केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार पर पीएम श्री योजना को लेकर रुख बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार राजनीतिक लाभ के लिए नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तीन भाषा फॉर्मूले का विरोध कर रही है। प्रधान ने यह भी कहा कि डीएमके की यह रणनीति दोहरे मापदंड को उजागर करती है।
एनईपी 2020 का विरोध राजनीतिक लाभ के लिए
केंद्रीय मंत्री ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में स्पष्ट किया कि नई शिक्षा नीति 2020 का विरोध तमिल गौरव, भाषा और संस्कृति की रक्षा से संबंधित नहीं है, बल्कि यह केवल राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार अपनी सुविधा के अनुसार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रही है।
तमिलनाडु सरकार का पत्र साझा किया
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में तमिलनाडु के शिक्षा विभाग का एक पत्र साझा किया, जो मार्च 2024 का था। इस पत्र में उल्लेख था कि तमिलनाडु सरकार पीएम श्री स्कूलों की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की इच्छुक है और इस संबंध में एक समिति का भी गठन किया गया है।
प्रधान ने लिखा, "कल डीएमके सांसदों और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मुझ पर संसद में यह गलत जानकारी देने का आरोप लगाया कि तमिलनाडु ने पीएम श्री स्कूलों की स्थापना के लिए सहमति दी थी। मैं संसद में दिए गए अपने बयान पर अडिग हूं और 15 मार्च 2024 की तारीख वाला तमिलनाडु स्कूली शिक्षा विभाग का सहमति पत्र साझा कर रहा हूं।"
डीएमके सरकार पर सच छिपाने का आरोप
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, "मुख्यमंत्री स्टालिन जितना चाहें झूठ बोल सकते हैं, लेकिन सच को छुपाया नहीं जा सकता। डीएमके सरकार को तमिलनाडु के लोगों को जवाब देना होगा। भाषा के मुद्दे को एक नया मोड़ देने और अपनी सुविधा के अनुसार तथ्यों को नकारने से उनकी सरकार की कमियां उजागर हो रही हैं।"
तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन भाषा फॉर्मूले को लागू करने को लेकर मतभेद लंबे समय से चले आ रहे हैं। डीएमके सरकार हिंदी भाषा को तमिल पर थोपने का विरोध कर रही है, जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि तीन भाषा फॉर्मूले का उद्देश्य छात्रों को बहुभाषी शिक्षा से लाभान्वित करना है।
लोकसभा में हंगामा
प्रधान की इस टिप्पणी के बाद लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। उन्होंने सदन में कहा था कि तमिलनाडु सरकार पीएम श्री योजना को लागू करने के मामले में ईमानदार नहीं है और उसने अपने रुख में बदलाव किया है। उनके इस बयान पर डीएमके सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि प्रधान तमिलनाडु का अपमान कर रहे हैं। विरोध को देखते हुए केंद्रीय मंत्री को अपनी टिप्पणी वापस लेनी पड़ी और सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई।
निष्कर्ष
पीएम श्री योजना को लेकर केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच चल रही तनातनी राजनीति में एक नया मोड़ ले रही है। जहां केंद्र सरकार इसे शिक्षा सुधारों के लिए एक बड़ा कदम बता रही है, वहीं डीएमके इसे तमिल भाषा और संस्कृति के खिलाफ बताया जा रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे निकलता है और दोनों सरकारें शिक्षा के मुद्दे पर किस प्रकार आगे बढ़ती हैं।