नई दिल्ली: केरल के पलक्कड़ में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय मंथन बैठक ने भारतीय राजनीति और समाज को कई महत्वपूर्ण संदेश दिए। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, और संगठन महासचिव बीएल संतोष समेत कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक के समापन के बाद संघ परिवार ने महिला सुरक्षा, बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा, और जातिगत जनगणना जैसे अहम मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
पहला संकेत: महिला सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं
RSS ने अपनी बैठक के बाद यह स्पष्ट किया कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। संघ की ओर से कहा गया कि अत्याचार की शिकार महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कानूनों और दंडात्मक कार्रवाइयों की समीक्षा की आवश्यकता है। कोलकाता की हालिया घटना पर विशेष चर्चा करते हुए, संघ ने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सरकार की भूमिका, आधिकारिक तंत्र, कानून और दंडनीय प्रक्रियाओं पर गहन विचार-विमर्श किया।
दूसरा संकेत: बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा पर चिंतित
RSS ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई। संघ ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेश सरकार के साथ मिलकर वहां के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। संघ ने बांग्लादेश की स्थिति को अत्यंत संवेदनशील बताया और विभिन्न संगठनों ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की है।
तीसरा संकेत: जातिगत जनगणना पर संघ की हरी झंडी
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर संघ ने अपनी राय स्पष्ट की। संघ का मानना है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए जाति के आंकड़े जुटाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे चुनावी राजनीति के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। संघ ने यह भी कहा कि एससी-एसटी के उपवर्गीकरण का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम राय बनाकर लागू किया जाना चाहिए। संघ ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण बताया और इसे सिर्फ चुनावी राजनीति के नजरिए से न देखने की सलाह दी।
इस बैठक में दिए गए तीन प्रमुख संदेश संघ के विचारों और दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं। महिला सुरक्षा, अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा, और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों पर संघ का यह रुख सरकार और समाज के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा।