अमेरिका एक बार फिर विनाशकारी प्राकृतिक आपदा का सामना करने जा रहा है। इस बार मिल्टन नामक भयंकर तूफान तेजी से फ्लोरिडा की ओर बढ़ रहा है, जो इस वक्त मैक्सिको की खाड़ी से गुजर रहा है और फ्लोरिडा तट से करीब 1000 किलोमीटर दूर है। अमेरिका के नेशनल हेरिकेन सेंटर ने इसे श्रेणी-5 के खतरे में रखा है, जो सबसे खतरनाक तूफानों में से एक है। इस तूफान की तीव्रता 298 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गई है और इसके कारण अब तक 2000 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द की जा चुकी हैं।
10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया
तूफान के खतरों को देखते हुए फ्लोरिडा के तटवर्ती इलाकों को खाली कराया जा रहा है। अब तक प्रशासन ने 10 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के आदेश दिए हैं, जिनमें से करीब 5 लाख लोगों को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है। शेष लोगों को निकालने का काम तेजी से जारी है।
तूफान का प्रभाव और विनाशकारी शक्ति
मिल्टन तूफान का केंद्र फ्लोरिडा के टैंपा खाड़ी की ओर बढ़ रहा है, जो एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है। नेशनल हेरिकेन सेंटर का कहना है कि यह तूफान फ्लोरिडा के पश्चिमी मध्य हिस्से में अब तक का सबसे विनाशकारी तूफान हो सकता है। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैंपा पहुंचने पर कमजोर पड़ सकता है और फिर अटलांटिक महासागर की तरफ बढ़ जाएगा।
हेलेन तूफान से भी ज्यादा खतरनाक
मिल्टन तूफान से पहले, कुछ हफ्ते पहले ही अमेरिका में हेलेन तूफान ने भी भारी तबाही मचाई थी, जिसमें करीब 225 लोगों की जान चली गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि मिल्टन तूफान हेलेन से भी ज्यादा घातक हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप जन-धन की भारी हानि हो सकती है।
राष्ट्रपति बाइडेन की चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे एक "जिंदगी और मौत" का मामला बताया है और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यह तूफान फ्लोरिडा में एक सदी से भी अधिक समय में आने वाली सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदा हो सकती है। बाइडेन ने लगातार अधिकारियों से हालात का जायजा लिया है और लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का वादा किया है।
निष्कर्ष
मिल्टन तूफान का खतरा अमेरिका के तटीय इलाकों पर मंडरा रहा है और इसे लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। हालाँकि, फ्लोरिडा के तटीय क्षेत्रों में लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, लेकिन सरकार और राहत एजेंसियाँ लगातार प्रयास कर रही हैं कि इस आपदा से होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके।