कमलनाथ: दो कदम आगे, चार कदम पीछे – एक सियासी अद्भुत कथा

कमलनाथ की राजनीति की नई दिशा

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कमलनाथ: दो कदम आगे, चार कदम पीछे – एक सियासी अद्भुत कथा

कमलनाथ की राजनीति की नई दिशा

कमलनाथ… भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम, कांग्रेस और मध्य प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा। पिछले कुछ समय से, जबसे राजनीति के मैदान में उतरे, कमलनाथ ने अपने अनुभव और प्रभाव का परिचय दिया। लेकिन आज वह एक अलग स्थिति में नजर आते हैं। कभी कांग्रेस के लिए सब कुछ होने वाले कमलनाथ आज छिंदवाड़ा तक सीमित नजर आते हैं, और दिल्ली से दूरी बनाए रखते हुए, कभी-कभार अपने ट्वीट या मेल मुलाकात के जरिए चर्चा में आते हैं।

छिंदवाड़ा से दिल्ली तक की यात्रा

कमलनाथ, जिन्होंने कभी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता और संगठन के सारे सूत्र थामे थे, आज छिंदवाड़ा की सीमाओं में कैद नजर आते हैं। विधानसभा चुनावों में उनकी उपस्थिति दर्ज कराने के बावजूद, कांग्रेस में अपनी उपयोगिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। लोकसभा की 29 वीं सीट छिंदवाड़ा खोने के बाद, उनकी नेतृत्व क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लग चुका है। हालांकि वह राहुल गांधी के साथ खड़े नजर आते हैं, पार्टी में उनकी उपयोगिता पर विवाद बढ़ गया है।

अमरवाड़ा उपचुनाव – एक नई चुनौती

छिंदवाड़ा से दूरी के बाद, कमलनाथ अमरवाड़ा उपचुनाव के जरिए एक बार फिर सुर्खियों में आए हैं। उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए गंभीरता और जिम्मेदारी से जुड़े सवाल खड़े हो गए हैं। पुत्र नकुलनाथ की हार के बाद, छिंदवाड़ा से उनकी दूरी और उपचुनाव में गैरमौजूदगी ने चर्चाओं का केंद्र बना दिया है। उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी धीरेनशा को टिकट दिलाने में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठे हैं।

कमलनाथ का बदलता रुख

कमलनाथ अब कांग्रेस दफ्तर में दिखने लगे हैं, और कभी-कभार सरकार और मोदी सरकार के खिलाफ ट्वीट कर रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि वह खुद को बदलती कांग्रेस में असहज महसूस कर रहे हैं। नर्सिंग घोटाले को लेकर उनकी चुप्पी और 2023 की हार के बाद पार्टी के नए नेतृत्व द्वारा उनकी असहजता ने उनकी छवि को प्रभावित किया है।

भविष्य की संभावनाएं और प्रश्न

कमलनाथ अब अमरवाड़ा के उपचुनाव के माध्यम से एक अंतिम प्रयास कर रहे हैं। चुनावी सभाओं में जनता से भावुक अपीलें और अपनी सरकार गिराने की घटनाओं को याद करते हुए, वह भविष्य की ओर देखना कठिन पा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या कमलनाथ दिल्ली की सियासत में वापसी करना चाहते हैं? क्या वह नए राहुल युग में अपनी जगह बना पाएंगे?

निष्कर्ष

कमलनाथ का राजनीतिक करियर आज एक भ्रामक स्थिति में है। छिंदवाड़ा की हार और अमरवाड़ा उपचुनाव के परिणाम उनके भविष्य की दिशा तय करेंगे। क्या वह दिल्ली दरबार से अपने संबंधों पर जमी धूल को हटाकर फिर सक्रिय होंगे, या खुद ही पारी समाप्ति की घोषणा का इंतजार करेंगे? यह समय ही बताएगा।