दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अरविंद केजरीवाल ने अपनी भरोसेमंद मंत्री आतिशी को दिल्ली की मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है, जो केजरीवाल की एक रणनीतिक चाल मानी जा रही है। यह कदम आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। खासतौर पर इसलिए क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के पास दिल्ली में कोई मजबूत महिला चेहरा नहीं है, जो आतिशी को चुनौती दे सके।
केजरीवाल का इस्तीफा और आतिशी की ताजपोशी
दिल्ली शराब घोटाले में जमानत पर जेल से बाहर आए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार शाम को अपने पद से इस्तीफा देंगे। इस इस्तीफे से पहले आतिशी को आम आदमी पार्टी के विधायक दल का नेता चुन लिया गया है, जिससे यह तय हो गया है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री अब आतिशी होंगी। अपने पांच साल के राजनीतिक करियर में आतिशी ने विधायक से लेकर मंत्री और अब मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय कर लिया है।
महिला वोटरों को साधने का दांव
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाकर महिला वोटरों को साधने की योजना बनाई है। दिल्ली में 46% मतदाता महिलाएं हैं, और पिछले कुछ चुनावों में इनका मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है। आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर AAP ने महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया है, जिससे महिला मतदाता आम आदमी पार्टी की तरफ आकर्षित हो सकती हैं। यह कदम बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती पैदा करेगा, जिनके पास इस समय कोई प्रमुख महिला नेता नहीं है।
महिलाओं के लिए केजरीवाल सरकार की योजनाएं
केजरीवाल सरकार ने महिलाओं के लिए पहले से ही कई लोकलुभावन योजनाएं चलाई हैं, जैसे 2019 में शुरू की गई मुफ्त बस यात्रा योजना, जिससे 40% महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। इसके अलावा, महिला मोहल्ला क्लीनिक जैसी स्वास्थ्य सेवाओं ने महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। अब आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर आधी आबादी के वोटों पर पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
पंजाबी समुदाय को साधने की कोशिश
आतिशी का पंजाबी समुदाय से आना, AAP के लिए एक और बड़ा लाभ हो सकता है। दिल्ली में लगभग 30% पंजाबी मतदाता हैं, जो कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर पंजाबी समुदाय को साधने की रणनीति अपनाई है, जो पहले बीजेपी का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता था। अब आम आदमी पार्टी पंजाबी और वैश्य समुदाय पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जिसमें आतिशी का सीएम बनना एक अहम कदम है।
शिक्षा के क्षेत्र में आतिशी की भूमिका
आतिशी ने दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मनीष सिसोदिया के शिक्षा मंत्री रहते हुए, आतिशी उनकी सलाहकार थीं और उनके सुझावों पर ही दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुधार किए गए थे। 'हैप्पीनेस करिकुलम' की शुरुआत आतिशी के ही मार्गदर्शन में हुई थी, जिसका मकसद नर्सरी से लेकर 8वीं कक्षा तक के बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत करना है।
AAP की नई रणनीति
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर चुनावी मैदान में एक भरोसेमंद और आक्रामक चेहरा पेश किया है। आतिशी अपनी तेज-तर्रार शैली और दमदार भाषणों के लिए जानी जाती हैं। केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह के जेल जाने के बाद, आतिशी ने पार्टी के संघर्ष को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब, जब उन्हें दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है, तो यह देखना होगा कि विपक्ष किस तरह की रणनीति बनाता है।
चुनावी समीकरण पर प्रभाव
आम आदमी पार्टी के इस फैसले से दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। महिला सशक्तिकरण, पंजाबी समुदाय और शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, आतिशी का मुख्यमंत्री बनना AAP के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और कांग्रेस किस प्रकार की रणनीति अपनाते हैं, क्योंकि उनके पास फिलहाल आतिशी जैसी दमदार महिला नेता नहीं है।
इस तरह, आतिशी का मुख्यमंत्री बनना न केवल दिल्ली की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा कर रहा है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी की एक बड़ी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।