मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण के मुद्दे ने गंभीर रूप ले लिया। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के बीच पथराव होने लगा, जिसमें चार लोग घायल हो गए। मामला खटखरी चौकी क्षेत्र के महादेवन मंदिर की जमीन से जुड़ा है। प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए कड़ी कार्रवाई की और क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
अतिक्रमण हटाने पहुंचे विधायक, बढ़ा विवाद
मंगलवार शाम को महादेवन मंदिर से सटी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल अपने समर्थकों और जेसीबी मशीन के साथ पहुंचे। विधायक ने दीवार तोड़ने की कोशिश की, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने इसका विरोध किया। जल्द ही यह विवाद हिंसक झड़प में बदल गया और दोनों पक्षों के बीच पथराव शुरू हो गया।
विधायक और उनके समर्थक जिला प्रशासन पर कब्जा हटाने का दबाव बना रहे थे। बता दें कि इस भूमि विवाद पर कोर्ट ने जुलाई में स्टे दे दिया था, लेकिन कब्जा अभी तक नहीं हट पाया।
धरना और भूख हड़ताल ने बढ़ाई गर्मी
महादेवन मंदिर परिसर में तीन दिनों से हिंदूवादी नेता संतोष तिवारी भूख हड़ताल कर रहे थे। उनका कहना था कि मंदिर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त किया जाए। मंगलवार शाम को विधायक प्रदीप पटेल ने इस धरने में हिस्सा लिया और दीवार तोड़ने का प्रयास किया। इसी दौरान स्थिति बिगड़ गई और विवाद हिंसक हो गया।
प्रशासन की कार्रवाई
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए मऊगंज के कलेक्टर अजय श्रीवास्तव और एसपी रसना ठाकुर ने तत्काल कदम उठाए। क्षेत्र में धारा 144 (अब धारा 163) लागू कर दी गई। रीवा से अतिरिक्त बल और ब्रज वाहन मंगवाए गए।
विधायक प्रदीप पटेल को हिरासत में लेकर रीवा भेज दिया गया है। दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। प्रशासन का कहना है कि हालात अब नियंत्रण में हैं।
तीन महीने से लंबित है मामला
यह विवाद जुलाई में शुरू हुआ था, जब कोर्ट ने जमीन पर स्टे दिया था। बावजूद इसके, कब्जा हटाने के लिए लगातार मांग की जा रही थी। विधायक का कहना है कि तीन महीने बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिस वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
घटनास्थल पर तैनात किया गया बल
मऊगंज में इस समय शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। घायलों को प्राथमिक चिकित्सा दी गई है, जिनमें तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि चौथे व्यक्ति को मामूली चोटें आई हैं।
निष्कर्ष:
मऊगंज की इस घटना ने प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व के बीच तालमेल की कमी को उजागर किया है। मंदिर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का यह मामला कानूनी प्रक्रिया के बीच अटक गया है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। प्रशासन का कहना है कि शांति बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।