राजधानी भोपाल में खाद की कालाबाजारी का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। इस घटना से किसानों की परेशानी और उनकी समस्याओं की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित हुआ है। पिछले कुछ समय से किसान खाद की कमी से जूझ रहे हैं और दो-दो बोरी खाद पाने के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं। इसके बावजूद उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रही है, जिससे मजबूरन किसानों को खुले बाजार का रुख करना पड़ रहा है। वहीं, बाजार में भी व्यापारियों द्वारा खाद के ऊंचे दाम वसूले जा रहे हैं।
प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई, गोदाम सील
प्रशासन को सूचना मिली थी कि बैरसिया क्षेत्र में स्थित एक कृषि सेवा केंद्र में खाद की कालाबाजारी हो रही है। शिकायत के आधार पर एसडीएम आशुतोष शर्मा ने तहसीलदार करुणा दंडोतिया और वरिष्ठ कृषि अधिकारी पीएस गोयल को मौके पर जांच के लिए भेजा। जांच के दौरान पाया गया कि कृषि सेवा केंद्र के संचालक द्वारा डीएपी खाद की बोरियों को निर्धारित सरकारी मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर बेचा जा रहा था।
डीएपी खाद की बोरी: शासकीय मूल्य ₹1350
विक्रेता द्वारा बेची जा रही कीमत: ₹1850
इसी प्रकार, यूरिया खाद जिसकी शासकीय मूल्य ₹267 प्रति बोरी है, उसे भी ₹340 प्रति बोरी की दर से बेचा जा रहा था। इस गोरखधंधे की पुष्टि होने के बाद, प्रशासन ने बैरसिया स्थित "गौर कृषि सेवा केन्द्र" को तुरंत सील कर दिया।
विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज
प्रशासनिक जांच में अनियमितता पाए जाने के बाद, बैरसिया थाने में गौर कृषि सेवा केंद्र के संचालक कमल सिंह गौर के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पीएस गोयल ने उच्च अधिकारियों के निर्देश पर यह कानूनी कार्रवाई की।
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि डीएपी और यूरिया खाद के ऊंचे दामों को लेकर किसानों द्वारा लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर तहसीलदार और कृषि विभाग की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर इस गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया।
किसानों को राहत देने के लिए प्रशासनिक सख्ती
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई केवल एक शुरुआत है और ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। कलेक्टर ने चेतावनी दी है कि भविष्य में भी अगर किसी व्यापारी द्वारा खाद की कालाबाजारी की जाती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें सही मूल्य पर खाद उपलब्ध हो।
किसानों की प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई के बाद किसानों ने प्रशासन की सराहना की है। एक स्थानीय किसान ने बताया, "हम लंबे समय से खाद की कालाबाजारी का शिकार हो रहे थे। सरकार द्वारा तय मूल्य पर खाद नहीं मिलने से हमें ऊंचे दामों पर इसे खरीदना पड़ता था। प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई से हमें थोड़ी राहत मिली है।"
सरकार की पहल
मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस मामले पर सख्त रुख अपनाया है। राज्य के कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी किसानों को उचित दामों पर खाद और बीज उपलब्ध हो सकें, ताकि उनकी फसल उत्पादन में कोई बाधा न आए।
निष्कर्ष:
भोपाल में खाद की कालाबाजारी का मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने जिस त्वरित और सख्त तरीके से कार्रवाई की, उससे यह संदेश गया है कि सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर है। किसानों को सही मूल्य पर खाद उपलब्ध कराना प्रशासन की प्राथमिकता है और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। इस मामले में आगे की जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह की छापेमारी की जाएगी, जिससे खाद की कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जा सके।