MP अतिथि शिक्षक आंदोलन: 15,000 अतिथियों का महा आंदोलन, हंगामे के बीच सरकार से एक और मौका देने की मांग

भोपाल में अपनी मांगों को लेकर अतिथि शिक्षकों का आंदोलन

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MP अतिथि शिक्षक आंदोलन: 15,000 अतिथियों का महा आंदोलन, हंगामे के बीच सरकार से एक और मौका देने की मांग
अतिथि शिक्षक मंगलवार को भोपाल में जुटे हुए हैं। 

मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों का आंदोलन उग्र रूप ले चुका है। लगभग 15,000 अतिथि शिक्षक भोपाल की सड़कों पर उतर आए हैं, जो अतिथि शिक्षक नियमों को गलत ठहराते हुए सरकार से एक और मौका देने की मांग कर रहे हैं।

अतिथि शिक्षक भोपाल की सड़कों पर

10 सितंबर को राजधानी भोपाल में अतिथि शिक्षकों का महा आंदोलन प्रस्तावित है, लेकिन इसके एक दिन पहले ही बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षक लोक शिक्षण संचनालय (डीपीआई) के सामने विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे। बिना किसी पूर्व सूचना के इन शिक्षकों ने हंगामा किया, जिसके चलते डीपीआई के चैनल गेट को बंद करना पड़ा।

डीपीआई में हंगामा और विरोध

जैसे ही अतिथि शिक्षकों को डीपीआई परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया, उन्होंने गुस्से में अपनी डिग्रियां जमीन पर फेंक दीं और विरोध स्वरूप सड़क पर बैठ गए। इस दौरान शिक्षकों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अधिकारियों से मिलने की मांग की।

6,000 शिक्षक हुए ब्लैकलिस्ट

पिछले शैक्षणिक सत्र में बोर्ड कक्षाओं में 30% से कम परिणाम देने वाले करीब 6,000 अतिथि शिक्षकों को ब्लैकलिस्ट किया गया है। इन शिक्षकों का तर्क है कि कमजोर परिणाम के लिए केवल वही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि नियमित शिक्षक भी उतने ही जिम्मेदार होते हैं। उनका कहना है कि आठवीं तक छात्रों को फेल नहीं किया जाता, जिससे नौवीं कक्षा में आने वाले छात्र शैक्षणिक रूप से कमजोर होते हैं। अतिथि शिक्षक केवल कुछ महीने के लिए नियुक्त किए जाते हैं, जिससे उन्हें छात्रों को पूरी तरह पढ़ाने का अवसर नहीं मिलता।

अतिथि शिक्षकों की मांगें

अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. खाली पदों पर अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति की जाए।
  2. विभागीय पात्रता परीक्षा आयोजित कर नियमित शिक्षक बनाया जाए।
  3. अनुभव के आधार पर अतिथि शिक्षकों को एक वर्ष का अनुबंध दिया जाए।
  4. शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण और हर साल चार अंकों का बोनस दिया जाए।

नियुक्ति में देरी से असंतोष

शैक्षणिक सत्र शुरू हुए ढाई महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। यह समस्या तब और बढ़ गई जब नियुक्ति की तारीखों को 7 से 8 बार बदला गया। इस देरी के कारण सिलेबस पीछे रह गया है, जिससे छात्रों के भविष्य पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

अतिथि शिक्षक अपने अधिकारों और मांगों के लिए सरकार से तुरंत कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।