हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच एक महत्वपूर्ण राजनीतिक विकास सामने आया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने इस पहल की शुरुआत की है और हाल ही में केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया।

राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं से पूछा कि क्या कांग्रेस को AAP के साथ गठबंधन करना चाहिए। इसके बाद एक वरिष्ठ नेता को प्रदेश के नेताओं से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस गठबंधन पर विचार के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें गठबंधन के फायदे और नुकसान की समीक्षा की जाएगी।
लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है
माना जा रहा है कि अगर गठबंधन हुआ तो सीटों के बंटवारे के लिए लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को अपनाया जा सकता है। इससे पहले, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और AAP ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस ने 9 और AAP ने 1 सीट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, चंडीगढ़ में एक साथ चुनाव लड़ने पर दोनों पार्टियों ने निगम और लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
कांग्रेस नेताओं की राय
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि गठबंधन की संभावना है और इसके लिए AAP और अन्य I.N.D.I.A. सहयोगी दलों से बातचीत चल रही है। मुख्य उद्देश्य भाजपा को हराना और वोटों का ध्रुवीकरण रोकना है। इसके बावजूद, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने गठबंधन का विरोध किया है और उन्होंने कहा कि AAP को केवल 3-4 सीटें ही दी जा सकती हैं।

AAP का रुख
AAP के नेताओं ने कहा है कि भाजपा को हराना उनकी प्राथमिकता है। संजय सिंह ने भाजपा की नफरत की राजनीति के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात की। वहीं, AAP हरियाणा के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा कि उनकी पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है और गठबंधन पर कोई आधिकारिक फैसला हाईकमान द्वारा लिया जाएगा।
चंडीगढ़ का सफल गठबंधन मॉडल
चंडीगढ़ में, कांग्रेस और AAP का गठबंधन सफल रहा था। दोनों पार्टियों ने नगर निगम और लोकसभा चुनाव में मिलकर जीत दर्ज की थी, जिससे गठबंधन की संभावनाओं को बल मिला है।
हरियाणा में AAP पहली बार सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस और AAP के संभावित गठबंधन पर अभी भी बहस जारी है। इस गठबंधन के भविष्य पर फैसला आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।