मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह की नाराजगी को लेकर इन दिनों सियासी हलकों में चर्चाएँ तेज़ हैं। पहले फोन टैपिंग को लेकर उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की थी, फिर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं के प्रति उनके विरोध ने भी विवादों को जन्म दिया। अब, अचानक भोपाल पहुंचकर उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक कयासों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है।
भूपेंद्र सिंह बुंदेलखंड क्षेत्र से आने वाले अनुभवी और प्रभावशाली नेता रहे हैं। उनका पिछला कार्यकाल सत्ता में मंत्री के रूप में काफी महत्वपूर्ण था, लेकिन इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। इस कारण से उनकी नाराजगी समय-समय पर स्पष्ट होती रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव से उनकी मुलाकात को सियासी डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई है, जिसमें फोन टैपिंग का मामला भी प्रमुख रहा।
भूपेंद्र सिंह ने हाल ही में फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि पुलिस अधिकारियों ने बिना एसपी और आईजी की अनुमति के उनका फोन टैप किया और सीडीआर (Call Detail Record) निकालने का प्रयास किया। इस मामले में डिप्टी सीएम और सागर के प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने भी जांच कराने की बात की थी। हालांकि पुलिस ने इस पर सफाई दी, लेकिन भूपेंद्र सिंह ने जांच की मांग जारी रखी और कहा कि सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि असलियत का पता लगाया जाए।
इसके अलावा, भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं को लेकर भी अपना विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी भले ही इन नेताओं को स्वीकार कर ले, लेकिन वे व्यक्तिगत रूप से उन्हें स्वीकार नहीं कर पाएंगे। इस बयान के बाद कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी और सरकार पर तंज कसा था, जिससे यह मुद्दा और भी गरम हो गया।
भूपेंद्र सिंह की नाराजगी के बीच उनकी सीएम मोहन यादव से मुलाकात ने एक नई सियासी हलचल पैदा की है। इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक विश्लेषक विभिन्न संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। कुछ इसे एक सुलह की पहल मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे सत्ता की भीतर चल रही गुटबाजी का संकेत मानते हैं। बुंदेलखंड के सियासी माहौल में इस मुलाकात के बाद और भी अधिक चर्चाएँ होंगी, खासकर जब यह मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा हो।