महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित होने वाले हैं, और इस बार सियासी दावों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है कि क्या शरद पवार 29 साल बाद राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भले ही चुनावी आंकड़े कुछ भी हों, सत्ता की चाबी शरद पवार के हाथों में जा सकती है। चुनावी परिणामों के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि क्या महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी शरद पवार के पास आ सकती है।
सरकार गठन के लिए केवल 3 दिन का समय
महाराष्ट्र में चुनावी परिणाम 23 नवंबर को आएंगे, और विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। इस स्थिति में, यदि 3 दिनों के भीतर सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया जाता है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो यह स्थिति केंद्र के पाले में चली जाएगी, और पवार जैसे अनुभवी नेता इसका फायदा उठा सकते हैं।
2019 में, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था, पवार ने महाविकास अघाड़ी सरकार में गृह और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखे थे। अब इस बार भी ऐसी स्थिति की संभावना है, और पवार इस राजनीतिक माहौल में खुद को मजबूत स्थिति में देख सकते हैं।
पवार परिवार की 70 सीटों पर दावेदारी
एग्जिट पोल के अनुसार, पवार परिवार को इस चुनाव में लगभग 70 सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है। इन सीटों पर शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार दोनों के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी शरद पवार ने 38 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि अजित पवार को 6 सीटों पर बढ़त मिली थी। इस बार, दोनों के गुटों के बीच सत्ता संघर्ष की गुंजाइश बनी हुई है।
अजित पवार ने बीजेपी द्वारा चुनाव में किए गए ध्रुवीकरण का विरोध किया, जिस कारण वह बीजेपी के निशाने पर रहे। इस वजह से इस चुनावी माहौल में यह कहा जा रहा है कि सीएम पद के लिए शरद पवार के पास सबसे बेहतर मौका हो सकता है।
"न काहू से दोस्त, न काहू से बैर" की रणनीति
शरद पवार की सियासत में हमेशा यह धारणा रही है कि न तो वे किसी से ज्यादा दोस्ती रखते हैं, न ही किसी से दुश्मनी। 2014 में उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया था, जबकि 2019 में वे उद्धव ठाकरे के साथ महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए। अब उनके पुराने सहयोगी और अजित गुट के उम्मीदवार नवाब मलिक ने यह दावा किया था कि शरद पवार किसी भी ओर जा सकते हैं।
क्या पवार के मन में कुछ और है?
शरद पवार इस चुनाव में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरे थे। उन्होंने 55 रैलियां कीं, और हर रैली में उन्होंने राज्य की नई दिशा की बात की। इस्लामपुर की एक रैली में शरद पवार ने जयंत पाटिल को लेकर बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि जयंत को अब राज्य की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए, और उन्हें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। इस बयान के बाद सियासी हलकों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या शरद पवार मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं?
1995 के बाद से शरद पवार को नहीं मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी
1995 के विधानसभा चुनाव में शरद पवार को हार का सामना करना पड़ा था, और उसके बाद से वे कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बने। हालांकि, वे लगभग चार बार 'किंगमेकर' की भूमिका में रहे, लेकिन सियासी समीकरणों के चलते वे मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर ही रहे। पवार के परिवार से छगन भुजबल और अजित पवार कई सरकारों में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, और अजित पवार अभी भी उपमुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं।
पवार के उम्मीदवारों का मुकाबला किससे?
महाविकास अघाड़ी के बैनर तले शरद पवार 89 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से 42 सीटों पर उनका सीधा मुकाबला अजित पवार के गुट के उम्मीदवारों से है। बाकी 47 सीटों पर शरद पवार के उम्मीदवारों का मुकाबला शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी के प्रत्याशियों से होगा। वहीं, अजित पवार करीब 60 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं, और शरद पवार के गुट का अधिकांश मुकाबला कांग्रेस से है।
इस सियासी समीकरण को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि शरद पवार के पास मुख्यमंत्री बनने का एक अच्छा मौका हो सकता है।