झारखंड की राजनीति में वापसी को तैयार रघुबर दास, भाजपा में असमंजस की स्थिति

पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, जो फिलहाल ओडिशा के राज्यपाल हैं, एक बार फिर राज्य की राजनीति में वापसी करने की तैयारी कर रहे हैं।

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झारखंड की राजनीति में वापसी को तैयार रघुबर दास, भाजपा में असमंजस की स्थिति
झारखंड के पूर्व सीएम रघुबर दास

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, जो फिलहाल ओडिशा के राज्यपाल हैं, एक बार फिर राज्य की राजनीति में वापसी करने की तैयारी कर रहे हैं। दास, जो जमशेदपुर पूर्व विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं, 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय से हार गए थे। इस बार भी उनकी राह में सरयू राय ही सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं, क्योंकि राय अब जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल होकर फिर से इसी सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं।

भाजपा में बेचैनी

झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, और भाजपा राज्य में अपने पुराने गढ़ जमशेदपुर पूर्व पर नजर गड़ाए हुए है। हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल बनाए गए रघुबर दास ने अपनी पुरानी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, दास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ इस पर चर्चा भी की है। हाल के महीनों में दास जमशेदपुर में धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते नजर आए हैं।

सरयू राय की चुनौती

सरयू राय, जिन्होंने 2019 में रघुबर दास को हराया था, अब जदयू में शामिल हो चुके हैं और एक बार फिर जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। राय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे और इसमें कोई संदेह नहीं है। भाजपा और जदयू के संभावित गठबंधन के बीच, यह सीट दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण बन गई है, जिससे भाजपा के लिए स्थिति और जटिल हो गई है।

भाजपा का दुविधा

भाजपा को इस मुद्दे पर फैसला लेना है कि जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ने के लिए किसे प्राथमिकता दी जाए। पार्टी के भीतर दास की वापसी को लेकर असमंजस है, क्योंकि इससे राज्य में चुनावी समीकरण बिगड़ सकते हैं। भाजपा ने राज्य में आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें बाबूलाल मरांडी को राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाना और चंपई सोरेन जैसे नेताओं को पार्टी में शामिल करना शामिल है।

रघुबर दास की संभावित रणनीति

अगर भाजपा नेतृत्व रघुबर दास को राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देता, तो ऐसी चर्चा है कि दास जमशेदपुर पूर्व से अपनी पुत्रवधू को उम्मीदवार बना सकते हैं। हालांकि, इस पर अभी कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है।

झारखंड की राजनीति में रघुबर दास की वापसी और सरयू राय की चुनौती ने भाजपा के सामने एक पेचीदा स्थिति पैदा कर दी है। पार्टी को इस बार चुनाव में सही रणनीति अपनानी होगी ताकि वह अपने पुराने गढ़ को बचा सके।