उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संगठनात्मक स्तर पर बड़े फेरबदल की तैयारी में जुटी हुई है। आगामी लोकसभा और 2027 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने नए साल की शुरुआत में प्रदेश अध्यक्ष बदलने के संकेत दिए हैं। संगठन के हर स्तर पर सुधार और नवीनीकरण के साथ भाजपा ने प्रदेश में जातीय संतुलन और सामाजिक समीकरणों को साधने की दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) के जातीय गठजोड़ को टक्कर देना और पार्टी को ज़मीनी स्तर पर और अधिक मज़बूत करना है।
संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत
भाजपा ने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए प्रदेश और जिलों में चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की जा चुकी है। शुक्रवार को इन अधिकारियों के लिए एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें उन्हें संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया और सोशल इंजीनियरिंग की रणनीतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। अब यह चुनाव अधिकारी मंडल और बूथ स्तर के चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति करेंगे। इनकी निगरानी में बूथ, मंडल और जिला स्तर पर नए अध्यक्ष चुने जाएंगे, जिसके बाद नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया पूरी होगी।
इस पूरी प्रक्रिया को अगले दो महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है, ताकि 2024 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सके। पार्टी ने इस बार संगठन में नये चेहरों को मौका देने और सभी जाति-वर्गों को साथ लेकर चलने की योजना बनाई है।
सोशल इंजीनियरिंग पर विशेष जोर
उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण सदैव राजनीति के केंद्र में रहे हैं। भाजपा ने इस बार सामाजिक संतुलन साधने के लिए 'सोशल इंजीनियरिंग' की रणनीति अपनाई है। पार्टी का मानना है कि सपा के पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक गठजोड़ को चुनौती देने के लिए उसे अलग-अलग जातियों के नेतृत्व को उभारना होगा।
भाजपा की योजना के अनुसार, हर जिले, मंडल और बूथ स्तर पर अध्यक्ष का चयन इस बात को ध्यान में रखकर किया जाएगा कि उस क्षेत्र में किस जाति का वर्चस्व है। साथ ही, पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि सभी जाति-वर्गों को संगठन में उचित प्रतिनिधित्व मिले। इस रणनीति के तहत, कार्यकारिणी में विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों को शामिल करने पर जोर दिया गया है, जिससे सभी समुदायों को पार्टी से जोड़ा जा सके।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजना
इस बार भाजपा ने संगठन में महिलाओं की भागीदारी को 33% तक बढ़ाने का संकल्प लिया है। प्रदेश के 1.36 लाख बूथों पर महिलाओं को अधिक सक्रिय भूमिका देने की तैयारी है। बूथ से लेकर मंडल और जिला कार्यकारिणी में महिलाओं को अहम जिम्मेदारियाँ दी जाएंगी। पार्टी का मानना है कि इससे न सिर्फ महिलाओं के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत होगी, बल्कि समाज के अन्य वर्गों का भी समर्थन मिलेगा।
विधानसभा चुनाव 2027 के लिए भाजपा की रणनीति
भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को पूरी तरह से सशक्त और तैयार देखना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने स्थानीय जातीय समीकरणों को साधने की योजना बनाई है। भाजपा की कोशिश है कि हर स्तर पर सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर सपा के जातीय समीकरणों को मात दी जा सके।
शनिवार से शुरू हुई जिला स्तरीय कार्यशालाओं में पार्टी के चुनाव अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपते हुए यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय कार्यकर्ताओं की सूची तैयार करें। इन कार्यकर्ताओं में से ही बूथ, मंडल और जिला स्तर के अध्यक्ष और कार्यकारिणी का चयन किया जाएगा। पार्टी इस बार संगठन में अधिक समावेशी दृष्टिकोण अपनाकर सभी समुदायों को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रही है।
अंतिम निष्कर्ष
भाजपा की इस नई संगठनात्मक रणनीति से यह स्पष्ट है कि पार्टी 2024 लोकसभा और 2027 विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। नए संगठनात्मक ढांचे के तहत पार्टी जहां सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश कर रही है, वहीं महिलाओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया जा रहा है। देखना यह है कि भाजपा की यह सोशल इंजीनियरिंग रणनीति उसे आगामी चुनावों में कितनी सफलता दिला पाती है।
इस तरह, उत्तर प्रदेश भाजपा का यह नया संगठनात्मक फेरबदल पार्टी की आगामी चुनावी तैयारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।