इंदौर बीआरटीएस को तोड़ने का निर्णय, मुख्यमंत्री ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने की बात कही

इंदौर बीआरटीएस के टूटने के फैसले के बाद, सरकार द्वारा उठाए गए कदम शहर के यातायात पर कितना प्रभाव डालते हैं।

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इंदौर बीआरटीएस को तोड़ने का निर्णय, मुख्यमंत्री ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने की बात कही
इंदौर के बीआरटीएस को हटाए जाने की बात चल रही है।

इंदौर। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को तोड़ने के बाद अब सरकार ने इंदौर के बीआरटीएस को भी तोड़ने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को इंदौर में कहा कि शहर में बीआरटीएस से संबंधित लगातार आ रही शिकायतों और जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि अब सरकार न्यायालय में अपना पक्ष रखेगी और जहां यातायात की समस्या उत्पन्न हो रही है, वहां पुल या ब्रिज बना कर समाधान निकाला जाएगा। इसके साथ ही, बीआरटीएस को हटाने की प्रक्रिया को भी लागू किया जाएगा, ताकि शहर का यातायात और आवागमन सुगम हो सके।

बीआरटीएस की संक्षिप्त जानकारी और उसकी शुरुआत

इंदौर बीआरटीएस परियोजना को इंजीनियर श्रीलाल प्रसाद निराला की टीम ने डिजाइन किया था और इसे वर्ष 2007 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत शुरू किया गया था। प्रारंभ में परियोजना की लागत करीब 90 करोड़ रुपये अनुमानित थी, लेकिन विभिन्न कारणों से यह बढ़कर 350 करोड़ रुपये तक पहुँच गई। इस परियोजना का निर्माण 2013 में 11.45 किमी लंबी बीआरटीएस के रूप में हुआ, जो निरंजनपुर से शुरू होकर राजीव गांधी प्रतिमा तक जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनहित याचिकाओं की भूमिका

इस परियोजना के खिलाफ कई विवाद और समस्याएं उठ चुकी हैं। वर्ष 2013 में ही सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने बीआरटीएस को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी, जो अब भी लंबित है। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि बीआरटीएस में 43 प्रतिशत सड़क को केवल दो प्रतिशत यात्रियों के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि 98 प्रतिशत यात्री केवल 57 प्रतिशत सड़क पर यात्रा कर रहे हैं। साथ ही, इसमें पैदल और साइकिल यात्रियों को भी शामिल किया गया है। याचिका में बीआरटीएस को हटाने का आदेश देने की मांग की गई है।

हाई कोर्ट की भूमिका और समिति का गठन

इंदौर बीआरटीएस के मुद्दे पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दो जनहित याचिकाएं लंबित हैं। इन याचिकाओं पर 18 नवंबर को मुख्य खंडपीठ ने सुनवाई के बाद इन्हें जबलपुर ट्रांसफर कर दिया है। इससे पहले, 23 सितंबर 2024 को हाई कोर्ट ने बीआरटीएस की वर्तमान उपयोगिता और व्यावहारिकता की जांच करने के लिए एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का आदेश दिया था। यह समिति अपनी रिपोर्ट 8 सप्ताह में हाई कोर्ट के समक्ष पेश करेगी। इस पर आगामी सुनवाई 22 नवंबर को निर्धारित थी, लेकिन इससे पहले ही मामले को जबलपुर ट्रांसफर कर दिया गया है।

इंदौर बीआरटीएस की विशेषताएँ:

  • इंदौर बीआरटीएस की कुल लंबाई 11.45 किमी है।
  • यह बीआरटीएस निरंजनपुर से शुरू होकर राजीव गांधी प्रतिमा तक जाती है।
  • बीआरटीएस पर 21 बस स्टैंड और 14 क्रास चौराहे हैं।
  • हर 500 मीटर पर एक बस स्टैंड स्थापित किया गया है।

मुख्यमंत्री का बयान:

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मुद्दे पर अपने बयान में कहा कि इंदौर के विकास के लिए यह निर्णय लिया गया है, ताकि शहर में यातायात की समस्याओं का समाधान हो सके और लोगों को अधिक सुगम आवागमन की सुविधा मिल सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जहां चौराहों पर यातायात की समस्या आ रही है, वहां ब्रिज बनाकर यातायात व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जाएगा।

निष्कर्ष:

इंदौर बीआरटीएस के टूटने के फैसले के बाद, यह देखना होगा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम शहर के यातायात पर कितना प्रभाव डालते हैं। हालांकि, बीआरटीएस परियोजना को लेकर उच्च न्यायालय में जारी याचिकाएं और समितियों की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय का इंतजार रहेगा, जो इस पूरे मामले की दिशा तय करेगा।