वैष्णो देवी रोपवे परियोजना: क्यों हो रहा है विरोध और क्या है पूरी कहानी?

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वैष्णो देवी रोपवे परियोजना: क्यों हो रहा है विरोध और क्या है पूरी कहानी?
माता वैष्णो देवी में शुरू होने वाली रोपवे परियोजना के खिलाफ स्थानीय लोगों ने किया जमकर विरोध

माता वैष्णो देवी में ताराकोट से भवन तक प्रस्तावित रोपवे परियोजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस परियोजना का विरोध पिट्ठू, पालकी और घोड़ा संचालकों ने जोर-शोर से शुरू कर दिया है। विरोध के स्वर इसलिए मुखर हो रहे हैं क्योंकि रोपवे के शुरू होने से इन लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान श्राइन बोर्ड को कटघरे में खड़ा किया गया, और बोर्ड के खिलाफ नारेबाजी भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने रोपवे परियोजना को वापस लेने की मांग करते हुए हड़ताल का आह्वान किया है।

विरोध के मुख्य कारण

विरोध प्रदर्शन में शामिल पिट्ठू, पालकी और घोड़ा संचालकों का कहना है कि रोपवे परियोजना शुरू हो जाने से श्री माता वैष्णो देवी की पारंपरिक यात्रा का मार्ग बंद हो जाएगा। इस मार्ग पर काम करने वाले हजारों लोग—जिनमें पिट्ठू, पालकी, घोड़ा संचालक और रास्ते में दुकान चलाने वाले स्थानीय व्यापारी शामिल हैं—अपनी आय के स्रोत से वंचित हो जाएंगे।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि माता वैष्णो देवी यात्रा सदियों पुरानी परंपरा है, और इस परंपरा को तोड़ने का प्रयास किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो विरोध और भी उग्र हो सकता है।

प्रदर्शन और हड़ताल

रोपवे परियोजना के खिलाफ विरोध के तहत प्रदर्शनकारियों ने श्राइन बोर्ड के कार्यालय और श्रीधर चौक के पास विरोध-प्रदर्शन किया। साथ ही चरण पादुका और दारूड़ क्षेत्र के निवासियों ने अपनी दुकानों को बंद कर विरोध का समर्थन किया। विरोध का असर यह हुआ कि माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा करनी पड़ी, जिसमें बच्चों और बुजुर्गों को काफी मुश्किलें हुईं।

प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार से हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल के दूसरे दिन प्रदर्शन में और अधिक लोग शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो वे अपने आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे।

रोपवे परियोजना का उद्देश्य

रोपवे परियोजना का उद्देश्य श्रद्धालुओं को भवन तक पहुंचने के लिए एक तेज, सुगम और आरामदायक विकल्प उपलब्ध कराना है। यह परियोजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है जो शारीरिक रूप से यात्रा करने में सक्षम नहीं हैं। हालांकि, विरोध करने वालों का मानना है कि यह पारंपरिक मार्ग की अहमियत और उनके व्यवसाय को खत्म कर देगा।

समाधान की मांग

प्रदर्शनकारियों ने सरकार और श्राइन बोर्ड से इस परियोजना पर पुनर्विचार करने की मांग की है। वे चाहते हैं कि पारंपरिक मार्ग को संरक्षित रखा जाए और रोजगार पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखते हुए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।