झांसी अग्निकांड: सुरक्षा मानकों की अनदेखी, कब चेतेगा प्रशासन?

मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई, जिसमें 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई।

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झांसी अग्निकांड: सुरक्षा मानकों की अनदेखी, कब चेतेगा प्रशासन?
झांसी मेडिकल कॉलेजअग्निकांड

झांसी मेडिकल कॉलेज में शॉर्ट सर्किट से हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी प्रशासन की लापरवाही जारी है। हालात इतने गंभीर हैं कि वार्डों में बिजली के पैनल और तार खुले पड़े हैं। मेडिकल स्टाफ जैसे लैब अटेंडेंट और लिफ्ट मैन को बिजली के खतरनाक कामों में लगाया जा रहा है।

एसएनसीयू में भयावह हादसा

पिछले शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई, जिसमें 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इसके अलावा, उपचार के दौरान दो और नवजातों ने दम तोड़ दिया। हादसे के तीन दिन बाद भी कॉलेज प्रशासन ने सुरक्षा मानकों को लागू करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

खुले तारों और खराब पैनलों से खतरा

मेडिकल कॉलेज के कई वार्डों में बिजली के तार लटके हुए हैं और एमसीबी पैनल खुले पड़े हैं। प्रसूति वार्ड में तो तारों के पास ही बेड बिछे हुए हैं, जिससे मरीजों और नवजातों की जान को सीधा खतरा है। इन स्थितियों के बावजूद, स्थायी बिजलीकर्मियों के बजाए लैब अटेंडेंट और लिफ्ट मैन को बिजली के काम में लगाया जा रहा है।

बिजली व्यवस्था की दुर्दशा

कॉलेज परिसर की बिजली व्यवस्था को दो हिस्सों में बांटा गया है। स्थायी चार कर्मी केवल प्राचार्य कार्यालय, हॉस्टल और आवासीय क्षेत्रों की बिजली व्यवस्था देखते हैं, जबकि इमरजेंसी, ओपीडी और अन्य मुख्य क्षेत्रों की जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग कर्मियों पर है। इन सबके बावजूद प्रशिक्षित बिजलीकर्मियों के अभाव में अनधिकृत कर्मियों से काम करवाना लापरवाही की हद दर्शाता है।

जर्जर ट्रांसफार्मर बना हादसे का इंतजार

कॉलेज परिसर में बिजली सप्लाई के लिए इस्तेमाल हो रहा ट्रांसफार्मर जर्जर ट्रॉली पर रखा है। ट्रांसफार्मर के आसपास झाड़ियां उग आई हैं, जिससे आग लगने का खतरा और बढ़ गया है। बिजलीकर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ट्रांसफार्मर को सुरक्षित स्थान पर स्थापित करने की मांग कई बार की गई है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक ध्यान नहीं दिया।

शासन की जांच और असमर्थता

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एनएस सेंगर का कहना है कि बिजली व्यवस्था जल्द सुचारू की जाएगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

43 नर्सिंग होम बिना फायर एनओसी के संचालित

झांसी में केवल मेडिकल कॉलेज ही नहीं, बल्कि निजी नर्सिंग होम भी आग से बचाव के मानकों की अनदेखी कर रहे हैं। शहर के करीब 43 नर्सिंग होम बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें नोटिस तो जारी किए, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।

आग सुरक्षा के नाम पर लापरवाही

झांसी में करीब डेढ़ सौ निजी अस्पताल हैं, जिनमें से केवल 104 के पास फायर एनओसी है। शेष 43 नर्सिंग होम बिना एनओसी के काम कर रहे हैं, जो मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। स्वास्थ्य विभाग ने कई बार नोटिस दिए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया।

पहले भी हुई लापरवाही

दो साल पहले केवल तीन नर्सिंग होम के पास फायर एनओसी थी। अब यह संख्या बढ़कर 104 हो गई है। विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बाकी नर्सिंग होम भी जल्द एनओसी ले लेंगे, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

नियमों की अनदेखी और बढ़ता खतरा

एसएनसीयू की घटना के बाद भी झांसी के अस्पतालों में जांच अभियान नहीं चलाया गया। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की यह निष्क्रियता भविष्य में किसी बड़े हादसे की नींव डाल रही है।

जरूरी कदम और सवाल

झांसी मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग होम्स में जारी लापरवाही चिंताजनक है। सवाल यह है कि कब जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखें खोलेंगे? नवजातों की जान लेने वाले हादसे से भी अगर कोई सीख नहीं ली गई, तो भविष्य में और कितनी जानें खतरे में पड़ेंगी?
जनता और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।