लेकिन बिना पावर: सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत तो दी है, लेकिन शर्त रखी है कि वे मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकते और न ही किसी सरकारी फाइल पर साइन कर सकते हैं। इस कारण, उनके पास मुख्यमंत्री रहते हुए भी पावर नहीं रहेगा।
- 5 महीने का कार्यकाल: दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 तक है, लेकिन केजरीवाल इस दौरान जनता की सहानुभूति प्राप्त करना चाहते हैं। वे दिल्ली में पहले चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं ताकि इस सहानुभूति का फायदा उठा सकें।
- भाजपा का जवाब: भाजपा ने लंबे समय से केजरीवाल से इस्तीफा मांगा था। अब वे भाजपा के सभी आरोपों का जवाब यह कहकर देंगे कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
- बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद: "जिस व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया, वह खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हो गया।"
- कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी: "अगर वह जेल में रहते हुए मुख्यमंत्री बने रह सकते थे, तो बाहर भी रह सकते थे।"
- नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला: "वह सत्ता के भूखे नहीं हैं और जनता के बीच जाकर अपना फैसला चाहते हैं।"
इस इस्तीफे के बाद दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, और आम आदमी पार्टी अगले चुनाव के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है।