झारखंड में जेएमएम नेता हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की अकेले शपथ लेकर सियासी संदेश साफ कर दिया है। यह संदेश उनके सहयोगी दलों कांग्रेस, आरजेडी और सीपीआई(एमएल) को है, जो मंत्रिमंडल में अपने लिए हिस्सेदारी के लिए दबाव बना रहे हैं। हेमंत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सरकार उनकी नेतृत्व क्षमता की बदौलत बनी है और आगे भी उनकी मर्जी से चलेगी।
मंत्रिमंडल विस्तार में घमासान
इंडिया ब्लॉक को झारखंड में मिली भारी सफलता के बावजूद सहयोगी दलों में मंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है। कांग्रेस के दर्जनभर से ज्यादा विधायक दिल्ली और रांची में अपनी दावेदारी को लेकर सक्रिय हैं। कांग्रेस के पर्यवेक्षक तारीक अनवर और प्रभारी गुलाम अहमद मीर इस पर सहमति बनाने में अभी तक सफल नहीं हुए हैं। वहीं, आरजेडी ने इस बार चार सीटें जीती हैं और उसके विधायक भी मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए जोर लगा रहे हैं।
सीपीआई(एमएल) ने भी अपने दोनों विधायकों को मंत्री बनाए जाने की मांग रखी है। लेकिन, हेमंत सोरेन ने अकेले शपथ लेकर साफ कर दिया है कि उनकी सरकार दबाव में काम नहीं करेगी। उन्होंने सहयोगी दलों को संदेश दिया है कि मंत्री पद का फैसला उनकी शर्तों पर होगा।
कांग्रेस-आरजेडी में असंतोष
पिछली सरकार में कांग्रेस कोटे से चार मंत्री थे, लेकिन इस बार बन्ना गुप्ता की हार के बाद नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। कांग्रेस अब तीन मंत्रियों के अलावा स्पीकर पद की मांग कर रही है। हालांकि, जेएमएम ने यह संकेत दे दिया है कि स्पीकर पद कांग्रेस को नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, आरजेडी ने दो मंत्रियों की मांग की है, लेकिन जेएमएम सिर्फ एक पद देने के लिए तैयार है।
आदिवासी वर्चस्व को बढ़ावा देने की तैयारी
संथाल परगना और कोल्हाण क्षेत्र में मिली शानदार सफलता के बाद हेमंत सोरेन सरकार में आदिवासियों का वर्चस्व बढ़ाने के पक्षधर हैं। जेएमएम कोटे से नए चेहरों को मंत्री पद देने की संभावना है।
संगठन की मजबूती पर फोकस
हेमंत सोरेन अपनी पार्टी जेएमएम को झारखंड में और मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को संगठन की जिम्मेदारी सौंपने का मन बना लिया है। महिला वोट बैंक और आदिवासी समर्थन के बल पर जेएमएम अगले चुनाव में अपने दम पर सरकार बनाने का सपना देख रही है।
नए राज्यों में विस्तार की योजना
हेमंत सोरेन ने झारखंड के बाहर भी पार्टी का विस्तार करने का संकेत दिया है। जेएमएम अब छत्तीसगढ़ और ओडिशा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की योजना बना रही है।
निष्कर्ष
हेमंत सोरेन ने अकेले शपथ लेकर झारखंड की राजनीति में अपना प्रभाव स्पष्ट कर दिया है। उनकी रणनीति झारखंड में पार्टी को मजबूत करने के साथ-साथ अगले चुनावों में स्वतंत्र रूप से सरकार बनाने पर केंद्रित है।