मध्य प्रदेश में मनरेगा योजना में अनियमितताओं का आरोप: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश में मनरेगा योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

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मध्य प्रदेश में मनरेगा योजना में अनियमितताओं का आरोप: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश में मनरेगा योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना में व्यापक अनियमितताएं हो रही हैं और राज्य में तय नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। सिंह ने इस मामले को लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा है।

पत्र के मुख्य बिंदु

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि मनरेगा योजना के कार्यों में नियमों के खिलाफ गड़बड़ियां की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि अधिनियम के अनुसार मनरेगा के अंतर्गत श्रम और सामग्री का अनुपात 60:40 जनपद स्तर पर बनाए रखना अनिवार्य है। यह प्रावधान इसलिए है ताकि गांव में मजदूरों को अधिकतम रोजगार मिल सके और पलायन को रोका जा सके।

हालांकि, दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि:

  • वर्ष 2022-23 में राज्य के 21 जिलों में इस प्रावधान का उल्लंघन हुआ।
  • वर्ष 2023-24 में 16 जिलों में भी यही स्थिति रही।
  • 2024-25 में प्रदेश के 25 जिलों में इस प्रावधान को नजरअंदाज किया जा रहा है।

ठेकेदारी प्रथा और फर्जी बिलों का आरोप

दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि इन अनियमितताओं के कारण ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने दावा किया कि सामग्री के फर्जी बिल और वाउचर के आधार पर भुगतान किया जा रहा है, जिससे मजदूरों के अधिकारों पर कुठाराघात हो रहा है।

मजदूरों के हितों की सुरक्षा की अपील

पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को अत्यंत गंभीर बताते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की अपील की है, ताकि मजदूरों के हितों की रक्षा हो सके।

निष्कर्ष

मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन करना और मजदूरों को पलायन से रोकना है। लेकिन यदि इसमें अनियमितताएं हो रही हैं, तो यह न केवल योजना के मूल उद्देश्य को प्रभावित करता है, बल्कि मजदूर वर्ग के अधिकारों पर भी चोट करता है। ऐसे में इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है।