महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने शनिवार को राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर राज्य की पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में रश्मि शुक्ला की संभावित दोबारा नियुक्ति पर गहरी आपत्ति जताई है। पटोले का कहना है कि चुनाव के समय किसी विवादित अधिकारी की नियुक्ति निष्पक्षता और पारदर्शिता को प्रभावित कर सकती है, खासकर तब जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
20 नवंबर को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होने जा रहा है। चुनाव आयोग ने राज्य के सभी अधिकारियों को चुनावी प्रक्रिया के दौरान निष्पक्ष और पारदर्शी रहने का निर्देश दिया है। हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने एक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट रूप से चेताया कि उन्हें चुनावी कर्तव्यों का पालन करते समय किसी भी प्रकार के पक्षपात से बचना चाहिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि अधिकारी निष्पक्ष रूप से काम करें, ताकि चुनावी प्रक्रिया पर किसी भी प्रकार का संदेह न हो।
रश्मि शुक्ला की नियुक्ति पर आपत्ति
नाना पटोले ने पहले भी इस महीने की शुरुआत में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। उन्होंने आग्रह किया था कि पूर्व आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को किसी भी संवेदनशील पद पर नियुक्त न किया जाए। पत्र में पटोले ने लिखा कि सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति कानूनी ढांचे और संस्थानों में जनता के विश्वास को कमजोर कर सकती है। उन्होंने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का पक्षपात न हो।
रश्मि शुक्ला पर फोन टैपिंग का आरोप
रश्मि शुक्ला पर पहले भी विवादों में रहने के आरोप लगे हैं। 2019 में, जब वह महाराष्ट्र राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) की प्रमुख थीं, उन पर कुछ राजनीतिक नेताओं के फोन टैप करने का आरोप लगा था। शिवसेना नेता संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे के फोन टैप होने की खबरें सामने आई थीं। इस मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।
हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद, रश्मि शुक्ला ने कोर्ट में अपील की और अपने खिलाफ लगे आरोपों से मुक्ति की मांग की। रश्मि शुक्ला 1988 बैच की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं, जिनकी खुफिया और सुरक्षा के क्षेत्र में लंबी पृष्ठभूमि रही है।
शिंदे सरकार में मिली थी डीजीपी की जिम्मेदारी
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार ने रश्मि शुक्ला के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाया था। लेकिन बाद में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद उन्हें राज्य की पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया।
पटोले के आरोप और आगामी चुनाव की निष्पक्षता
नाना पटोले का कहना है कि रश्मि शुक्ला की नियुक्ति चुनावी निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब उन पर पहले से ही राजनीतिक नेताओं के खिलाफ अवैध निगरानी के आरोप लग चुके हैं। उनका यह भी कहना है कि ऐसे विवादित अधिकारियों की नियुक्ति से चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो सकते हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह मांग की है कि चुनाव आयोग इस मामले में त्वरित और कठोर कदम उठाए, ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें।
निष्पक्ष चुनाव की मांग
चुनाव आयोग द्वारा निष्पक्षता के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच, इस प्रकार के आरोपों ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। महाराष्ट्र में आगामी चुनाव के मद्देनजर यह मामला और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि विपक्षी पार्टियाँ इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बना रही हैं।
महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में यह मामला कितना प्रभाव डालेगा, यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे, लेकिन इस समय राज्य की राजनीति में यह मुद्दा गरमा गया है। इससे साफ है कि चुनावी माहौल में सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा।