"सवाल दर सवाल" राकेश अग्निहोत्री
मोदी और मोहन की संयुक्त पसंद बनकर मध्यप्रदेश के 35वें चीफ सेक्रेटरी बने अनुराग जैन एक ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी.. जिसकी उनकी अपनी बेदाग छवि यदि वल्लभ भवन से जिला मुख्यालय तक पूरे महकमें को एक नई दिशा देकर गौरांवित महसूस करा सकती है..तो एक सख्त प्रशासक की उनकी कार्यशैली पूरे प्रदेश का माहौल बदल सकती है..तमाम चुनौतियों से जूझ रहे मध्य प्रदेश की उम्मीद अनुराग से ज्यादा लेकिन असंभव भी नहीं..क्योंकि दिल्ली में उन्होंने समय-समय पर अपनी धमक और उपयोगिता का एहसास कराया है..ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर दिए गए टास्क को पूरा करना हमेशा जिनका लक्ष्य रहा और परिणाम सकारात्मक अच्छे देकर अपनी एक विश्वसनीय छवि बनाई..मध्य प्रदेश से दिल्ली पहुंचने पर प्रधानमंत्री कार्यालय में रहते हुए उनकी एप्रोच का फायदा मध्य प्रदेश उठा सकता है..आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियों से जूझ रहे मध्य प्रदेश की कई योजनाओं समेत इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में अनुराग जैन के व्यक्तिगत दिल्ली में संबंध मध्य प्रदेश के अच्छे दिन लाने में मददगार साबित हो सकते हैं..अनुराग जैन की निष्पक्ष कार्यशैली से मोहन सरकार की छवि में भी और निखार आने से इनकार नहीं किया जा सकता..स्वभाव से विनम्र मिलनसार लेकिन फैसला सख्त लेने में जिन्हें कोई हिचक नहीं..जिनके लिए समय की पाबंदी ही बहुत मायने रखती जो फिजूल खर्चों से दूर जिनकी सादगी उन्हें दूसरे अफसरों से अलग खड़ा करती है..बेदाग और बेबाक अनुराग ने अपनी मेहनत दूरदर्शिता विशिष्ट कार्यशैली से एक टास्क मैनेजर की छवि बनाई..जिसकी धमक मध्य प्रदेश की सीमा तक सीमित ना रही बल्कि मोदी सरकार में प्रधानमंत्री के एक पसंदीदा अधिकारी के तौर पर खुद को स्थापित किया..अनुराग जैन मध्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था के अतीत और वर्तमान से जरूर अच्छी तरह वाकिफ तो राजनीतिक उठापटक से भी अनजान नहीं..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपेक्षाओं को वह अच्छी तरह समझते होंगे..इसलिए उनसे और बेहतर की उम्मीद बढ़ना लाजिमी है..मध्य प्रदेश को दूसरे राज्यों की तुलना में एक नई पहचान दिलाने में अनुराग जैन एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं..तो चुनौतियों से भी इनकार नहीं किया जा सकता..मध्य प्रदेश के पिछले चीफ सेक्ट्री की तुलना में इन चुनौतियों के बीच कुछ नया कर दिखाने का मौका मिला है..भाजपा का घोषणा पत्र चाहे वह मोदी सरकार का हो या फिर मोहन सरकार का भाजपा की इंटरनल पॉलिटिक्स और डबल इंजन की सरकार के बीच अनुराग जैन को एक भरोसेमंद टीम की जरूरत जरूर रहेगी..अनुराग जो कई योजनाओं के जनक तो फाइनेंस जैसे विभाग के विशेषज्ञ बनकर उभरे.. जिनका विजन और एक्सपीरियंस वह भी राज्य और देश की सीमा से बाहर अंतरराष्ट्रीय स्तर का..इसका फायदा मध्यप्रदेश को मिल सकता है..भोपाल के कलेक्टर रह चुके अनुराग जैन ने मैदानी क्षेत्र से लेकर मंत्रालय तक कई मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेताओं के साथ काम के दम पर उनका भरोसा जीता..तो अब उनकी गिनती सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अधिकारियों में होती और जिन्होंने नितिन गडकरी के साथ काम करके एक नई नजीर पेश की है..अंततःमध्य प्रदेश के नए चीफ सेक्रेटरी की भूमिका में अनुराग जैन की ऐन टाइम पर धमाकेदार एंट्री से बल्लभ भवन में थोड़ी देर के लिए ही सही सन्नाटा पसर गया..अंतिम 48 घंटे में वल्लभ भवन से लेकर मुख्यमंत्री निवास और प्रधानमंत्री कार्यालय तक साइलेंट मूव के बीच निर्णायक आदेश की प्रतीक्षा में पल-पल बदलते समीकरण के बीच राजेश राजौरा को बधाई देने का सिलसिला न सिर्फ थम गया बल्कि जिज्ञासा इस बात को लेकर कि अचानक ऐसा क्या हो गया.. जो अंततह मीडिया की खबरें गलत साबित हुई..इस बीच खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट हो या अफसरों की आपसी गुटबाजी के बीच दिल्ली तक पहुंचाया गया फीडबैक और दावेदारों की जोड़-तोड़ पर्दे के पीछे राजनीतिक और विशेष संरक्षण की अपेक्षा की और दूसरी अप्रोच चलती रही..मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने अपने पत्ते राजधानी भोपाल छोड़ने के बाद तब खोले जब वो झारखंड रवाना होने हो चुके थे.. चर्चा दिल्ली से आए एक फोन की भी खूब हो रही.. किसने किसका हक मारा किसने दी शह और किसकी हुई मात के बावजूद सबसे बड़ी दावेदारों में से एक राजेश राजौरा के पास अभी समय है और कहते है सब्र का फल मीठा होता है..जो अच्छी तरह जानते और समझते भी होंगे कि यदि दिल्ली से अनुराग जैन रिटर्न मध्य प्रदेश तो वह अपने कार्यकाल के आगे भी एक लंबी पारी खेलना चाहेंगे..अनुराग और राजेश राजौरा के बीच के अधिकारियों के लिए इस कुर्सी तक पहुंचना अब नामुमकिन माना जा रहा है..सरकार कांग्रेस की ही हो या भाजपा की मुख्यमंत्री बदलते रहे हो लेकिन राजेश राजौरा अपनी उपयोगिता साबित कर अपनी लाइन हमेशा बढ़ाते रहे.. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कार्यकाल में उनके सबसे भरोसे बंद बनकर उभरे राजौरा के पास जरूर लंबा समय है.. और उनकी कार्यशाली यह बताती है कि अनुराग के साथ उनका तालमेल जरूर बनेगा..प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की जबरदस्त अंडरस्टैंडिंग और लगातार मजबूत हो रही केमिस्ट्री के बीच प्रदेश में विकास को एक नई दिशा देने की सामर्थ रखने वाले मोदी-मोहन के निर्णायक फैसले के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में फिर भी नितार्थ निकाल जाने लगे हैं..वीरा राणा के कार्यकाल के अंतिम दिन नए आदेश पर पूरे प्रदेश की नजर थी.. जमावट यही बता रही थी कि राजेश राजौरा का रास्ता साफ करने के लिए जरूरी बिसात बिछा दी गई थी.. कई अधिकारी इस कुर्सी तक पहुंचने के लिए प्रतिस्पर्धी बने डटे रहे तो कई दौड़ से बाहर हो चुके थे या कर दिए गए थे ऐसे में दिल्ली में अपनी उपयोगिता साबित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अफसरो में शामिल हो चुके अनुराग जैन को आखिर उनकी वरिष्ठता और कुछ अलग छवि और एक ईमानदार अधिकारी के तौर पर न सिर्फ एक बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा गया बल्कि उनकी वरिष्ठता की कद्र करके संदेश दूसरे अधिकारियों को भी दिया गया..
जानिए कौन है और कैसे बने...मप्र के नए मुख्य सचिव अनुराग जैन..कहां से है नाता
1989 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं..अनुराग जैन आईआईटी खड़गपुर में बीटेक ऑनर्स इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में 1986 बैच के मैरिट होल्डर रहे हैं...2005 में उन्होंने मैक्सवेल स्कूल यूनिवर्सिटी ऑफ सिरैक्यूज,यूएसए से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया..अनुराग जैन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पसंदीदा अधिकारियों की सूची में शामिल रहे हैं...उन्होंने प्रधानमंत्री के संयुक्त सचिव के रूप में सूचना प्रोद्योगिकी, संचार, कृषि, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले, रसायन एवं उर्वरक, श्रम जैसे कई विभागों में काम किया है...प्रधानमंत्री जन धन जैसी सफल योजना का श्रेय अनुराग जैन को ही दिया जाता है...इसी प्रकार मध्य प्रदेश में रहते उन्होंने सार्वजनिक सेवा वितरण गारंटी अधिनियम को लागू कराया जिसे बाद में कई राज्यों ने अपनाया..जनता से सरकार की सीधा जुड़ाव,संवाद हो इसके लिए मप्र में महापंचायतों का आयोजन करने का आइडिया भी जैन का ही माना जाता है..एक अच्छे अधिकारी के साथ अनुराग जैन राष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी भी रहे हैं..वे नेशनल लेवल पर वह 11 मेडल जीत चुके हैं..इसके अलावा क्रिकेट में भी वे मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं..साथ ही ई-गवर्नेंस को लेकर भी अनुराग जैन को अवार्ड मिल चुका है..मध्य प्रदेश में रहते हुए अनुराग जैन ने कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली है..वित्त के मामले में उनकी गहरी समझ हैं,उम्मीद है कि उनके आने के बाद मध्य प्रदेश की आर्थिक सेहत में सुधार होगा..
