प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंत्र: "प्रोग्रेस ऑफ द पीपल, प्रोग्रेस बाई द पीपल, प्रोग्रेस फॉर द पीपल"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान अपने नए मंत्र "प्रोग्रेस ऑफ द पीपल, प्रोग्रेस बाई द पीपल, प्रोग्रेस फॉर द पीपल" (जनता की प्रगति, जनता द्वारा प्रगति, जनता के लिए प्रगति) को साझा किया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंत्र: "प्रोग्रेस ऑफ द पीपल, प्रोग्रेस बाई द पीपल, प्रोग्रेस फॉर द पीपल"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान अपने नए मंत्र "प्रोग्रेस ऑफ द पीपल, प्रोग्रेस बाई द पीपल, प्रोग्रेस फॉर द पीपल" (जनता की प्रगति, जनता द्वारा प्रगति, जनता के लिए प्रगति) को साझा किया। यह मंत्र प्रधानमंत्री के विकास के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें देश की प्रगति में हर नागरिक की भागीदारी और योगदान पर जोर दिया गया है।

पिछले 10 वर्षों में हुए बदलावों पर प्रकाश

प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में बीते 10 वर्षों में भारत में हुए बड़े बदलावों का जिक्र किया, जो देश की विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन परिवर्तनों ने न केवल भारत की जनता के आत्मविश्वास को बढ़ाया है, बल्कि उनमें जोखिम उठाने की क्षमता को भी नई ऊर्जा दी है। उन्होंने कहा, "जब जनता का आत्मविश्वास बढ़ता है, तो इसका सीधा असर देश के विकास पर पड़ता है।"

प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले जोखिम उठाने की संस्कृति केवल विकसित देशों तक सीमित थी, लेकिन अब भारत के लोग भी बड़े पैमाने पर नए-नए उद्यम शुरू करने के लिए तैयार हैं। मोदी ने यह भी कहा कि सरकार ने जनता पर खर्च बढ़ाने के साथ-साथ उनकी बचत सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

सकारात्मक बदलाव और सरकार की योजनाएं

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सरकार द्वारा लागू की गई कई महत्वपूर्ण योजनाओं का उल्लेख किया, जिन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गैस की किल्लत को खत्म कर दिया है, और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए UPI, RuPay कार्ड जैसी पहलें की हैं। आज, गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी RuPay का डेबिट और क्रेडिट कार्ड है, जिससे वह आसानी से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर सकता है।

उन्होंने बताया कि देश में कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत व्यय) 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है, जिसे नए अस्पतालों, सड़कों, रेल परियोजनाओं और रिसर्च सुविधाओं पर खर्च किया जा रहा है। यह देश में विकास की गति को तेज करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बचत में वृद्धि: डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि सरकार की 'डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर' (DBT) योजना के तहत देश के खजाने में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। उन्होंने आगे कहा कि आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है, जिससे अब तक लगभग एक लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। इसी तरह, 'जन औषधि केंद्र' से सस्ती दवाओं की उपलब्धता ने नागरिकों के 30,000 करोड़ रुपये की बचत सुनिश्चित की है।

उजाला स्कीम के अंतर्गत LED बल्बों के उपयोग से लोगों के बिजली बिलों में 20,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इसके अलावा, 'हर घर नल से जल' योजना के तहत 12 करोड़ परिवारों को पहली बार नल के जरिए स्वच्छ पेयजल की सुविधा मिली है, जिससे हर परिवार को सालाना लगभग 10,000 रुपये की बचत हुई है।

भारत की नई सोच: सेंचुरी इंडिया की ओर

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि 10 साल पहले किसी ने नहीं सोचा था कि भारत में इतने बड़े बदलाव होंगे। आज, न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर यह उम्मीद और विश्वास है कि यह सदी 'इंडिया की सेंचुरी' होगी। इसके लिए उन्होंने सभी नागरिकों से मिलकर काम करने और विश्व स्तरीय उत्पाद, आधारभूत संरचना, शिक्षा और मनोरंजन का निर्माण करने का आह्वान किया।

उन्होंने यह भी कहा, "भारत की सफलता ने हमें और बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने की प्रेरणा दी है। आज हम उस दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे हर भारतीय के जीवन में सुधार हो सके और हम दुनिया में एक नई पहचान बना सकें।"

सोशल मीडिया और गलत सूचनाओं का मुकाबला

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के दौर में गलत खबरों के प्रसार पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के समय में गलत सूचनाएं भी तेजी से फैल रही हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत के नागरिकों का विश्वास सरकार पर बना हुआ है। यह जनता के बढ़ते आत्मविश्वास और विकास की दिशा में बढ़ते कदमों का प्रमाण है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार का फोकस केवल इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंडिया और सामाजिक कल्याण पर नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और भागीदारी को बढ़ाने पर भी है। "प्रोग्रेस ऑफ द पीपल, प्रोग्रेस बाई द पीपल, प्रोग्रेस फॉर द पीपल" का मंत्र निश्चित रूप से भारत को एक नए आयाम पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।