सुल्तानपुर में सरकारी धान खरीद में बड़ा घोटाला: फर्जी खतौनी के आधार पर लाखों की खरीद, हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट तलब की

सरकारी धान खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और धांधली की घटनाएं बढ़ रही हैं,

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सुल्तानपुर में सरकारी धान खरीद में बड़ा घोटाला: फर्जी खतौनी के आधार पर लाखों की खरीद, हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट तलब की
जानकारी देते जिला खाद्य विपणन अधिकारी संजय पांडेय


सुल्तानपुर, यूपी: सुल्तानपुर जिले के सरकारी धान खरीद में बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां दो भाइयों ने फर्जी खतौनी के आधार पर खुद को बड़े किसान के रूप में दिखाया और लाखों रुपये की धान खरीद की। इन दोनों भाइयों के पास एक बिस्वा जमीन भी नहीं थी, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से उन्होंने खुद को बड़े काश्तकार के तौर पर पंजीकरण कराया और ऑनलाइन पोर्टल पर धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन किया।

यह मामला जिले के लंभुआ कोतवाली क्षेत्र के शिवगढ़ ग्राम पंचायत का है, जहां के निवासी आशुतोष सिंह और अभिषेक सिंह ने फर्जी तरीके से कृषि भूमि की जानकारी देकर सरकारी धान खरीद प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया। इन दोनों ने खुद को उडरी गांव, तहसील कादीपुर में बड़े किसानों के रूप में दर्शाया, जबकि उनकी खतौनी पूरी तरह से फर्जी पाई गई है।

आशुतोष सिंह और अभिषेक सिंह को ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद उप जिलाधिकारी कादीपुर द्वारा अधिकृत किया गया। हालांकि, इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब एक ग्रामीण ने मामले को उजागर किया। इसके बाद जांच की गई, लेकिन अधिकारियों द्वारा मामले को रफादफा करने के प्रयास किए गए और आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई।

जांच में अफसरों की लापरवाही
शिवगढ़ ग्राम प्रधान सूरज साहू ने 29 जुलाई 2024 को इस मामले को जिला प्रशासन के सामने उठाया था। इसके बाद जिला पूर्ति अधिकारी जीवेश मौर्य और जिला खाद्य विपणन अधिकारी संजय पांडे ने मामले की जांच की, लेकिन जांच के बावजूद आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई। जब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो सूरज साहू ने 14 नवंबर 2024 को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और सुल्तानपुर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से अब तक की जांच और कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट तलब की है।

हाईकोर्ट का एक्शन: अफसरों में मची अफरातफरी
उच्च न्यायालय के एक्शन के बाद प्रशासन में अफरातफरी मच गई है और अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति है। अब इस मामले की जांच और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिला प्रशासन की ओर से रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश करने के लिए कहा गया है।

इस मामले से यह साफ हो गया है कि सरकारी धान खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और धांधली की घटनाएं बढ़ रही हैं, जहां बड़े किसानों की जगह फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से छोटे किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।