आइएएस अनुराग जैन का सफरनामा..
वर्तमान में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय में अहम जिम्मेदारी संभाल रहे अनुराग जैन बेहद कर्मठ अधिकारियों में गिने जाते हैं..आईएएस बनने के बाद अविभाजित मप्र और फिर विभाजित मप्र से लेकर केंद्र सरकार में कई जिम्मेदार पदों पर श्री जैन पदस्थ रहे..अनुराग जैन की पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में सागर में 6 जून 1990 में हुई थी..वे 26 अगस्त 1991 तक यहां पदस्थ रहे..इसके बाद वे बतौर मंडला कलेक्टर 14 जुलाई 1997 से जून 1999 तक रहे..22 जून 1999 से 10 जुलाई 2001 तक मंदसौर कलेक्टर सेवाएं दीं..16 जुलाई 2001 से जनवरी 2004 तक भोपाल कलेक्टर रहे..अपनी अनूठी कार्यशैली के चलते श्री जैन हमेशा जनता में सराहना पाते रहे..अनुराग जैन ऐसे विरले अधिकारियों में गिने जाते रहे जिन्होंने अपनी कलेक्टरी के दौरान ग्रमीण अंचलों का ज्यादा दौरा कर लोगों से सीधा संवाद रखा..अनुराग जैन ने केन्द्र सरकार के वित्त विभाग में ज्वाइंट सेक्रेटरी के रूप में 29 जून 2011 से 5 जनवरी 2015 तक सेवाएं दी..पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में पीएमओ में ज्वाइंट सेक्रेटरी भी रहे हैं..अधिकांश विभागीय कार्य का अनुभव अपने में समेटने वाले इस अधिकारी की प्रोफाइल भी काफी लंबी है..
पहली पोस्टिंग से अब तक अनुराग जैन..
मेशन ब्यूरोसहायक कलेक्टर,सागर—6 जून 1990 से 26 अगस्त 1991
एसडीओ खुरई—27 अगस्त 1991 से 14 अक्टूबर 1992 तक
एसडीओ जावरा—28अक्टूबर 1992 से 14 जुलाई 1993 तक
अतिरिक्त कलेक्टर कांकेर 19 जुलाई 1993 से 1 सितंबर 1994 तक
परियोजना अधिकारी डीआरडीए छिंदवाड़ा—7 सितंबर 1994 से जुलाई 1995 तक
परियोजना अधिकारी डीआरडीए भोपाल—जुलाई 1995 से जून 1996 तक
परियोजना अधिकारी डीआरडीए दुर्ग—जून 1996 से जुलाई 1997
कलेक्टर मंडला—14 जुलाई 1997 से जून 1999 तक
कलेक्टर मंदसौर—22 जून 1999 से 10 जुलाई 2001 तक
कलेक्टर भोपाल—16 जुलाई 2001 से जनवरी 2004 तक
सह निदेशक मप्रपूक्षेविवि कंपनी जबलपुर—20 जनवरी 2004 से अगस्त 2004 तक
सह निदेशक आईईसी ब्यूरो—5 जुलाई 2005 से 12 सितंबर 2005 तक
आयुक्त स्वास्थ्य—23 सितंबर 2005 से दिसंबर 2005 तक
मुख्यमंत्री मप्र सरकार के सचिव 6 दिसंबर 2005 से रहे
सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग—11 जून 2007 से 27 जून 2011 तक
संयुक्त सचिव वित्त मंत्रालय नई दिल्ली—29 जून 2011 से 05 जनवरी 2015
संयुक्त सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली—01 जनवरी 2015 से
प्रमुख सचिव मप्र सरकार वित्त विभाग 28 जुलाई 2018 से
विशेष आयुक्त मप्र भवन नई दिल्लीः 28 जुलाई 2018 से
2019 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से अनुराग जैन मप्र लौटे
कमलनाथ सरकार में उन्होंने वित्त विभाग की जिम्मेदारी संभाली
मई 2020 में श्री जैन फिर से प्रतिनियुक्ति पर केंद्र चले गए
वर्तमान में सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय में सचिव पद पर हैं
मुख्य सचिव को लेकर दिनभर चला कयासों का दौर..
