उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। पहले इन उपचुनावों की तारीख 13 नवंबर निर्धारित की गई थी, लेकिन त्योहारों के कारण चुनाव आयोग ने इसे आगे बढ़ाते हुए अब 20 नवंबर को वोटिंग कराने का फैसला लिया है। इन 9 सीटों पर अब चुनाव प्रचार पूरी तरह से थम चुका है, और राजनीतिक पार्टियों ने अपनी अंतिम तैयारियों पर जोर दे दिया है।
समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से की विशेष मांग
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग को एक विस्तृत पत्र लिखा है, जिसमें कई अहम मांगें की गई हैं। सपा ने आयोग से अनुरोध किया है कि मतदान के दिन किसी भी पुलिसकर्मी को मतदाताओं की पहचान पत्र (आईडी) की जांच करने की अनुमति न दी जाए। पार्टी का कहना है कि केवल पोलिंग बूथ पर नियुक्त पोलिंग ऑफिसर ही मतदाताओं की आईडी चेक करें।
सपा ने अपने पत्र में 'हैंडबुक फॉर रिटर्निंग ऑफिसर' के एक पैराग्राफ का भी उल्लेख किया है, जिसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि मतदान के समय किसी भी प्रकार की अनावश्यक जांच से बचा जाए। पार्टी का आरोप है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कई बूथों पर मुस्लिम महिलाओं को डराने-धमकाने का काम किया गया था। इसलिए, इस बार उपचुनाव में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए चुनाव आयोग को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
मतगणना के बाद प्रमाणित वोटिंग रिपोर्ट की मांग
इसके अतिरिक्त, समाजवादी पार्टी ने एक और महत्वपूर्ण मांग की है। पार्टी चाहती है कि 9 सीटों पर मतदान समाप्त होने के बाद, प्रत्येक पोलिंग बूथ के एजेंट को कुल पड़े हुए वोटों की प्रमाणित रिपोर्ट दी जाए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम पाल पाल द्वारा भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि एजेंट को प्रमाणित कॉपी मिलने से चुनाव में पारदर्शिता बनी रहेगी और चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहेगी।
लोकसभा चुनाव में भी सपा ने लगाए थे गड़बड़ी के आरोप
यह पहली बार नहीं है जब सपा ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने कई पोलिंग बूथों पर गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। हालांकि, उस समय चुनाव आयोग ने सभी शिकायतों की गहन समीक्षा की थी और हर मामले का समाधान भी किया था। लेकिन इस बार विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए सपा ने फिर से अपने पुराने मुद्दों को उठाते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है।
चुनाव आयोग का रुख
चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने उपचुनाव की तारीख घोषित करते समय यह सुनिश्चित किया था कि चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
कौन-कौन सी सीटों पर होंगे चुनाव?
इस बार जिन 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, वे हैं:
- फूलपुर
- गाजियाबाद
- मझवां
- खैर
- मीरापुर
- सीसामऊ
- कटेहरी
- करहल
- कुंदरकी
इन सीटों पर उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे, जो महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के साथ ही सामने आएंगे।
चुनाव की तारीख में बदलाव क्यों हुआ?
गौरतलब है कि पहले इन 9 सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग 13 नवंबर को होने वाली थी। लेकिन, त्योहारों के मद्देनजर चुनाव आयोग ने तारीख को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और अब 20 नवंबर को मतदान कराया जाएगा। चुनाव आयोग का यह कदम सुनिश्चित करता है कि चुनाव के दौरान मतदाताओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
उत्तर प्रदेश के इस उपचुनाव को आगामी विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है, इसलिए सभी राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब देखना होगा कि चुनाव परिणाम क्या रुख लेते हैं और किस पार्टी को जनता का समर्थन मिलता है।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश का यह उपचुनाव केवल राज्य की राजनीति को ही नहीं, बल्कि आगामी राष्ट्रीय राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।