उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने की आशंकाओं के बीच यह संकेत मिल रहे हैं कि सपा उपचुनाव की चार सीटों में से कुछ पर कांग्रेस को मौका दे सकती है। हालांकि, हरियाणा में कांग्रेस द्वारा सपा की अनदेखी किए जाने के बावजूद, समाजवादी पार्टी ने राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रखने का फैसला किया है।
अखिलेश यादव का बयान: गठबंधन रहेगा मजबूत
सैफई में मुलायम सिंह यादव की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया कि यूपी के उपचुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन बरकरार रहेगा और वे इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे। उन्होंने उपचुनाव में शेष चार सीटों में से कुछ सीटें कांग्रेस को देने के संकेत भी दिए।
आरएलडी की सीटें कांग्रेस को मिलने की संभावना
सूत्रों के अनुसार, सपा राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) की दो सीटें कांग्रेस को दे सकती है। खैर और मीरापुर की सीटें आरएलडी ने सपा गठबंधन के तहत लड़ी थीं। अब सपा गाजियाबाद सदर और मीरापुर सीट कांग्रेस को देने की मंशा रखती है। वहीं, कांग्रेस सभी चार सीटें सपा से मांग रही है, जिसमें खैर और मीरापुर भी शामिल हैं।
गाजियाबाद सदर सीट पर कांग्रेस की नजर
गाजियाबाद सदर सीट पर कांग्रेस का विशेष ध्यान है, क्योंकि पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने यहीं से लड़ा था। इस सीट के कांग्रेस को मिलने की संभावनाएं अधिक हैं। मीरापुर की सीट पर आरएलडी से चंदन चौहान जीते थे, और खैर सीट पर कांग्रेस की ओर से चारु केन को मौका दिया जा सकता है। चारु केन, जो दलित बिरादरी से हैं और जाट परिवार की बहू हैं, ने पिछली बार बसपा से चुनाव लड़कर 65 हजार वोट हासिल किए थे, जिससे कांग्रेस का उन पर दांव लगाने का इरादा है।
सपा के उम्मीदवारों की घोषणा
इससे पहले, समाजवादी पार्टी ने बुधवार को प्रदेश की छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, जिससे कांग्रेस को झटका लगा था। अखिलेश यादव ने करहल सीट से तेजप्रताप यादव, मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद, सीसामऊ सीट से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी, फूलपुर से मुस्तफा सिद्दीकी, कटेहरी से शोभावती वर्मा और मझंवा सीट से डॉ. ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस का दबाव
कांग्रेस ने सभी चार सीटों पर अपनी नजरें गड़ा रखी हैं और सभी सीटों के लिए वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी और पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। हालांकि, सपा की ओर से गाजियाबाद सदर और मीरापुर सीटें कांग्रेस को दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।
निष्कर्ष
इस राजनीतिक उठापटक के बीच सपा और कांग्रेस के गठबंधन का भविष्य उपचुनाव के इन फैसलों पर निर्भर करेगा। दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर चल रही खींचतान के बावजूद, गठबंधन बरकरार रहने की उम्मीद है, लेकिन सीटों के वितरण पर सहमति बनना जरूरी है।