पिछले कई महीनों से मध्य प्रदेश में नए मुख्य सचिव बनने को लेकर चर्चाएं तो चल रही थीं लेकिन ये चर्चाएं सोमवार को और ज्यादा तेज हो गईं..ये इसलिए क्योंकि प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा अपने पद से रिटायर होने जा रहीं थीं..हालांकि इनके रिटायर होने की डेट पहले भी आई थी,लेकिन इनके कार्यकाल में विस्तार किया गया था...और ये विस्तार 30 सितंबर को समाप्त हुआ..ऐसे में प्रदेश के नए मुख्य सचिव की अटकलें ज्यादा तेज हो गईं..सुबह से ही मुख्य सचिव बनने की रेस में डॉ राजेश राजौरा,अनुराग जैन,जेएन कंसोटिया और एसएन मिश्रा का नाम चल रहा था..लेकिन सबसे आगे डॉ राजेश राजौरा का नाम चर्चाओं में रहा..मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने तो डॉ राजौरा को बधाई तक दे डाली लेकिन करीब दोपहर दो बजे खबर आई कि केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर दस्थ अनुराग जैन मप्र के नए मुख्य सचिव होंगे..बस कयास खत्म हुए क्योंकि ये सूचना जनसंपर्क विभाग से ही जारी हुई..इस बीच मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सुबह से झारखंड रवाना हुए लेकिन झारखंड जाने से पहले उनकी मुलाकात पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से होती है..जो झारखंड के तो प्रभारी हैं ही लेकिन मप्र के सफलतम मुख्यमंत्री का खिताब भी उनके नाम है..जाहिर सी बात है मुलाकात के कई मायने भी निकाले जाएंगे..क्योंकि अनुभव की सलाह भी महत्वपूर्ण होती है और फिर चर्चाएं तो ये भी हैं कि मप्र के मुख्य सचिव की नियुक्ति ठीक राजस्थान और बिहार के तर्ज पर हुई है..तो केंद्रीय हस्तक्षेप को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता..अब मामला कुछ भी हो पर मप्र में अब अनुराग जैन ब्यूरोक्रेसी के 35वें नए चीफ हैं..और प्रदेश का उनसे बहुत उम्मीदें भी हैं..1989 बैच के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन का मुख्य सचिव पद पर कार्यकाल अगस्त 2025 तक रहेगा...इधर बात करें तो डॉ राजेश राजौरा मई 2027 में रिटायर होंगे यानि इनके पास और भी अवसर हैं..तो एसएन मिश्रा जनवरी 2025 में रिटायर होंगे..दोनों ही 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं..जो जैन से जूनियर हैं..वीरा राणा 88 बैच की अधिकारी हैं उनके बाद सबसे सीनियर में..89 बैच के अनुराग जैन ही हैं..हालांकि अनुराग जैन के बैच के ही मो सुलेमान,जेएन कंसोटिया,विनोद कुमार,अशीष उपाध्याय..भी हैं,आशीष उपाध्याय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में पदस्थ हैं..लेकिन अब अनुराग जैन इनको सुपरसीड करेंगे.
अनुराग जैन के समक्ष वित्तीय प्रबंधन पहली चुनौती होगी।,केंद्र सरकार से धन जुटाने के मामले में उन्हें पहल करनी पड़ेगी। प्रशासनिक विसंगतियों को दूर करने की दिशा में काम करना होगा। शासन की मंशा के अनुरूप कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने और उसके दुष्परिणामों से प्रदेश को उबारकर प्रदेश को आर्थिक प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया को लोकप्रिय बनाने की दिशा में लोक लुभावन योजनाओं की परिकल्पना व उनके क्रियान्वयन को लेकर कार्य योजना बनाना उनके कामकाज का प्रमुख हिस्सा हो सकती है।