दिल्ली की बागडोर आतिशी के हाथ: अस्थायी CM चुनने की अंदरूनी कहानी

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी ने आतिशी को विधायक दल का नया नेता चुना ।

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दिल्ली की बागडोर आतिशी के हाथ: अस्थायी CM चुनने की अंदरूनी कहानी
आप' नेता आतिशी दिल्ली के छठे मुख्यमंत्री के रूप में । 

आतिशी बनीं अस्थायी CM: अंदरूनी कहानी

17 सितंबर को सुबह 11:30 बजे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर एक महत्वपूर्ण बैठक रखी गई थी, जहां तय किया जाना था कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा। बैठक के समय पर विधायक पहुंचने लगे, और कुछ विधायक 11:40-45 तक आ गए। सबसे आखिर में सोमनाथ भारती पहुंचे। लेकिन इससे पहले ही केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रख दिया था। प्रस्ताव सुनकर कुछ विधायकों ने सहमति में हामी भरी, जबकि कुछ ने मौन साध लिया।

मनीष सिसोदिया ने बैठक में कहा, "आतिशी हमारी नई मुख्यमंत्री होंगी। किसी को कोई आपत्ति है?" इस पर किसी ने विरोध नहीं किया। 30 मिनट की बैठक में बिना किसी चर्चा या सलाह-मशविरे के यह फैसला सुनाया गया।

विधायकों को नाम का पहले से कोई अंदाज़ा नहीं

सूत्रों के अनुसार, विधायकों को पहले से यह जानकारी नहीं थी कि अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आने के बाद इस्तीफा देंगे और नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा। उन्हें बस बैठक में बुलाया गया और नए मुख्यमंत्री का नाम घोषित कर दिया गया। उम्मीद थी कि दो-तीन नामों की सूची पर चर्चा होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

आतिशी पर सहमति, लेकिन असहमति का मौन

विधायकों में कुछ ने आतिशी के नाम पर सहमति जताई, जबकि बाकी चुप रहे। सूत्र बताते हैं कि जिन विधायकों ने पहले पार्टी से असहमति जताई थी, वे या तो पार्टी से इस्तीफा देकर जा चुके हैं या पार्टी ने उन्हें निकाल दिया। इस बार कोई भी विरोध करने की स्थिति में नहीं था।

आतिशी की जगह सौरभ या गहलोत?

कुछ विधायकों की पसंद सौरभ भारद्वाज और कैलाश गहलोत थे। सौरभ का पार्टी में सभी से अच्छा संबंध है, जबकि कैलाश गहलोत का प्रशासनिक अनुभव एलजी के साथ काम में आ सकता था। लेकिन अंत में आतिशी का नाम सामने आया, जिसे अस्थायी मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार कर लिया गया।

आतिशी का चयन: केजरीवाल और सिसोदिया की पसंद?

सूत्र बताते हैं कि आतिशी को ज्यादा पसंद सिसोदिया करते हैं, जबकि केजरीवाल को भी उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं थी। आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने केजरीवाल की गैरमौजूदगी में अच्छी जिम्मेदारी निभाई, जिससे उनकी छवि भी सकारात्मक रही। हालांकि, यह स्पष्ट है कि आतिशी का चयन एक अस्थायी व्यवस्था के तहत किया गया है, और असली शक्ति केजरीवाल के पास ही रहेगी।

इस प्रकार, आतिशी का चयन पार्टी नेतृत्व की ओर से किया गया फैसला था, और इसे अस्थायी समाधान मानते हुए विधायकों ने इसे स्वीकार किया।