मध्य प्रदेश में प्रशासनिक संकट और उसकी चुनौतियाँ

IAS पदों में कमी

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मध्य प्रदेश में प्रशासनिक संकट और उसकी चुनौतियाँ

भोपाल: मध्य प्रदेश में वर्षों से 55 जिलों का निर्माण हुआ है, लेकिन इस विस्तार के साथ प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या में समान अनुपात में वृद्धि नहीं हुई है। दूसरी ओर, राज्य की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों की संख्या में गिरावट आ रही है, जिससे वर्तमान कार्यबल पर भारी दबाव बढ़ रहा है। वर्तमान में लगभग 350 IAS अधिकारी मध्य प्रदेश में कार्यरत हैं, जिन्हें एक से चार अतिरिक्त जिम्मेदारियों को संभालना पड़ रहा है।

प्रशासनिक कुशलता पर असर

इस भारी कार्यभार का असर राज्य की प्रशासनिक कुशलता पर पड़ रहा है, जिससे सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। राज्य सरकार द्वारा नियमित रूप से नीतियों के सख्त जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है, लेकिन जिन अधिकारियों को इन नीतियों को लागू करने का काम सौंपा गया है, उनके भारी कार्यभार के कारण इन प्रयासों की प्रभावशीलता कमजोर हो रही है।

IAS पदों में कमी

मध्य प्रदेश में 459 IAS पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 391 पद भरे हुए हैं, जिससे 68 पद खाली हैं। इसके अलावा, वर्तमान कैडर के 41 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जो स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।

सवाल उठते हैं: समाधान कब?

इस स्थिति ने महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं: सरकार कब IAS अधिकारियों की संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाएगी? और कब स्वीकृत पदों को भरा जाएगा ताकि मौजूदा अधिकारियों पर से बोझ को कम किया जा सके?

"डबल-चार्ज" प्रणाली को समाप्त करने की आवश्यकता

सेवानिवृत्त IAS अधिकारी डी.एस. राय ने बढ़ती चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की और सरकार से "डबल-चार्ज" प्रणाली को समाप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "सरकार को इस मुद्दे को हल करना चाहिए और डबल-चार्ज सिस्टम को समाप्त करना चाहिए। कई अधिकारी एक पैर दिल्ली में और दूसरा भोपाल में रखे हुए हैं।"

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की ओर रुझान

इसके अलावा, राज्य के कई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की मांग कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही पांच और अधिकारियों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कर दिए हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें किसी भी समय केंद्र सरकार में बुलाया जा सकता है। इसके अलावा, अगले पांच वर्षों में 89 अधिकारियों के सेवानिवृत्त होने की संभावना है, जो प्रशासनिक क्षमता को और कम कर देगा। अगस्त 2022 में केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश में IAS कैडर की अंतिम समीक्षा की गई थी, जिसमें कैडर की संख्या 459 निर्धारित की गई थी, लेकिन तब से इसमें कोई संशोधन नहीं हुआ है।

सरकार की प्रतिक्रिया

सांसद दर्शनीय चौधरी ने इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री इस मुद्दे से अवगत हैं, और सरकार समाधान की दिशा में काम कर रही है। यह समस्या जल्द ही हल हो जाएगी।"

राज्य की प्रशासनिक आवश्यकताएँ

मध्य प्रदेश की प्रशासनिक आवश्यकताएँ बहुत अधिक हैं। राज्य को अपने 55 जिलों, 55 जिला पंचायतों, 16 नगर निगमों, और 10 मंडलों के प्रबंधन के लिए 136 IAS अधिकारियों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, राज्य के 56 विभागों को आमतौर पर प्रत्येक के लिए लगभग आठ IAS अधिकारियों की आवश्यकता होती है, जो कुल मिलाकर 448 हो जाते हैं। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के कार्यालयों के लिए आवश्यक 10 अधिकारियों को मिलाकर, राज्य को कुल 594 IAS अधिकारियों की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश के लिए वर्तमान केंद्रीय प्रतिनियुक्ति कोटा 99 है, जिसमें से 41 अधिकारी पहले ही प्रतिनियुक्ति पर हैं।

विपक्ष की आलोचना

IAS अधिकारियों की कमी ने विपक्ष की ओर से सरकार पर आलोचना का केंद्र बना दिया है, जो आरोप लगाता है कि सरकार जानबूझकर इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रही है ताकि वे पदोन्नत अधिकारियों को राजनीतिक प्रभाव के तहत काम करने के लिए आसानी से उपयोग कर सकें।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश की प्रशासनिक संरचना तनाव में है और राज्य की प्रभावी शासन की क्षमता गंभीर खतरे में है। इस मुद्दे के समाधान के लिए सरकार से तत्काल और सतत प्रयासों की आवश्यकता होगी।