महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह फैसला उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की करारी हार के बाद लिया। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने अब तक उनके इस्तीफे को स्वीकृति नहीं दी है।
महाराष्ट्र कांग्रेस को अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन ने कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी को भारी शिकस्त दी है। कांग्रेस ने 103 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 16 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। यह प्रदर्शन 2019 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बेहद खराब रहा है। उस समय पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर था।
साकोली सीट से नाना पटोले ने 208 वोटों के बेहद कम अंतर से जीत दर्ज की, जो इस चुनाव की सबसे करीबी जीतों में से एक रही। यह नतीजा 2019 के मुकाबले बिल्कुल विपरीत है, जब पटोले ने साकोली में लगभग 8,000 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
दिग्गज नेताओं की हार ने बढ़ाई पार्टी की मुश्किलें
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कई बड़े नेता जैसे बालासाहेब थोराट, पृथ्वीराज चव्हाण, विजय वडेट्टीवार, यशोमति ठाकुर, और माणिकराव ठाकरे अपनी सीट नहीं बचा सके। यह हार पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है।
नाना पटोले का विवादित बयान और उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि
2021 में महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वाले नाना पटोले अपने नेतृत्व और बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहे हैं। चुनाव परिणाम आने से दो दिन पहले उन्होंने दावा किया था कि अगली महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कांग्रेस करेगी। हालांकि, परिणाम इसके बिल्कुल विपरीत रहे।
पटोले के नेतृत्व में कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी की खराब स्थिति ने उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए।
एनडीए गठबंधन का शानदार प्रदर्शन
महायुति के तहत भाजपा ने 132 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, जो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही थी, ने 55 सीटें जीतीं। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटों पर कब्जा किया।
पार्टी में नेतृत्व को लेकर मंथन शुरू
नाना पटोले का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब पार्टी को नेतृत्व और रणनीति में बदलाव की सख्त जरूरत महसूस हो रही है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा इस इस्तीफे पर अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद पार्टी के भविष्य की दिशा तय होगी।
आगे की रणनीति पर सबकी नजरें
कांग्रेस पार्टी अब हार की समीक्षा और नई रणनीति बनाने में जुट गई है। पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती महाराष्ट्र में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना और कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरना है।