सिंधी समाज के प्रतिनिधि मंडल ने रक्षामंत्री और सांसद राजनाथ सिंह से मुलाकात कर भगवान झूलेलाल जयंती पर उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है। यह बैठक रविवार को लखनऊ में आयोजित की गई, जिसमें सिंधु सभा और अन्य संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे।
भगवान झूलेलाल की महत्ता
सिंधु सभा के अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने बैठक के दौरान बताया कि भगवान झूलेलाल सिंधी हिंदुओं के प्रमुख देवता हैं, जिन्हें वरुण देव का अवतार माना जाता है। उनके जन्मदिन को सिंधी समुदाय बड़े धूमधाम से 'चेटीचंड' के रूप में मनाता है, जो सिंधी नववर्ष के रूप में भी प्रसिद्ध है। इस पावन अवसर पर देश के कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है, विशेषकर उन राज्यों में जहां बीजेपी सत्ता में है।
मोतियानी ने कहा, "अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी भगवान झूलेलाल जयंती पर अवकाश घोषित किया जाना चाहिए। इससे ना केवल सिंधी समाज को मान्यता मिलेगी, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मान मिलेगा।"
झूलेलाल वाटिका के स्वागत द्वार की मांग
प्रतिनिधि मंडल ने राजनाथ सिंह के समक्ष लखनऊ स्थित झूलेलाल वाटिका में भगवान झूलेलाल के स्वागत द्वार के निर्माण की मांग भी रखी। इस पर राजनाथ सिंह ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जल्द ही इस मांग को पूरा किया जाएगा। बैठक के दौरान लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल भी उपस्थित थीं। उन्होंने बताया कि नगर निगम की कार्यकारिणी ने पहले ही स्वागत द्वार के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, और इसे जल्द से जल्द कार्यान्वित किया जाएगा।
प्रतिनिधि मंडल में शामिल प्रमुख सदस्य
इस महत्वपूर्ण बैठक में सिंधु सभा के अध्यक्ष अशोक मोतियानी के साथ पंजाबी समाज के अनिल बजाज ने नेतृत्व किया। इनके अलावा मेला कमेटी के अध्यक्ष रतन मेघानी, महामंत्री संजय जसवानी, पूर्व अध्यक्ष अशोक चांदवानी, पुनीत लाल चंदानी, हंस राज राज्यपाल, दीपक गुरनानी, जितेंद्र अरोड़ा, किशन चंद बाबानी समेत कई अन्य प्रमुख सदस्य भी मौजूद रहे।
सार्वजनिक अवकाश की मांग क्यों है महत्वपूर्ण?
सिंधी समाज का कहना है कि भगवान झूलेलाल जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने से समाज के लोगों को अपनी परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं को मनाने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। यह कदम सरकार की ओर से सिंधी समुदाय के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाएगा। इस मांग के जरिए समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए प्रयासरत है।
निष्कर्ष
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई इस बैठक को सिंधी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार इस मांग को मान लेती है, तो इससे राज्य में सिंधी समुदाय के प्रति समर्थन और समर्पण का एक महत्वपूर्ण संदेश जाएगा।
इस मुद्दे पर आगामी दिनों में और चर्चा होने की उम्मीद है, क्योंकि समाज की ओर से इसे व्यापक समर्थन मिल रहा है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है।