झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में 15 नवंबर को हुए भीषण अग्निकांड की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की जान चली गई थी, जबकि आग में झुलसे अन्य आठ बच्चों की भी इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। इस हृदयविदारक घटना के बाद शासन ने चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था।
जांच रिपोर्ट में क्या आया सामने?
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज के कई स्तरों पर खामियां पाई हैं। सबसे बड़ी चूक यह पाई गई कि एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में मानकों से अधिक बच्चों को भर्ती किया गया था। इसके अलावा, कई उपकरणों को एक्सटेंशन वायर के माध्यम से चलाया जा रहा था, जिससे शॉर्ट सर्किट होने की संभावना बढ़ गई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अस्पताल के अंदर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया था। आग बुझाने के उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहे थे, और आपातकालीन निकासी की व्यवस्था भी कमजोर पाई गई।
जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज
सूत्रों के अनुसार, जांच कमेटी ने अग्निकांड में लापरवाही के लिए कई अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया है। इनमें कार्यवाहक प्रधानाचार्य, एनआईसीयू के प्रभारी चिकित्सक, और अन्य संबंधित कर्मचारी शामिल हैं। रिपोर्ट के आधार पर इन पर सख्त कार्रवाई होना तय है।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि जांच रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन किया जाएगा और लापरवाही बरतने वालों पर कठोर कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
भविष्य में दुर्घटनाओं से बचाव के सुझाव
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। इनमें अस्पतालों में मानक सुरक्षा उपकरणों की स्थापना, नियमित निरीक्षण, कर्मचारियों को आपातकालीन स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण और एनआईसीयू में बच्चों की संख्या का सख्त अनुपालन शामिल है।
झांसी अग्निकांड: एक दर्दनाक घटना
यह अग्निकांड चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा उपायों की बड़ी चूक की ओर इशारा करता है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि शासन दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है और अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था में क्या सुधार लाता है।