शिवसेना विधायक का विवादित बयान: राहुल गांधी की जीभ काटने पर 11 लाख का इनाम

शिवसेना विधायक का विवादित बयान: राहुल गांधी की जीभ काटने पर 11 लाख का इनाम

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शिवसेना विधायक का विवादित बयान: राहुल गांधी की जीभ काटने पर 11 लाख का इनाम
शिवसेना विधायक का विवादित बयान: राहुल गांधी की जीभ काटने पर 11 लाख का इनाम

महाराष्ट्र की राजनीति में एक और विवाद उस समय खड़ा हो गया जब शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ने एक आपत्तिजनक बयान दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देंगे। गायकवाड़ विदर्भ के बुलढाणा से विधायक हैं और उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बयान दिया। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने अमेरिका में जाकर जो आरक्षण खत्म करने की बात कही, वह धोखा है। जो उनकी जीभ काटकर लाएगा, उसे मैं 11 लाख रुपये दूंगा।"

विवाद की शुरुआत

यह बयान राहुल गांधी के हाल ही में दिए गए बयान के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका में आरक्षण व्यवस्था पर टिप्पणी की थी। गायकवाड़ का मानना है कि राहुल का यह बयान आरक्षण का विरोध करता है, जिससे जनता को धोखा महसूस हो रहा है।

भाजपा ने खुद को किया अलग

इस बयान के बाद भाजपा ने तुरंत खुद को इस विवाद से अलग कर लिया। महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने साफ कहा कि उनकी पार्टी इस तरह की भाषा का समर्थन नहीं करती। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी कभी आरक्षण पर सवाल उठाए थे, लेकिन इस तरह की हिंसक भाषा का समर्थन नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंधे ने गायकवाड़ के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि गायकवाड़ पर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। कांग्रेस ने इसे एक गैर-जिम्मेदाराना बयान करार दिया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।

संजय गायकवाड़ का विवादित इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब संजय गायकवाड़ विवादों में घिरे हैं। पिछले महीने उनकी एक वीडियो वायरल हुई थी जिसमें उनकी कार को एक पुलिसकर्मी धो रहा था। फरवरी में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 1987 में बाघ का शिकार किया और उसके दांत को गले में पहना है। उस बयान के बाद भी विवाद खड़ा हो गया था, और जांच भी शुरू की गई थी।

गायकवाड़ के इस ताजा बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मच गया है, और कई नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है।