जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज आज रात तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब जर्मनी अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत के बड़े बाजार में अपनी पकड़ बनाने का प्रयास कर रहा है। चांसलर स्कोल्ज शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, जिसके बाद वे 7वें अंतर सरकारी परामर्श (IGC) में भाग लेंगे। इसके पश्चात, चांसलर गोवा जाएंगे और वहां से वापस जर्मनी के लिए उड़ान भरेंगे।
चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम
जर्मनी की योजना भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की है, जिससे चीन पर निर्भरता कम की जा सके। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कई जर्मन कंपनियां भारत की ओर आकर्षित हो रही हैं। आने वाले वर्षों में इन कंपनियों के भारत में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की संभावना जताई जा रही है, जो पिछले आंकड़ों से दोगुना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जर्मनी के साथ बड़े सौदे होते हैं, तो यह अमेरिका और ब्रिटेन से भी अधिक भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
आईजीसी (IGC) का महत्व
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज का यह दौरा भारत-जर्मनी संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। IGC का आयोजन 24 से 26 अक्टूबर तक होगा, जिसमें दोनों देशों के मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में सहयोग और मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह ढांचा द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए उच्च-स्तरीय बैठकों का आयोजन करता है, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाता है।
यात्रा का कार्यक्रम
चांसलर स्कोल्ज 24 अक्टूबर को रात 10:55 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे। 25 अक्टूबर की सुबह, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, इसके बाद वे ताज होटल में 18वें एशिया-प्रशांत जर्मन बिजनेस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। आईजीसी में भाग लेने के बाद, वे भारत-जर्मनी के बीच समझौतों का आदान-प्रदान करेंगे। 26 अक्टूबर की सुबह, चांसलर गोवा के लिए रवाना होंगे और वहां से शाम 5:30 बजे जर्मनी के लिए लौटेंगे।
सुरक्षा, रक्षा और आर्थिक सहयोग
दोनों नेता सुरक्षा और रक्षा सहयोग, आर्थिक सहयोग, हरित विकास साझेदारी, और उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। इस दौरे में जर्मनी, भारत और अन्य देशों के करीब 650 व्यापारिक नेताओं और CEOs के शामिल होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, चांसलर स्कोल्ज का गोवा दौरा इस बात का प्रतीक है कि जर्मनी अपने सैन्य बलों को भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सक्रिय रख रहा है। यहाँ जर्मन नौसैनिक युद्धपोत बाडेन-वुर्टेमबर्ग और लड़ाकू सहायता जहाज 'फ्रैंकफर्ट एम मेन' भी पहुंचेंगे।
भारत और जर्मनी के बीच 2000 से रणनीतिक साझेदारी है, जो पिछले कुछ वर्षों में और गहरी हुई है। इस वर्ष दोनों देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। चांसलर स्कोल्ज की यात्रा, दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूती प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।