मध्य प्रदेश में सड़कों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) ने नई तकनीक अपनाने का फैसला किया है। इसके तहत 21 जिलों में 41 मार्गों का निर्माण आधुनिक "वाइट टॉपिंग" तकनीक से किया जाएगा। इन सड़कों की कुल लंबाई 109.31 किलोमीटर होगी। विभाग ने इस परियोजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने की योजना बनाई है, जिसे चार महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
परियोजना की खास बातें
- शुरुआत की समयसीमा: नवंबर 2024 के अंत तक इस परियोजना का काम शुरू होने की संभावना है।
- लक्ष्य: चार महीनों में कार्य को पूरा करना।
- केंद्र बिंदु: भोपाल जिले में सबसे अधिक 14 सड़कों का निर्माण होगा।
- अन्य जिले: इंदौर और ग्वालियर में 3-3 सड़कों पर, बुरहानपुर, मंदसौर और सागर में 2-2 सड़कों पर, जबकि आगर मालवा, उमरिया, खंडवा, गुना, छतरपुर, देवास, नर्मदापुरम, नीमच, बैतूल, मुरैना, रतलाम, रायसेन, रीवा, सतना और हरदा में 1-1 सड़क पर यह तकनीक लागू की जाएगी।
क्या है वाइट टॉपिंग तकनीक?
वाइट टॉपिंग सड़क निर्माण की एक आधुनिक और प्रभावी तकनीक है, जिसमें पुरानी सड़कों को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए उनकी सतह पर मोटी कंक्रीट की परत चढ़ाई जाती है। यह प्रक्रिया सड़कों की आयु को 20 से 25 वर्षों तक बढ़ाने में सहायक है।
तकनीक की प्रक्रिया
- पुरानी सड़क की सतह को अच्छी तरह से साफ किया जाता है।
- इसके बाद 6 से 8 इंच मोटी कंक्रीट की परत डाली जाती है।
- यह परत भारी यातायात और खराब मौसम का सामना करने के लिए विशेष रूप से सक्षम होती है।
वाइट टॉपिंग के फायदे
- सड़कों की मजबूती और टिकाऊपन में वृद्धि।
- लंबे समय तक मरम्मत की आवश्यकता नहीं।
- भारी यातायात के दबाव को सहन करने में सक्षम।
- बारिश और अन्य प्राकृतिक प्रभावों से सुरक्षा।
राज्य में विकास की नई दिशा
मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास राज्य की सड़कों की दशा को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल यातायात सुगम होगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। विशेषकर वाइट टॉपिंग तकनीक अपनाने से सड़कों की मरम्मत पर होने वाले खर्च में भी कटौती होगी।
निष्कर्ष
वाइट टॉपिंग तकनीक के माध्यम से सड़कों का निर्माण, राज्य के विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार के दृष्टिकोण से एक बड़ा कदम है। इस परियोजना की सफलता से मध्य प्रदेश में सड़क निर्माण के नए मानक स्थापित होंगे।