महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख पर नागपुर के पास कटोल में हमला हुआ है। यह घटना उनके अपने ही विधानसभा क्षेत्र में हुई है, जहां वह नरखेड़ से बैठक समाप्त कर लौट रहे थे। जानकारी के अनुसार, तिनखेड़ा बिशनूर–जलालखेड़ा रोड पर बेलफाटा के पास कुछ अज्ञात लोगों ने उनकी कार पर अचानक पथराव करना शुरू कर दिया।
कार पर पथराव, अनिल देशमुख घायल
इस हमले में अनिल देशमुख घायल हो गए हैं। उनकी कार की विंडशील्ड और खिड़कियां क्षतिग्रस्त हो गईं, और कार के टूटे हुए शीशे घटनास्थल पर बिखरे हुए पाए गए। घटना के वीडियो में देखा जा सकता है कि अनिल देशमुख की सफेद कुर्ता खून से सना हुआ है, और उनके सिर से खून बह रहा है। नागपुर पुलिस ने इस घटना की पुष्टि की है और तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती
अनिल देशमुख को तुरंत नागपुर के एलेक्सिस अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। उनकी स्थिति के बारे में फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। इस हमले के पीछे के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं, और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
विधानसभा क्षेत्र और चुनावी पृष्ठभूमि
यह घटना उस समय हुई है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में है। 23 नवंबर को राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। कटोल विधानसभा क्षेत्र से अनिल देशमुख मौजूदा विधायक हैं। इस बार एनसीपी ने उनके बेटे सलिल देशमुख को इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा है।
अनिल देशमुख का विवादों से जुड़ा इतिहास
अनिल देशमुख पहले भी कई विवादों में घिरे रहे हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में कार्य करते समय, उन पर तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद, उन्हें नवंबर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में और अप्रैल 2022 में सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया था। देशमुख ने एक साल से अधिक समय तक न्यायिक हिरासत में बिताया, जिसके बाद उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली।
घटना पर बढ़ते सवाल
इस हमले के पीछे की मंशा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच हुई इस घटना को राजनीतिक साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। पुलिस की जांच पूरी होने के बाद ही हमले के असली कारणों का खुलासा हो सकेगा।
यह घटना न केवल चुनावी माहौल में तनाव बढ़ा सकती है, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज होने की संभावना है।