महाराष्ट्र के नासिक जिले की एक अदालत ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को वीर सावरकर के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर समन जारी किया है। यह मामला 2022 में दिए गए उनके बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
मामला क्या है?
यह मामला राहुल गांधी द्वारा नवंबर 2022 में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस और हिंगोली में दिए गए भाषण से संबंधित है। शिकायतकर्ता, जो एक एनजीओ के निदेशक हैं, ने दावा किया है कि राहुल गांधी ने दोनों मौकों पर वीर सावरकर की छवि को धूमिल करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल की टिप्पणियों से न केवल सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा, बल्कि समाज में उनकी छवि को भी बिगाड़ने की कोशिश की गई।
शिकायतकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि राहुल गांधी ने सावरकर को "भाजपा और आरएसएस के प्रतीक" के रूप में दर्शाया, जो उनके अनुसार अपमानजनक था। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने सावरकर पर ब्रिटिश सरकार के प्रति समर्पण दिखाने का भी आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता के अनुसार, राहुल ने कहा कि सावरकर ने हाथ जोड़कर रिहाई की प्रार्थना की और बाद में ब्रिटिश सरकार के लिए काम करने का वादा किया।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
नासिक की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपाली परिमल कडुस्कर ने 27 सितंबर को राहुल गांधी को समन जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि एक देशभक्त व्यक्ति के खिलाफ दिए गए बयान प्रथम दृष्टया मानहानिकारक प्रतीत होते हैं। कोर्ट ने मामले में राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 504 (जानबूझकर अपमान) के तहत अपराधों के लिए प्रक्रिया शुरू की है।
राहुल गांधी का पक्ष
राहुल गांधी को 27 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से या अपने कानूनी प्रतिनिधि के माध्यम से अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है। फिलहाल, इस मामले में अभी किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचना बाकी है।
आगे की प्रक्रिया
कोर्ट ने यह माना है कि रिकॉर्ड और उपलब्ध तथ्यों के आधार पर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान प्रथम दृष्टया अपमानजनक हैं और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। शिकायतकर्ता का दावा है कि इन बयानों से उनके आदर्श वीर सावरकर की प्रतिष्ठा को धूमिल किया गया है।
इस पूरे मामले पर आगे क्या निर्णय लिया जाएगा, यह देखना अभी बाकी है।