शनिवार रात मुंबई में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मच गई है। बाबा सिद्दीकी पर कई राउंड फायरिंग की गई, जिसमें से दो गोलियां उनके पेट में लगीं। उन्हें तुरंत लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों की पूरी कोशिश के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
यह घटना तब हुई जब बाबा सिद्दीकी अपने बेटे और बांद्रा (वेस्ट) से विधायक जीशान सिद्दीकी के ऑफिस से बाहर निकल रहे थे। अचानक हमलावरों ने उन पर तीन से चार गोलियां चलाईं, जिनमें से एक गोली उनके सीने को पार कर गई। वहीं, एक गोली उनके सहयोगी को भी छूकर निकल गई।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस हत्या के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "बाबा सिद्दीकी का दुखद निधन बेहद चौंकाने वाला और शब्दों से परे है। इस कठिन समय में मैं उनके परिवार, मित्रों और समर्थकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। न्याय सुनिश्चित होना चाहिए।"
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं:
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इस घटना को महाराष्ट्र सरकार की विफलता करार दिया और इसे अपराधियों को दिए जा रहे समर्थन का परिणाम बताया। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो यह साबित करती है कि महाराष्ट्र में अपराधियों को समर्थन मिल रहा है।"
वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने इसे राज्य की खराब कानून-व्यवस्था का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, "बाबा सिद्दीकी एक लोकप्रिय नेता थे और उनकी हत्या दर्शाती है कि महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।"
शिवसेना और ठाकरे गुट की प्रतिक्रिया:
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर बाबा सिद्दीकी की हत्या को चौंकाने वाला बताया और महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा, "यह हत्या महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की खराब स्थिति को उजागर करती है। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।"
राजनीतिक सफर:
बाबा सिद्दीकी का राजनीतिक सफर भी चर्चा का विषय बन गया है। वे 1999, 2004 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर बांद्रा (वेस्ट) से विधायक चुने गए थे। 2004 से 2008 तक वे विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री भी रहे थे। उन्होंने 48 साल तक कांग्रेस में काम किया और इस साल फरवरी में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल हुए थे।
बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उबाल देखने को मिल रहा है, और इस घटना ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और दोषियों को कब तक कटघरे में लाया जाता है।